(इस आयोजन की गरिमा, भव्यता और पवित्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो बात हम बरसों से दबाकर रखते हैं और अपने किसी घनिष्ठतम व्यक्ति को भी बताना नहीं चाहते ऐसी बातें महिलाएँ और पुरुष खुलकर हजारों लोगों की भीड़ के सामने स्वीकार कर लेते हैं और अपने आपको बोझ व तनाव मुक्त कर लेते हैं। इस आत्मस्वीकृति के बाद उनके जीवन में जो बदलाव आता है वो लाखों करोड़ों की कमाई करके भी नहीं आ सकता। हमारा मानना है कि अगर देश की न्यायालयों में चल रहे पारिवारिक विवाद, संपत्ति विवाद जैसे मुकदमों पर केस स्टडी के रूप में राज दीदी के कार्यक्रम में विचार हो तो हजारों लाखों मुकदमों का निपटारा हो सकता है। ससे न्यायालयों का कीमती समय, मुकदमा लड़ने वालों का पैसा और समय तो बचेगा ही उन्हें मानसिक शांति भी मिलेगी, क्योंकि यहाँ फैसला कोई और नहीं करता है बल्कि वह व्यक्ति स्वय़ं करता है जिस पर आरोप लगा है)
मुंबई में किसी को भी कोई आयोजन करना होता है तो उसकी सफलता तभी संभव है जब वह शनिवार या रविवार को ही संभव है। लेकिन शुक्रवार को सुबह 9 बजे मुंबई के उपनगर थाणे के काशीनाथ घाणेकर नाट्यग्रह के 1200 की क्षमता के सभागृह में महिलाओं की उमड़ती भीड़ को देखकर ऐसा लग रहा था मानों यहाँ कोई साड़ी की सेल लगी है। सजी धजी महिलाएँ सुबह ही तैयार होकर हाल में जाने के लिए लाईन में लगी थी। बाहर रिमझिम बारिश हो रही थी और महिलाओं का सतत् आना जारी था।
यह भीड़ थी देश की जानी मानी प्रेरक वक्ता और नारायण रेकी सत्संग परिवार (एनआरएसपी) और रैकी ग्रांड मास्टर श्रीमती राजेश्वरी मोदी राज दीदी (राज मोदी ) के प्रवचनों को सुनने की।
कार्यक्रम शुरु होने के पहले हर कोई अपना स्थान ग्रहण कर लेना चाहता था। कार्यक्रम सुबह दस बजे शुरु होने वाला था लेकिन पूरा हाल सुबह साढ़े 9 बजे ही खचाखच भर चुका था। सैकड़ों महिलाओं की उपस्थिति के बाद भी पूरे हाल में निस्तब्धता थी।
यह कार्यक्रम अग्रवाल चैरिटेबल ट्रस्ट थाणे द्वारा किया गया था और इस आयोजन को सफल बनाने में श्री साँवरमल अग्रवाल, श्रीमती स्नेहा अग्रवाल ने लगातार तीन माह तक मेहनत की। उनके सहयोगियों में श्री जितेन्द्र अग्रवाल, विकास बंसल, संजय अग्रवाल, पवन कुमार अग्रवाल और सुनील टिबड़ेवाल की प्रमुख भूमिका रही।
ठीक दस बजे राज दीदी का आगमन होता है और जैसा कि तमाम आयोजनों में होता है, देर तक एक दूसरे अतिथियों की प्रशंसा, हार फूल पहनाकर कार्यक्रम की शुरुआत की जाती है। यहाँ ऐसा कुछ नहीं था। राज दीदी के आते ही उनके सम्मान में अग्रवाल परिवार की महिलाओं ने शास्त्रीय धुन पर संस्कृत श्लोकों के साथ नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर पूरे वातावरण में अध्यात्मिकता का रस घोल दिया। लगातार साढ़े तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कहीं कोई व्यवधान नहीं हुआ ना कोई बीच में उठकर गया।
मंच पर राज दीदी के आते ही उपस्थित महिलाओं में मानों उत्साह और रोमांच का संचार हो गया।
राज दीदी ने अपने प्रवचनों की शुरुआत इस बात से की कि इस ब्रह्माण्ड में दो ऊर्जाएँ हैं सकारात्मक और नकारात्मक। दोनों ऊर्जाओं के रहस्य, परिणाम और इनके प्रतिफल को उन्होंने सहज और सरल भाषा में समझाया कि किस तरह ये ऊर्जाएँ हमारे जीवन के हर पल को प्रभावित करती है।
