श्री रामचरित मानस के बाल काण्ड में उल्लेख है कि गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल विद्या सब पाई। अर्थात् गुरू के सानिध्य में व्यक्तित्व निर्माण। गुरुकुल परम्परा में बच्चों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित कराते हुए उनके अंदर सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना जागृत की जाती है । भारतीय ज्ञान परम्परा में शिविर आयोजनो का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । ऐसे शैक्षिक संस्थान जो भारतीय संस्कृती के पोषक और संवाहक रहे हैं वो बच्चों के लिए खेल, कला , कौशल शिविरों का आयोजना करते आए हैं। जहां बच्चे प्रकृति के समीप रहकर अपने मौलिक गुणों को परिमार्जित करते हुए आधुनिक ज्ञान के साथ वैदिक ज्ञान और संस्कार के साथ सामूहिक जीवन जीने का अभ्यास करते है । वर्तमान में विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के साथ जीवन कौशल विकास और व्यवहारिक ज्ञान बच्चों के लिए नितांत आवश्यक है ऐसे में शैक्षिक शिविर महत्त्वपूर्ण भुमिका निभा सकते हैं।
वर्तमान में लगभग सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शैक्षिक शिविर की ही भांति ग्रीष्मकालीन शिविर आयोजित किए जा रहे हैं । जो समर कैंप के नाम से जाने जा रहे हैं । समर कैंप अवकाश के दिनों में कुछ निर्धारित अवधि के लिए एक कार्यक्रम के रुप में चलाया जाता है । इस दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियां बच्चों के लिए कराई जाती हैं जो पूर्ण रुप से आनंदमय वातावरण में बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देकर उनके समग्र विकास के लिए आयोजित की जाती हैं। जिससे बच्चे प्रकृति प्रेम, स्वस्थ जीवन शैली, व्यवस्थित दिनचर्या, सड़क पर चलने का नियम , जल ही जीवन है और स्वच्छता जैसे व्यवहारिक जीवन शैली को समर कैम्प में सीखने का अवसर मिलता है ।
वर्तमान में ग्रामीण,शहरी हर क्षेत्र में समर कैम्प स्कूली शिक्षा में अपना स्थान बनाते नज़र आरहे हैं । सभी शिक्षा बोर्ड इसे स्वीकार करते हुऐ इसका आयोजन करते दिख रहे हैं। गैर शैक्षिक संस्थान भी ग्रीष्मावकाश में ऐसे कैम्पों का आयोजना कर रहे हैं जहां एक ही स्थान पर निश्चित समय के लिए बड़े और बच्चों दोनो के लिए मनोरंजन युक्त आयोजन किए जारहे हैं। इन सभी का उद्देश्य अवकाश के दिनों को आनंदमयी और खुशनुमा बनाते हुए कुछ सीखने और नया करने का अवसर देना है । जिससे बच्चों में मुख्य रुप से कौशल विकास हो सके और बड़े भी इस समय का आनंद उठा सकें। धीरे -धीरे समर कैंप विद्यालयों का हिस्सा बनते जा रहे है जिसका उद्देश्य बच्चों को अनुकूल वातावरण प्रदान कर उनकी प्रतिभाओं का विकास करना है ।
बच्चों और अभिभावकों से शिक्षा से संबंधित बिंदुओं ,नवाचारों एवं आदेशों के क्रम में संचालित क्रियाकलापों पर अक्सर चर्चा होती रहती है। इसी क्रम में उन बच्चों से भी चर्चा का अवसर मिला जिनके स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों के बाद समर कैम्प संचालित हो रहे थे। जहां स्कूल इसे उत्साह के साथ संचालित करने में लगे थे वहीं बच्चो से संवाद में पताचला की अधिकांश बच्चे विद्यालय बंद होने के बाद इस समर कैम्प को बोझिल मान कर अतिरिक्त दबाव जैसा महसूस कर रहे। इस विषय को लेकर अलग अलग क्षेत्रो के बच्चों से चर्चा करने पर बच्चो के यही विचार प्राप्त हुए कि इस समर कैम्प का आयोजन स्कूल दिवसों में ही होना चहिए जिससे हम अपने समर वैकेशन के अधिक दिवसों को अपने स्वतंत्र रूचि के अनुसार अपने परिवार, रिश्तेदार के साथ अन्य कार्यों में लगा सकें। निश्चित रुप से एक लंबे सत्र के पढ़ाई में बच्चो के लिए उनकी गर्मी की छुट्टियां बहुत प्रिय होती हैं जिसका बच्चो को बेसब्री से इंतजार रहता है। 