लंदन । लंदन में बसे प्रवासी भारतीय यहाँ हिंदी की मशाल जलाए हुए हैं . मधुरेश मिश्रा भी उन्हीं प्रवासी भारतीयों में से एक हैं जिन्होंने अपने प्रबंधन कौशल से तो अपने क्षेत्र में पहचान बनाई है साथ ही वे सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं . मधुरेश कविता लिखते हैं. उनका पहला काव्य संग्रह ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ का लोकार्पण नेहरू सेंटर, लंदन हुआ. लंदन के जाने माने कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि जो अलख आज से तीस पैंतीस वर्ष पहले यहाँ साहित्यकारों की पीढ़ी ने जगाई थी अब उस परम्परा को नई पीढ़ी संभाल रही है . उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना जरूरी है .
इस अवसर पर उपस्थित महत्तवपूर्ण व्यक्तियों में हाउस ऑफ़ कॉमन्स के सदस्य रह चुके वीरेंद्र शर्मा औरभारतीय उच्चायोग में सांस्कृतिक अटैचे डॉ. नंदिता साहू सोनी (अताशे, हिंदी व संस्कृति,) भी थे. बीबीसी हिंदी के जाने माने नाम विजय राणा ने मधुरेश मिश्रा से पुस्तक के कथ्य पर संवाद भी किया।