Tuesday, November 26, 2024
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“कारकेन” मुक्ति की एक कहानी, अपने अंदर की आवाज को खोजने की एक यात्रा: निर्देशक नेंडिंग लोडर

सिनेमा में एक गैंगस्टर को बदलने की ताकत है: ‘जिगरथंडा डबल एक्स’ के निर्देशक कार्तिक सुब्बाराज

‘बट्टो का बुलबुला’ की कहानी हरियाणा के ग्रामीण जीवन में गहराई से रची बसी है: संपादक सक्षम यादव

तीन फिल्मों, बट्टो का बुलबुला, कारकेन और जिगरथंडा डबल एक्स के कलाकार और क्रू आज गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में एक रोचक प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए एकत्र हुए। फिल्म निर्माताओं ने अपनी-अपनी रचनात्मक यात्रा, निर्माण के दौरान सामने आई चुनौतियों और सिनेमा के भविष्य के प्रति अपने दृष्टिकोण के बारे में जानकारी साझा की।

कारकेन – जुनून और मुक्ति की यात्रा
गोआ । यहाँ आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में कारकेन के निर्देशक बेंडिंग लोड ने अपनी फिल्म के बारे में जिज्ञासा से बात की, जो सामाजिक अपेक्षाओं और व्यक्तिगत इच्छा के बीच फंसे एक व्यक्ति के आंतरिक संघर्ष पर आधारित है। लोडर ने कहा, “यह मुक्ति की एक कहानी है, यह अपनी अंतरात्मा की आवाज को खोजने की यात्रा के बारे में है।” लोडर ने फिल्म निर्माण में सहयोग के लिए राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के प्रति आभार व्यक्त किया तथा अरुणाचल प्रदेश में फिल्मांकन की कठिनाई को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “राज्य में असाधारण प्रतिभाएं मौजूद हैं लेकिन उभरते फिल्म निर्माताओं के लिए पर्याप्त मंच का अभाव है। मुझे विश्वास है कि यह फिल्म अगली पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं को अपने सपनों का अनुसरण करने और अपनी कहानियां बताने के लिए प्रेरित करेगी।”

सिनेमैटोग्राफर न्यागो ने एक सीमित स्थान में एक ही किरदार के साथ शूटिंग करने का अपना अनुभव साझा किया, यह एक ऐसी चुनौती थी जिसका सामना उन्होंने पहले कभी नहीं किया था। उन्होंने कहा, “यह एक अनूठा अनुभव था जिसने एक सिनेमैटोग्राफर के रूप में मेरी सीमाओं के दायरे को आगे बढ़ाया।”

जिगरथंडा डबल एक्स – सिनेमा में गैंगस्टर को बदलने की ताकत

जिगरथंडा डबल एक्स के दूरदर्शी निर्देशक कार्तिक सुब्बाराज ने फिल्म के अंतर्निहित विषय : सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए सिनेमा की शक्ति के बारे में बात की। सुब्बाराज ने कहा, “सिनेमा समाज को बदलने का एक बेहतरीन साधन है। इसमें एक गैंगस्टर को भी बदलने की शक्ति है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह फिल्म मानव और जानवरों के बीच संबंधों को गहराई से दर्शाती है तथा दोनों के बीच संबंध को जोड़ती है। इसके अतिरिक्त सुब्बाराज ने मुख्यधारा के व्यावसायिक सिनेमा और कला सिनेमा के बीच की रेखाओं को हलका करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह फिल्म मुख्यधारा सिनेमा के मनोरंजन को कला सिनेमा की गहराई और अर्थ के साथ जोड़कर इन दोनों दुनियाओं को आपस में जोड़ती है।”

बट्टो का बुलबुला – हरियाणा में ग्रामीण जीवन का उत्सव

बट्टो का बुलबुला के संपादक सक्षम यादव ने पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान आने वाली चुनौतियों खासकर फिल्म के विस्तारित शॉट्स के कारण पर चर्चा की। श्री यादव ने कहा, “सबसे बड़ी चुनौती फिल्म के अंतर्निहित आकर्षण को बनाए रखना था, साथ ही शॉट्स की लंबाई को भी नियंत्रित करना था।”

फिल्म के फोटोग्राफी निर्देशक (डीओपी) आर्यन सिंह ने प्रामाणिकता के प्रति टीम की प्रतिबद्धता के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह कहानी हरियाणा के ग्रामीण जीवन में गहराई से निहित है। आर्यन सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य ग्रामीण जीवन के सार को इस तरह से प्रस्तुत करना था कि वह वास्तविक, अनफिल्टर्ड और कहानी में डूब जाने वाला लगे।”

फिल्मों के बारे में

बट्टो का बुलबुला

रंगीन | 35′ | हरियाणवी | 2024

सारांश

हरियाणा के एक गांव में बुजुर्ग बट्टो अपने बिछड़े हुए दोस्त सुल्तान के साथ अक्सर शराब पीते हुए अपना दिन गुजारता है। अपनी अधिकांश जमीन बेच चुका बट्टो, गाँव छोड़ने के लिए आपनी बाकी बची जमीन भी बेचने की योजना बना रहा है। उसका चालाक दत्तक पुत्र बिट्टू उस पर जमीन के लिए दबाव डालता है, जिससे भावनात्मक उथल-पुथल मच जाती है। बट्टो का दोस्त सुल्तान लगातार सच्चाई की तलाश करता है जिसके कारण तनावपूर्ण टकराव होता है। अंततः बट्टो को सच्ची दोस्ती की ताकत और विश्वासघात के बीच के महत्व का एहसास होता है।

कलाकार और क्रू सदस्य

निर्देशक: अक्षय भारद्वाज

निर्माता: दादा लखमी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स (डीएलसी सुपवा)

छायाकार: अक्षय भारद्वाज

पटकथा लेखक : रजत करिया

संपादक: सक्षम यादव

कास्ट: कृष्ण नाटक

छायाकार: अक्षय भारद्वाज

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