6 से 14 वर्ष के बच्चो के सीखने और विकास के क्रम में स्कूलों के शैक्षिक सत्रों में गर्मी की छुट्टियों का बच्चों के समाजिक एवं मानसिक विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा एक बहुत सराहनीय एवं स्वागत योग्य पहल हुई है जिसमें ग्रीष्मावकाश के बाद विद्यालय खुलने पर प्रथम सप्ताह में समर कैम्प का आयोजन करना है । ग्रीष्म अवकाश प्रारंभ होने के अंतिम सप्ताह में तमाम स्कूलों में चलने वाले समर कैम्प पर विचार विमर्श करते हुए, विद्यालय में नामांकन के सापेक्ष उपस्थिति आदि बिंदुओं पर चर्चा में एक विमर्श शिक्षक साथियों की ओर से यह भी आने लगा था कि यदि यह समर कैंप विद्यालय खुलने पर आयोजित हो तो बच्चों को विद्यालय खुलने पर उत्साह के साथ जोड़ने एवं नियमित करने के साथ उनके ग्रीष्म अवकाश के दिनों में बिताए गए व्यक्तिगत स्वतंत्र अनुभवों को बच्चों की अभिव्यक्ति एवं स्वतंत्र चिंतन के साथ जोड़ने में बहुत कारगर सिद्ध होगा।
जिन विद्यालयों में ग्रीष्म अवकाश में समर कैंप का आयोजन किया जा रहा था उन बच्चों से चर्चा होने पर अधिकांश बच्चों ने बताया कि उनको किसी रिश्तेदार के घर घूमने और अपने पसंद के कार्य करने में ज्यादा रुचि है । एक रूटीन में बंध कर समर कैंप की बच्चों ने खुलकर मनाही की । बच्चों से ग्रीष्म अवकाश के दौरान मिलने वाले होमवर्क और असाइनमेंट पर भी चर्चा होती रहती है अधिकांश छोटे बच्चों ने बताया कि वो इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं। वह इस दौरान अपनी व्यक्तिगत रूचि के क्लास ज्वाइन करना पसंद करते हैं या अपने दादी, नानी, के साथ समय व्यतीत करते हुऐ रिश्तेदारों के घर घूमने जाने में ज्यादा रुचि रखने वाले दिखाई देते हैं।
ग्रीष्म अवकाश का एक वह दौर भी था जब समर कैंप और ग्रीष्मकालीन प्रोजेक्ट इतने चलन में नहीं थे । धीरे-धीरे लगभग सभी विद्यालय इससे जुड़ गए हैं लेकिन बच्चों का मन इससे दूर भागता दिखाई दे रहा है। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग की यह सराहनीय पहल है जिसमें परिषदीय विद्यालय खुलते ही समर कैंप आयोजित किया जाएगा। जिसमें शिक्षक बच्चों के विद्यालय आने के तीन दिन पूर्व से 25 जून से ही विद्यालय में उपस्थित होकर इसकी तैयारी एवं रूपरेखा बनाएंगे कि इस समर कैम्प को वह अपने विद्यालय में बच्चों के लिए और बेहतर, उपयोगी कैसे बना सकते हैं। इससे उपस्थिति बढ़ाने ,बच्चों को उत्साह से विद्यालय के प्रथम दिवस पर ही जोड़ने ,छुट्टियों में बीते हुए अवकाश के दिनों को रचनात्मक ढंग से विद्यालय के कार्यों से जोड़ने में बहुत मदद मिलेगी ।
इसमें महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विद्यालय स्तर पर शिक्षक इसे कितने बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर सकते हैं । इसमें अलग-अलग कक्षाओं के लिए प्लान बनाकर बच्चों की उनके रुचियों व आयु को ध्यान में रखते हुए अवकाश के बीते हुए दिनों के अनुभवों को कैसे शिक्षक बच्चों के भाव को अभिव्यक्त करने के अवसर के साथ रचनात्मक ढंग देने में सक्षम हो पाते हैं।
