1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाने की इच्छा जताते हुए कहा है कि वह केवल सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकले रथ के सारथी रहे लेकिन ये नियति का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा।
‘राष्ट्रधर्म’ नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है।
‘श्री राम मंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ शीर्षक से लिखा गया आडवाणी का लेख 76 साल पुरानी ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपा है। इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, “मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर अवश्य बनेगा।”
आडवाणी ने लिखा है, “रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।”
वरिष्ठ भाजपा नेता ने यात्रा में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में लिखा कि मोदी उस वक्त अधिक चर्चित नहीं थे और वह यात्रा के समय उनके साथ थे। उन्होंने लिखा, “जब मोदी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वह भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा।”
अख़बार के अनुसार आडवाणी ने लिखा है कि 1990 के दौर में उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि उनकी रथ यात्रा एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। उन्होंने मंदिर को हक़ीक़त में बदलने और बीजेपी का वादा पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है और लिखा है, “मोदी उस वक्त लोगों के सामने नहीं आए थे और मेरे साथ थे। भगवान राम ने अपने भक्त को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना है।”
आडवाणी ने यात्रा के बारे में लिखा कि इसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया। वो लिखते हैं, “मैंने देखा कि मंदिर के लिए लोगों का समर्थन बढ़ता जा रहा था। ‘जय श्री राम’ और ‘सौगन्ध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा चारों तरफ गूंज रहा था।”
अख़बार के अनुसार वो लिखते हैं, “रथ यात्रा ने मुझे कुछ ऐसे अनुभव दिए जिनका मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा। सुदूर गांवों में अनजान ग्रामीण रथ देखकर मेरे पास आते थे। वो लोग भावुक हो जाते थे। वो मुझे बधाई देते, फिर भगवान राम के नारे लगाते और चले जाते।”
वह लिखते हैं कि वो इस बात से आश्वस्त हो गए थे कि हज़ारों लोग अयोध्या में राम मंदिर का सपना देखते हैं लेकिन वो अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे। आडवाणी ने लिखा आख़िरकार 22 जनवरी को हज़ारों गांववालों की छिपा कर रखे गए सपने सच्चाई का रूप लेंगे। उन्होंने ये भी लिखा कि उनके सामने ये एक ऐसा मौक़ा है जब वो लंबे वक्त तक अपने वरिष्ठ रहे नेता अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहे हैं। 2018 में वाजपेयी का निधन हो गया था।