वैज्ञानिक एक किलोग्राम को नए सिरे से परिभाषित करने की तैयारी में हैं। फ्रांस में एक जगह सुरक्षित रखे गए धातु के सिलिंडर के वजन के बराबर भार को एक किलो माना जाता है। मगर अब वैज्ञानिक एक किलो को सही रूप से परिभाषित करने के लिए नया और ज्यादा भरोसेमंद तरीका इजाद करने के करीब पहुंच गए हैं।
फिलहाल दुनियाभर में एक किलोग्राम के लिए जो पैमाना इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे आज से 125 साल पहले तय किया गया था। प्लैटिनम और इरिडियम मिश्रधातु के बने एक ठोस सिलिंडर के वजन को सभी ने एक किलो का आधार मानना तय किया था। यह सिलिंडर सेवर (फ्रांस) में इंटरनैशनल ब्यूरो ऑफ वेज़ ऐंड मेजर्स में सुरक्षित रखा गया है।
मगर किलो का यह मानक लगातार अपना वजन खो रहा है। इसकी क्या वजह है, यह पता नहीं चल पा रहा है। माना जा रहा है कि सिलिंडर बनाए जाने के दौरान इसके अंदर फंसी गैस धीरे-धीरे निकल रही है, जिसकी वजह से भार कम हो रहा है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि अब इसका वजन सही नहीं है और इसे सही पैमाना नहीं माना जा सकता। ऐसे में गणित के हिसाब से 1 किलो का स्थिर मानक बनाने के लिए 2018 तक इसे फिर से तय करने की योजना है।
'द इंडिपेंडेंट' की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने तय किया है कि धातु के टुकड़े (जिसे इंटरनैशनल प्रोटोटाइप किलोग्राम कहा जाता है) के बजाय क्वैन्टम और मॉलिक्यूलर फिजिक्स का इस्तेमाल किया जाए। इस तरीके से किलोग्राम की परिभाषा तय करने पर भविष्य में कभी ऐसी दिक्कत नहीं आएगी, जैसी अभी आ रही है। क्योंकि भौतिक चीज़ों में वक्त के साथ बदलाव आ सकता है, मगर ऐटम के स्तर पर ऐसा नहीं हो सकता।
अभी तक किलोग्राम ही एक ऐसी इंटरनैशनल स्टैंडर्ड यूनिट है, जो फिजिकल कॉन्स्टैंट के बजाय फिजिकल ऑब्जेक्ट (किसी चीज़) के ऊपर आधारित है। उदाहरण के लिए अब मीटर को धातु के दो छोरों के बीच की दूरी के तौर पर परिभाषित नहीं किया जाता। अब अब इसकी परिभाषा इस तरह से है- वैक्यूम में प्रकाश सेकंड के 1/299792458वें हिस्से में जितनी दूरी तय करता है, वह एक मीटर है।
किलोग्राम उन 7 बुनियादी पैमानों (BASE UNITS) में से एक है, जिनके आधार पर साइंस में पैमाइश की जाती है। अन्य 6 हैं- मीटर, सेकंड, ऐंपियर, केल्विन, मोल और कैंडिला, जो क्रमश: लंबाई, टाइम, करंट, तापमान, केमिकल अमाउंट और लाइट की तीव्रता मापने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से