अपने नौकर के बेटे को पढ़ाने की एक सेवानिवृत्त इंजीनियर की छोटी सी कोशिश आज एक ऐसे स्कूल में तब्दील हो चुकी है, जिसमें 400 से अधिक बच्चों को पढ़ाया जाता है। 70 साल के सेवानिवृत्त इंजीनियर जेडी खुराना और उनकी पत्नी ने सरकारी मान्यता प्राप्त गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘गुरु नानक सेवा संस्थान’ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि बच्चों को काम करते देख उन्हें बहुत तकलीफ होती थी, इसलिए उन्होंने खुद इन बच्चों के भविष्य को संवारने की जिम्मा उठाया।
खुराना ने कहा, ‘सेवा के दौरान मैं और मेरी पत्नी छोटे बच्चों को स्कूल जाने के बजाए नौकर का काम करते या कचरा बीनते देख असहज हो जाते। इसके बाद हमने अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा जरूरतमंदों की मदद के लिए निकालना शुरू कर दिया।’ बच्चों को पढ़ाने की इस दंपति की मुहिम उनके ड्राइवर के बेटे से शुरू हुई, जिसके बाद उन्होंने कॉलेज में पढ़ने वाली एक दृष्टिहीन लड़की की मदद की। खुराना की पतनी उसी कॉलेज में प्राधानाध्यापिका थीं। दंपति की इस कोशिश ने जल्द ही ‘नई किरण यूनिवर्सल स्कूल’ का रूप ले लिया।
आर्डी सिटी के पार्किंग क्षेत्र में चार बच्चों से शुरू किया गया यह स्कूल अब एक ऐसे पूर्ण संस्थान में बदल चुका है, जहां प्री-नर्सरी से नौवीं तक की कक्षाएं अस्थाई तंबुओं में चलाई जाती हैं। सेवानिवृत्त इंजीनियर ने कहा, ‘हम लोग बच्चों को मुफ्त किताबें, पाठ्य-पुस्तकें, दोपहर का भोजन और गर्मी व सर्दी के यूनीफॉर्म देते हैं। हम लोग अपने छात्रों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाते हैं और दिल्ली पब्लिक स्कूल के पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं। डॉक्टर स्कूल का साप्ताहिक दौरा करते हैं और बच्चों का टीकाकरण भी किया जाता है।’
सेवानिवृत्त प्राधानाध्यापक और स्कूल के अहम सदस्य हरदीप मल्होत्रा ने बताया, ‘स्कूल के लिए हमने बिजली, पानी और शौचालय से युक्त एक पक्का मकान बनाया था। बाद में यह जमीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को बेच दी गई और प्राधिकरण ने हमें बिना कोई सूचना दिए उस मकान को गिरा दिया। बहरहाल, बाद में जिला आयुक्त ने इसका दोबारा निर्माण करवाया और कहा कि इसे गलती से गिराया गया था।’ पेशे से दंत चिकित्सक और स्वेच्छा से हर सुबह बच्चों को पढ़ाने वाली डॉ. रेणु सिंह ने कहा, ‘अगर आप इन बच्चों से बात करें तो आप जानेंगे कि ये कितने प्रतिभावान हैं। कुछ तो कला में बहुत बेहतर हैं। इन सभी में सीखने की लगन है और ये पढ़ाई को लेकर बहुत समर्पित हैं।’
साभार- http://www.jansatta.com/ से