मंजुल भारद्वाज रचित नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड’ झुलसी पृथ्वी और तपते ब्रह्माण्ड को शांत कर प्राकृतिक प्रकोप से मानवता को बचाने का कलात्मक अभियान है । विज्ञान से उत्पन्न तकनीक से मनुष्य प्रकृति को जीतना चाहता है। अप्राकृतिक विकास में अंधी हो दुनिया की महाशक्तियां पृथ्वी को उजाड़ रही हैं। जिससे पूरी मानवता खतरे में है । नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड’ प्रकृति , पर्यावरण ,इकोलॉजी को सहेजने की कलात्मक प्रतिज्ञा है ।
आप कितने भी अमीर हों,गरीब हों, ग्रामीण हों या शहरी, आप कोई भी भाषा बोलते हों,दुनिया में कहीं भी रहते हों, किसी भी राजनीतिक पार्टी या नेता के भक्त हों,किसी भी वाद को मानते हों या वादग्रस्त हों,किसी भी ईश्वर या धर्म को मानने वाले हों प्राकृतिक आपदा आपको नहीं छोड़ती। वो आपको कुचल देती है। आपका अहंकार, हेकड़ी निकाल कर मिट्टी में मिला देती है।
सावधान हो जाइए ! होश में आइए ! आप पंचतत्व से निर्मित हैं! पंचतत्व को आप नहीं बनाते । संपूर्ण प्रकृति की प्रक्रिया विज्ञान है। इसलिए प्रकृति के चंद सूत्र वैज्ञानिकों के हाथ लगे हैं। जिनको उन्होंने पूंजीवादियों को बेच दिया और ऐसी तकनीक विकसित की जो आज पृथ्वी,पर्यावरण और पंचतत्व को प्रदूषित कर बर्बाद कर रही हैं।
अफ़सोस इकोलॉजी की इस बरबादी को दुनिया का पढ़ा लिखा अनपढ़ वर्ग ‘ विकास ‘ कहता है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है मानव निर्मित महामारी को याद कर लीजिए एक एक सांस को दुनिया तरस गई थी और हर घर श्मशान और कब्रिस्तान बन गया था ।
चारों ओर देखिए प्रदूषित हवा, जल और मिट्टी आपको घेरे हुए है। बारिश, बाढ़, सूखा, आग तांडव मचाए हुए हैं।
पृथ्वी को बुखार है। तापमान बढ़ गया है। ओज़ोन परत फट गई है।
मंजुल भारद्वाज रचित नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड’ झुलसी पृथ्वी और तपते ब्रह्माण्ड को शांत कर प्राकृतिक प्रकोप से मानवता को बचाने का कलात्मक अभियान है । विज्ञान से उत्पन्न तकनीक से मनुष्य प्रकृति को जीतना चाहता है। अप्राकृतिक विकास में अंधी हो दुनिया की महाशक्तियां पृथ्वी को उजाड़ रही हैं। जिससे पूरी मानवता खतरे में है । नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड’ प्रकृति , पर्यावरण ,इकोलॉजी को सहेजने की कलात्मक प्रतिज्ञा है
आओ अपनी चेतना जगाए । पृथ्वी के विनाश को रोकें। पृथ्वी, इकोलॉजी, मानवता और स्वयं को बचाएं !
नोट: नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड यूरोप में मंचित हो चुका है!
थियेटर ऑफ़ रेलेवंस के नाटक ‘द… अदर वर्ल्ड’ के संदेश इकोलॉजी – ह्यूमनोलॉजी से 72 दिनों तक यूरोप गुंजायमान रहा !
भारतीय रंगमंच के लिए यह पल अनोखे और कलात्मक रहे ,अमूमन भारतीय रंगमंच पर पाश्चात्य धुंध छाई रहती हैं पर थियेटर ऑफ़ रेलेवंस रंग दर्शन ने सर्द यूरोप की बर्फ़ को भारतीय दर्शन, तत्व और कलात्मक ताप से पिघला दिया । 72 दिन (14 सितम्बर से 24 नवम्बर) भारतीय रंगमंच का परचम गर्व से लहराता रहा !
थियेटर ऑफ़ रेलेवंस प्रस्तुत
नाटक : द… अदर वर्ल्ड ( मराठी)
लेखक – निर्देशक : मंजुल भारद्वाज
कलाकर: अश्विनी नांदेड़कर, सायली पावसकर, कोमल खामकर,तुषार म्हस्के, प्रियंका कांबले, नृपाली जोशी, तनिष्का, प्रांजल , समर और प्रणम्य !
21 दिसंबर,2024 , शनिवार,सुबह 11.00 बजे
श्री शिवाजी मंदिर,दादर (पश्चिम) , मुंबई !