कंधमाल,ओडिशा,भारत के लोकसभा के माननीय सांसद तथा भुवनेश्वर,ओडिशा के दो विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थानों कीट-कीस के संस्थापक हैं-महान् शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत।
अमुमन यह देखा गया है कि किसी के बचपन की घोर गरीबी उसे गलत आचरण की ओर ले जाती है(भूखा पेट तो पाप करता ही है) लेकिन प्रोफेसर अच्युत सामंत के शैशवकाल की घोर आर्थिक गरीबी ने उनको आलोकपुरुष प्रोफेसर अच्युत सामंत बना दिया है
इस देश में कितने ही राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राजनेता, उद्योगपति, समाजसेवी से लेकर फिल्म और टीवी की दुनिया के कई सेलीब्रिटी हैं, किसी के परिवार में किसी सदस्य का निधन हो तो दुनिया भर से श्रध्दांजलि संदेश आते हैं। लेकिन यह बात इतिहास में दर्ज करने लायक है कि जब 2 अगस्त
वे बता रहे थे और श्रोता भावविभोर होकर सुनते जा रहे थे। महज चार साल की उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया. वे ओडिशा के कटक जैसे बेहद पिछड़े जिले के दूरदराज के एक गांव में जन्मे थे. परिवार चलाने के लिए वे सब्जी बेचकर विधवा मां का सहारा बने और पढ़ाई भी करते रहे। परिवार में गरीबी इतनी थी कि सात भाई बहनों को कई बार माँग कर खाना पड़ता था। उन्होंने अपने परिवार की गरीबी का उल्लेख करते हुए कहा, मेरी बहन की शादी होना थी लेकिन मेरी माँ के पास पहनने को दूसरी साड़ी तक नहीं थी, वो पूरे गाँव में 80 घरों में दूसरी साड़ी माँगने के लिए
एक है-कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर तथा दूसरी है-कीस डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर। आज प्रोफेसर अच्युत सामंत का कीस डीम्ड विश्वविद्यालय दुनिया का प्रथम डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुका है
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