मुंबई। जैन मुनि आचार्य श्री नयचंद्रसागरसूरीजी द्वारा सरस्वती साधना के अवधान प्रयोग से स्मरण शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और मीडिया से लेकर शोधार्थियों तक में चर्चा का केंद्र बन गया है। अपने गुरू श्री नयचंद्रसागरसूरीजी के मार्गदर्शन में अवधान की साधना कर मुनि श्री अजीतचंद्रसागर जी ने कई बच्चों को इस विद्या में प्रशिक्षित कर उनके अंदर चमत्कारी प्रभाव पैदा किए हैं। इस विद्या को देश के जाने माने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों जिनमें इसरो के वैज्ञानिक नरेंद्र भंडारी व सुरेंद्र सिंह पोनखरना, जाने माने न्यूरोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. सुधीर शाह, प्रसिध्द न्यूरो सर्जन परेश डोसी, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पाटणकर और प्रसिध्द मनोवैज्ञानिक डॉ. उर्वशी बेन शाह शामिल हैं, इसका वैज्ञानिक अध्ययन कर इससे आने वाले परिणामों पर हैरानी जताई है।
इन प्रशिक्षित बच्चों में से चुने गए तीन बच्चों द्वारा अवधान का प्रयोग रविवार 24 अप्रैल, 2016 को सुबह 11 बजे से 1 बजे तक दादर सेंट्रल के स्वामीनारायण मंदिर के योगी सभागृह में किया जाएगा। इन मंत्रों का परीक्षण जैन समुदाय के 11-14 आयु वर्ग के सौ बच्चों पर को दो समूहों में किया गया, जिनमें कई ने 36 दिनों की सरस्वती साधना से मान्यता को वैज्ञानिक कसौटी पर कसने की कोशिश की कि मंत्र उच्चारण व ध्यान से चेतना व इंद्रियबोध बढ़ता है और बेहतर स्मरणशक्ति व एकाग्रता हासिल होती है। मुनि श्री अजितचंद्रजी सागरजी ने अब तक 25 हजार बच्चों को सरस्वती साधना में प्रशिक्षित कर उनके अंदर स्मरण शक्ति से लेकर कई चमत्कारिक मानसिक बदलाव किए हैं।
इसके पहले मुनिश्री अजीतचंद्र सागरजी ने मुंबई में नवंबर 2014 में आयोजित एक कार्यक्रम में इस विद्या इस विद्या से सबको चमत्कृत कर दिया था। 5 हजार लोगों की भीड़ में उन्होंने 500 लोगों के सवाल-जवाब सुने, फिर उन्हें उसी क्रम में लोगों को सुनाकर फिर वही सवाल-जवाब आरोही-अवरोही क्रम में भी सुनाए।
ऐसा माना जाता है कि राजा भोज के दरबार में एक जैन मुनि सुंदर सुरीश्वरजी महाराज साहेब ने क्रमवार 1000 सवालों के जवाब दिए थे। उनकी इस कला से प्रसन्न होकर राजा भोज ने सुरीश्वरजी को “सहस्त्रावधानी” उपाधि प्रदान की थी।
न्यू यॉर्क टाईम्स में मुनिश्री अजीतचंद्रसागरजी पर प्रकाशित रिपोर्ट
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