61वर्षीय महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत ओड़िशा प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर स्थित दो विश्वविख्यात शैक्षिक संस्थाओं कीट-कीस के संस्थापक हैं जो आज कीट-कीस दो डीम्ड विश्वविद्यालय हैं।कीट जहां पर नालंदा के इतिहास को तकनीकी एवं उच्च शिक्षा के माध्यम से साकार कर रहा है वहीं कीस वास्तविक शांतिनिकेतन बनकर सच्चे मानव निर्माण का केन्द्र बन चुका है।
मेरा यह व्यक्तिगत मत है कि जिस प्रकार तमिल कवि स्वर्गीय सी. सुब्रमण्यम भारतीजी के जन्मदिन,11दिसंबर को सम्पूर्ण भारतवर्ष भाषा दिवस के रुप में मनाता है ठीक उसीप्रकार ओड़िशा प्रदेश के महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत के जन्मदिन 20 जनवरी को आलोक पुरुष एवं शांतिदूत दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए।महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत आज 21वीं सदी के वास्तविक और यथार्थ आलोकपुरुष एवं शांतिदूत बन चुके हैं।उन्हें भारत समेत दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों से कुल 63 कीर्तिमान मानद डॉक्टरेट की डिग्री मिल चुकी है।वे अपनी उत्कृष्ट शैक्षिक पहल कीट-कीस-कीम्स के माध्यम से पूरे विश्व में शांति का पैगाम दे रहे हैं। जिसप्रकार तमिल कवि स्वर्गीय सी. सुब्रमण्यम भारतीजी ने अपनी तमिल कविता के माध्यम से देशप्रेम का संदेश दिया है जिसका हिन्दी रुपांतर हैः
चमक रहा उत्तुंग हिमालय, यह नगराज हमारा ही है।
जोड़ नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है।
नदी हमारी ही है गंगा, प्लावित करती मधुरस धारा,
बहती है क्या कहीं और भी, ऐसी पावन कल-कल धारा।
सम्मानित जो सकल विश्व में, महिमा जिनकी बहुत रही है
अमर ग्रन्थ वे सभी हमारे, उपनिषदों का देश यही है।
गाएंगे यश हम सब इसका, यह है स्वर्णिम देश हमारा,
आगे कौन जगत में हमसे, यह है भारत देश हमारा।
ठीक उसी प्रकार महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने नैतिक दायित्वों(कीट-कीस-कीम्स) के माध्यम से विश्व के अनेक महान् नोबेल पुरस्कारप्राप्त विभूतियों,धर्मगुरुओं,रतन टाटा तथा बिलग्रेट आदि को कीस मानवतावादी अवार्ड प्रदानकर सच्चे मानवतावादी बन चुके हैं।
एक साक्षात्कार में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने यह स्पष्ट किया कि उनके व्यक्तिगत जीवन में तथा उनकी विश्वविख्यात शैक्षिक संस्थाएं कीट-कीस की स्थापना के मूल में सत्य,करुणा और प्रेम ही हैं। कौन बनेगा करोड़पति के हॉट सीट पर जब प्रोफेसर अच्युत सामंत बैठे तो 21वीं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जी ने उन्हें सच्चा कर्मवीर बताया था। मेरी व्यक्तिगत अनुभूति के अनुसार प्रोफेसर अच्युत सामंत गरीबों के जीवित मसीहा हैं। आदिवासी समुदाय के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए देवदूत हैं।महिला सशक्तिकरण के आदर्श हैं।बाल प्रतिभा,विज्ञान प्रतिभा तथा खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए शांतिदूत हैं। वे 21वीं सदी के युवाओं के यथार्थ पथप्रदर्शक हैं।वे वास्विक जननायक हैं। उनके जीवन के यथार्थ आदर्शों को अपनाकर बच्चे,युवा और समाजसेवी सदाचारी बन सकते हैं तथा देश के शक्तिबोध तथा सौंदर्य बोध को बढ़ा सकते हैं।
आलोक पुरुष एवं शांतिदूतः महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत की ओर से नव वर्षः2025 की बहुत-बहुत बधाइयां तथा अनेकानेक शुभकामनाएं।
(लेखक भुवनेश्वर में रहते हैं और ओड़िशा की साहित्यिक, सांस्कृतिक राजनीतिक व अध्यात्मिक गतिविधियो पर निरंतर लेखन करते रहते हैं)