स्वदेश लौटने के दिन निकट आ रहे थे और अबूधाबी में नवनिर्मित हिन्दू-मंदिर के दर्शनों का योग किस-न-किसी कारण से बन नहीं पा रहा था। वही भव्य-मंदिर जिसका भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने चौदह फ़रवरी २०२४ को उद्घाटन किया था।आज आठ मार्च शिवरात्रि के पावन अवसर पर आशुतोष भोलेनाथ की कुछ ऐसी अनुकम्पा रही कि सारी जड़तायें स्वयमेव दूर हो गयीं और इस सुन्दर मंदिर को देखने का अह्लादकारी और बहुमूल्य सुयोग बना।
दुबई/सेम्मेर विल्लाज़ (जहाँ हम ठहरे हुए है)आवासीय कॉलोनी से यह मंदिर लगभग एक घंटे की दूरी पर स्थित है।शिवरात्रि का पर्व होने के कारण दर्शनार्थियों और श्रधालुओं की काफी भीड़ थी। काफी-सारे श्रधालु युएई के विभिन्न शहरों से आये थे और सम्भवतः विदेशों से भी कुछ प्रभुभक्त आये हुए थे।मैं ने पाया कि हर धर्म और फिरके के लोग कतार में खड़े मन्दिर-दर्शन के लिए धीरे-धीरे आगे सरक रहे थे।मन्दिर-परिसर काफी फैला हुआ है अतः पैदल चलना भी बहुत पड़ता है।बुजर्गों और अशक्तों के लिए व्हील-चेयर की सुविधा है।
700 करोड़ रुपए की लागत से बना ये मंदिर भारतीय और अरबी प्राचीन निर्माण-शैली का अद्भुत उदाहरण है। सहरा में बना यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है बल्कि विदेशी-धरती पर सौहार्द और सामंजस्य का प्रतीक भी है।
इस मंदिर पर आधारित एक आलेख अलग से तैयार कर रहा हूँ।
(लेखक विभिन्न विषयों पर लिखते रहते हैं।)