शिक्षक द्वारा संयोजित कार्य योजना बनाना इसमें महत्वपूर्ण होगा । जिससे यह मात्र औपचारिकता या स्वागत उत्सव बनकर न रह जाए । वस्तुतः इसमें नेतृत्व क्षमता विकास , रचनात्मकता का विकास , समूहकार्य, पर्यावरण की समझ , प्राकृति से भावानात्मक जुड़ाव ,समस्या समाधान, व्यक्तिगत स्वच्छता का महत्त्व , मूल्य शिक्षा, अवकाश के दिनों का रचनात्मक ढंग से प्रयोग आदि सामिल हैं । इसमें बच्चों को स्वागत के साथ उत्सव की अनुभूति कराकर बच्चों के अभिभावकों को जोड़ना इस सत्र के ग्रीष्मावकाश के बाद उनके पाल्यों की पढ़ाई – लिखाई को सकारात्मक दिशा प्रदान कर सकता है ।
बच्चों के अवकाश के दिनों को समर कैंप में कैसे रचनात्मक ढंग से जोड़कर स्थान दिया जाए यह महत्वपूर्ण बिंदु होना चाहिए । बच्चों से चर्चा कर उनकी रुचियों को भी स्थान देना महत्वपूर्ण होगा । स्वतंत्र ,सहभागी ,भय मुक्त, खुशनुमा, उत्साही वातावरण निर्मित कर बच्चों को सिखाने हेतु पुनः विद्यालय से जोड़कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में यह समर कैम्प महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बच्चों द्वारा अवकाश के दिनों में सीखे हुए कौशलों को स्वयं सीखने का सेशन भी इसको उत्साह वर्धक बना सकता है ।
इस समय कैंप के माध्यम से छोटे बच्चों को यह अनुभव कदापि न दें कि बच्चे सोचे कि समर कैम्प हो गया चलो अब पढ़ाई शुरू करते हैं बल्कि इस समर कैंप के माध्यम से ही बच्चों के स्किल,रूचि, उनका आकलन, उनकी समझ एवं अवलोकन के बिंदु समाहित करने होंगे जिससे बच्चों को पूरे सत्र क्रियाकलापों से जोड़ कर कुछ नया सीखने के प्रति उत्साही बनाया रखा जा सके। छोटे बच्चों के लिए इस समर कैम्प को विद्यालय घंटे में ही नियोजित कर व्यवस्थित कर रखा जाए कि बच्चों के अवकाश के दिनों में भी सेंध ना लगे साथ ही बच्चे खुलकर इस समर कैम्प में इंजॉय कर सके और अपने छुपे हुए हुनर को पहचाना सकें । साथ ही उनके लिए आवश्यक बिंदु जिससे वह अवगत नहीं है उन बिंदुओं को जोड़ते हुए इस समर कैम्प को बच्चों के लिए ऐसा उपयोगी बनाया जाए जो सत्र भर एक शैक्षिक आधार बनाए रखे ।जुलाई से बच्चे और अभिभावक इस तरह से तैयार हो पढ़ाई के लिए कि यह सत्र उनके लिए उत्साह और ऊर्जा वाला हो।
छोटे बच्चे (6 से 14) जब ग्रीष्मावकाश के पश्चात पुनः विद्यालय आते हैं और प्रथम दिवस से ही उनसे विषय संबंधी बिंदुओं पर चर्चा होने लगती है, पठन-पाठन टिपिकल तौर से पुस्तकों और कापियों के साथ शुरू हो जाता है तब बच्चे, शिक्षक और विद्यालयी वातावरण में कहीं ना कहीं एक गैप बन जाता है। निश्चित रूप से यह समर कैम्प बच्चों को यह अवसर देगा कि अपने अवकाश के दिनों में बिताए गए समय में उन्होंने क्या किया, क्या सीखा, उनके क्या अनुभव थे, उन्होने किन किन बिंदुओं पर अपने स्कूल को मिस किया ( कमी महसूस की) इन भावों को सहज रूप से अपने साथियों और शिक्षक के साथ सांझा कर पाएंगे ।
बच्चे पुनः अपनी कक्षा में साथी बच्चों और शिक्षकों के साथ अपने ग्रीष्मावकाश केअनुभवों को जीवंत कर पाएंगे जो भावनात्मक रूप एवं आत्मीयता के साथ उन्हे विद्यालय से जोड़ने में सक्षम होगा । निश्चित रूप से बच्चों को विद्यालय में ऊर्जा ,उत्साह और आत्मीयलगाव के साथ जोड़ने के लिए यह समर कैम्प बहुत ही कारगर सिद्ध होगा।
ऋचा सिंह
बेसिक शिक्षा विभाग
richasinghbasicedu@gmail.com