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उन्होंने बताया कि अगर हम अपने जीवन में हर काम को पवित्र भाव से, परोपकार, कृतज्ञता व अहोभाव के साथ करेंगे तो ब्रह्माण्ड की सकारात्मक ऊर्जा हमारे काम का कई गुना फल देने के लिए सक्रिय हो जाएगी। यदि हम अपने काम को नकारात्मक भाव से करेंगे तो हमारा काम भले ही हो जाए लेकिन इसके साथ ही हमें कई परेशानियों और संकटों का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे वेद पुराणों और अध्यात्मिक साहित्य का सार नारायण शास्त्र है। नारायण शास्त्र में पूरा जीवन दर्शन छुपा है। पृथ्वी पर हर व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहता है लेकिन हर एक की प्रसन्नता की परिभाषा अलग है। हम जब शास्त्र पढ़ते हैं तो कई बातें समझ में ही नहीं आती। नारायण शास्त्र की भाषा सीधी और सरल है। हमारे साथ किसी ने कुछ भी बुरा किया हो अगर हम उसके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो हम किसी के साथ बी बुरा होने के कुचक्र को तोड़ देते हैं और अगर हम भी उसका या किसी का बुरा करना चाहते हैं तो हम बुराई के कुचक्र का विस्तार करने लगते हैं।
हम जब भी हम कोई अच्छा काम करते हैं तो कई लोगों को बताते हैं कि मैने ये अच्छा काम किया। लेकिन हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि हमारा भाग्य परमात्मा ने पेंसिल से लिखा है। अगर हम हर अच्छे काम का श्रेय लेंगे तो हमारे भाग्य में लिखी कई अच्छी चीजें परमात्मा मिटा भी सकता है। हम अगर किसी से झगड़ा करें या उसे अपशब्द कहें तो उसका परिणाम आपको भी भुगतना पड़ेगा। आप सामने वाले की किसी भी बात पर गुस्से में प्रतिक्रिया देकर उसे फिर से अपने प्रति नफरत या गुस्से से भर देते हैं। इसके विपरीत यदि आप कोई प्रतिक्रिया ना दें तो सामने वाले को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर देंगे कि उसने आपके साथ बुरा किया। इसके साथ ही आपके अंदर भी एक सकारात्मक ऊराजा का संचार होने लगता है। इससे आप आने वाले दिनों में कई बेहतर काम करने लगते हैं।
अगर आप चुप रह जाते हैं और ये सोचते हैं कि ऊपर लाला सब देख रहा है वह इसका दंड उसे देगा तो ये भी गलत है। आप कई बार शांत रह जाते हैं लेकिन आपके शुभचिंतक आपको उकसाते रहते हैं कि तुम्हारे साथ गलत हुआ तुमको चुप नहीं रहना चाहिए। घर में अगर किसी तरह का विवाद होता है तो भी आपके शुभचिंतक , रिश्तेदार आदि आपको य़ही कहते हैं कि तुम्हारे साथ गलत हो रहा है, तुम चुप मत रहना।
राज दीदी ने अपने संक्षिप्त प्रबोधन के साथ कई जीवंत उदाहरणों से अपनी बात सामने रखी तो पूरे हाल में सन्नाटा सा छा गया। उन्होंने ऐसे ऐसे जीवंत प्रसंगों को ऑडियो रेकॉर्डिंग के माध्यम से सामने रखा कि हर एक व्यक्ति सोचने पर विवश हो गया।
उन्होंने बताया कि उनके सत्संग में जो महिलाएँ आती है जब वे अपनी गल्तियाँ स्वीकार कर लेती है तो फिर उनके जीवन में कैसा सकारात्मक असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि पिता की संपत्ति उनकी अपनी है वो जिसे देना चाहें उसे दें, ये उनका अधिकार है अगर कोई बेटा, बेटी या बहू उसे लड़ झगड़कर हासिल करता है तो उसके कई दुष्परिणाम आते हैं। उन्होंने कहा कि संपत्ति को हमारी परंपरा में द्रव्य कहा गया है और द्रव्य मुठ्ठी बंद करते ही मुठ्ठी से बह जाता है।
उनके प्रवचनों के साथ ही कुछ ऑडियो क्लिप भी सुनाई जाती है जिनसे पता चलता है कि जिन लोगों ने अपनी गल्तियों को स्वीकार कर लिया उनके जीवन में कैसे बदलाव आने लगा।
