मैं व्यापारी हूँ अलग क़िस्म के सामान बेचता हूँ।
सही समझ रहे हैं तरह तरह के सम्मान बेचता हूँ।
धंधा बहुत ही चंगा सी है हर सीजन में चलता है।
सम्मान कार्यक्रमों से मेरे घर का खर्चा चलता है।
मेरा ब्रौशर देखो इसमें कई किसिम के पैकेज हैं।
उससे अलग चाहिए तो कस्टम बिल्ट बैगेज हैं।
कवियों और कथाकारों हेतु कई श्रेणियाँ हैं इनमें।
जैसा माल लगाओगे वैसा सम्मान मिलेगा इनमें।
पैसा एडवांस आते ही सारी तैयारी शुरू हो जाएगी।
श्रोता, हाल , संचालन में कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
सम्मानित करने को महामहिम तक आ सकते हैं ।
खर्चा जरा लगेगा लेकिन बेहतर कवरेज पा सकते हैं।
बढ़िया न्यूज़ छपेगी टीवी पर भी दिखला सकते हैं।
पैसे ज्यादा डालोगे तो कई चैनल कवर कर सकते हैं।
एकल सम्मान आयोजित करना जरा महँगा पड़ता है।
संयुक्त कार्यक्रमों में सम्मानित होना सस्ता रहता है।
शिरोमणि, भूषण , विभूषण जैसी कई श्रेणी शामिल हैं।
जितना बड़ा सम्मान होगा उतनी अच्छी कवरेज रहती है।
क्या कहा , ऐसे ही ऑफर सस्ते से औरों से भी आए हैं।
अरे भाई इस फ़ील्ड में नौसिखिये भी उतर आए हैं।
जिनका कोई स्तर नहीं है न ही हम सा नेटवर्क है।
न ही कोई बड़ा नाम है न ही उनकी कोई नेटवर्थ है।
वो तो इतने गिरे हुए हैं क़स्बों को भी नहीं छोड़ा है।
ऐसे आयोजन करके सम्मानों का क़द किया छोटा है।
महानगरीय और राष्ट्रीय स्तरीय प्लेयर सीमित ही हैं।
हर साल नये भी आते उनका सर्वाइवल मुश्किल ही है।
और कहीं न जाने दूँगा कुछ वैल्यू एडिशन करवा दूँगा।
कुछ सम्मानित कवियों से फीडबैक भी दिलवा दूँगा।
टैलेंट नहीं हो फिर भी हम सब कुछ संभव कर देते हैं भ
लिखवा के बुक किसी घोस्ट से नाम आपके कर देते हैं।
इन्हीं कारणों से अपनी साख अव्वल नम्बर पर है।
अपना अगला प्रोजेक्ट दूसरे सम्मानों पर फ़ोकस है।
जिसमें पैसा अधिक आ सके चिक चिक बहुत कम है।
ये फ़ोकस होंगे शिक्षा, बैंकिंग , राजभाषा आदि पर।
इसमें बिना श्रम किए मिल जाते हैं अनेकों स्पॉन्सर
बेहतर होगा एक लंबी मीटिंग हेतु आ जाएँ गर।
सारे संशय दूर करूँगा चर्चा में शामिल हो कर।
शीघ्र प्रकाश्य नए संग्रह से