सूरत के एक व्यक्ति का ऑडियो सुनाया गया जिसमें वह इस बात की आत्मसिव्कृति करता है कि उसने संपत्ति को लेकर पिता के साथ दुर्वयवहार किया और इसका नतीजा ये निकला कि उसका हर काम बिगड़ने लगा और कई बीमारियों ने घेर लिया। परिवार से भी अलग होना पड़ा। उसने अचानक यू ट्यूब पर राज दीदी का कोई वीडियो देख लिया और जब उसने कार्यक्रम में आकर 16 जून को अपनी गल्तियों को अहोभाव से स्वीकार कर लिया और 17 जून से से ही उसके जीवन में जो बदलाव आया उसे सुनकर लगता है कि आत्म स्वीकृति की यो औषधि कितनी असरकारक है। उसने बताया कि दूसरे दिन सुबह सोकर उठा तो ऐसा लगा जैसे बहुत भारमुक्त होकर उठा हूँ। फिर उसने अपने पिता से और अपने परिवार वालों से क्षमा मांगी।
एक महिला का ऑडियो चलाया गया। उसमें उसने कहा कि सासु माँ के निधन के बाद पता चला कि उन्होंने अपनी सारी रकम और पैसे मेरी ननंद के नाम कर दिए। जबकि जीवन पर्यंत उनकी सेवा मैंने और मेरे देवर के परिवार ने की थी। मेरे मन में इस बात को लेकर बहुत द्वंद था। तीन महीने लगातार इस पर चिंता करने के बाद एक दिन मैने इससे अपने आपको मुक्त कर लिया। आज मेरे पास इतना सोना है जितना मुझे सासु माँ से भी नहीं मिल पाता।
एक अन्य महिला के ऑडियो में बताया गया कि मैं अपने सास ससुर से ढंग से व्यवहार नहीं करती थी। घर में हम चार लोग ही थे मगर शांति नहीं रहती थी। यू ट्यूब पर नारायण रेकी सत्संग में राज दीदी को सुना तो अपने आपको बदल दिया आज हम चारों लोग घर में सुकुन से रह रहे हैं।
एक संपन्न परिवार की महिला का उल्लेख करते हुए राज दीदी ने बताया कि कैसे आत्मस्वीकृति से इस परिवार का जीवन बदला। इस महिला ने बताया कि हम दीवाली पर कई दिनों तक हजारों रुपये के पटाखे छोड़ते थे। कई बार लोग शिकायत करते थे कि इतने पटाखे लगातार इतनी तेज आवाज में फोड़ने से उनको परेशानी होती है, लेकिन हमने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। उस महिला का पोता हुआ तो तीन साल की उम्र में वह किसी भी आवाज से घबराने लगा, बैंड बाजों की आवाज से डरने लगा। उसे कोई भी तेज आवाज होने पर बैचेनी होने लगती थी, वह बोल भी नहीं पाता था। यह बात राज दीदी को व्यक्तिगत बातचीत में बताई तो दीदी ने कहा कि ये बात सत्संग में सभी लोगों के सामने कहना। इस पर महिला का कहना था कि 6 हजार लोगों की भीड़ में ये बात कहना बहुत मुश्किल होगा। दूसरे दिन जब वह महिला सत्संग में आई तो इस बात को स्वीकार कर लिया। उसका कहना था कि उसके भीतर से ये भाव आया कि मुझे अपनी गलती सार्वजनिक रूप से मान लेना चाहिए। इस आत्म स्वीकृति के कुछ दिनों बाद महिला ने बताया कि उसके पोते की आवाज अपने आप ठीक हो गई।
एक अन्य ऑडियो में एक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि मैंने एक हिल स्टेशन पर जाने के लिए एक होटल बुक की। लेकिन एक टैक्सी वाले के कहने पर उस होटल में न जाकर दूसरी होटल में चला गया सका नतीजा ये हुआ कि मेरा इतना ही नुक्सान हुआ जितने में मैने होटल बुक की थी लेकिन होटल में नहीं गया।
एक महिला ने बताया कि वह बिना किसी वजह से अपनी सासु माँ से दूर रहना चाहती थी, इसका नतीजा ये हुआ कि उसका बेटा उसका फोन नहीं उठाता है और बात तक नहीं करता है।
एक महिला ने बताया कि वो दुबई में रहती थी उसके पति ने एक बार उसे सत्संग में जाते समय 5 लाख रुपये सत्संग में देने के लिए दिए। लेकिन मेरे साथ मेरी बहन और माँ थी दोनों ने कहा कि वहाँ तो ऐसे भी दान बहुत आएगा, तुम इसमें से कुछ रख लो और थोड़ा बहुत दान कर दो। मैने उकी बात मान ली। इसका नतीजा ये हुआ कि दुबई एअरपोर्ट से भारत आते समय मुझ पर तीन करोड़ के फ्राड का केस बन गया। माँ को ब्रैन ट्यूमर हो गया। बहन का घर बर्बाद हो गया। मेरे पिता का घर बर्बाद हो गया। घर का सारा सामान बिक गया और हम दाल रोटी के मोहताज हो गए।
एक अन्य महिला ने बताया कि बचपन में मेरी दादी और मैँ हमारे ताउजी के खेत से बाजारा चोरी करके अपने बाजरे के ढेर में मिला लेते थे इससे हमारे घर की बरकत तो चली ही गई। हैरानी की बात ये थी कि हमारे चोरी करने के बावजूद हमारे ताऊजी का बाजरा ज्यादा ही निकलता था।
ऐसे कई मार्मिक किस्सों के साथ राज दीदी का सत्संग चलता रहा और राज दीदी एक एक घटना और किस्से का तार्किक, अध्यात्मिक और सटीक विश्लेषण करती रही। राज दीदी ने कहा कि प्रकृति हर चीज का पूरा हिसाब करती है। जहाँ कहीं भी हम किसी को धोखा देकर अपना हिस साधते हैं हमको उसका कई गुना भुगतना ही पड़ता है।
सकारात्मक सोच का एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई में बीच सड़क पर एक व्यक्ति को किसी ने गोली मार दी, वो गिर पड़े। लोग उन्हें अस्पताल ले गए और पुलिस पूछताछ के लिए आई तो उन्होंने कहा कि वे किसी के खिलाफ रिपोर्ट लिखना नहीं चाहते। लेकिन पुलिस की मजबूरी थी कि उनको तो इस मामले में जाँच करना ही थी। जाँच के दौरान उनके सामने उस व्यक्ति को भी लाया गया जिसने गोली मारी थी, लेकिन उन्होंने उसे पहचानने से इंकार कर दिया।
बाद में वे उस आदमी के घर गए जिसने गोली चलाई थी तो उसके बुजुर्ग माता -पिता से मिले। वह बहुत गरीब परिवार था। वहाँ उस लड़के से मिलकर गोली चलाने का कारण पूछा तो उसने कहा कि उसने चार लोगों से कर्ज ले रखा है और अब सके पास चुकाने को कुछ नहीं है इसलिए वो बाकी तीन लोगों को भी गोली मारेगा। उन्होंने अपने बेटे से पाँच लाख रुपये मंगवाकर उसे दे दिये और कहा कि इससे अपना कर्ज चुका दो।
ऐसे कई ऑडिओ चलाए गए जिनमें महिलाओं और पुरुषों ने अपने व्यवहार, पूर्वाग्रह और राग द्वेष संपत्ति विवाद जैसी तमाम बातों को पूरे अहोभाव से स्वीकार किया और उसके बाद उनके जीवन में कैसे चमत्कारिक परिवर्तन हुए यही बात उन्होंने खुद अपनी रेकॉर्डिंग भेजकर बताई।
राज दीदी देश और दुनिया के कई मंचों पर विगत कई वर्षों से ये कार्यक्रम कर रही है और उनकी प्रेरणा से लाखों परिवारों में एक सकारात्मक सोच पैदा हुई है। उनकी सकारात्मक सोच की शक्ति ने हजारों परिवारों ने विशेषकर महिलाओं ने अपने परिवारों को टूटने से बचाया है और नई पीढ़ी को संस्कारवान किया है।
देश के 28 शहरों अहमदाबाद, आगरास अकोला, अमरावती, बैंगलुरु, बड़ौदा, भंडारा, भीलवाड़ा, बस्ती चैन्नई, कोचिन, दिल्ली , धनबाद, डिब्रूगढ़, देवरिया, धूलिया, गुरुग्राम, गोआ, गोंदिया गाजियाबाद, गोरखपुर, हैदराबाद, इन्दौर, इचलकरंजी, जयपुर, झुंझुनू, कोलकोता, खामगाँव, मालेगाँव, मोरबी, नागपुर, नांदेड़, नवलगढ़, पुणे, पटना, पिछोरा, रायपुर, राँची, रामगढ़, सूरत, सीकर, सिलिगुड़ी, विशाखापट्टनम, वाराणसी और उदयपुर में नारायण रैकी के केंद्र कार्य कर रहे हैं। विदेशों में अमरीका के शिकागो, कनेक्टिकट, न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, डैलास, ह्यूस्टन के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, बैंकाक, कैनाडा, जकार्ता, दुबई, लंदन में भी उनके केंद्र सक्रिय हैं।
नारायण रैकी सत्संग परिवार की वेब साईट http://narayanreikisatsangparivar.com/