कई दिनों से देख रहा हूँ। कुछ अम्बेडकरवादी/ कम्युनिस्ट / जातिगत राजनीति करने वाले नेता लोग आर्यों को विदेशी कह रहे है। इनके अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, जाट, अहीर, गुर्जर सभी विदेशी है। इन अम्बेडकरवादियो की सोच के विपरीत डॉ अम्बेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते?
इसलिए मैं बाबा भीमराव अम्बेडकर जी के ही विचार रखूंगा जिससे ये प्रूफ होगा कि आर्य विदेशी नहीं है।
1) डॉक्टर अम्बेडकर राइटिंग एंड स्पीचेस खंड 7 पृष्ठ में अम्बेडकर जी ने लिखा है कि आर्यों का मूल-स्थान (भारत से बाहर) का सिद्धांत वैदिक साहित्य से मेल नहीं खाता। वेदों में गंगा, यमुना, सरस्वती के प्रति आत्मीय भाव है। कोई विदेशी इस तरह नदी के प्रति आत्म स्नेह सम्बोधन नहीं कर सकता।
2) डॉ अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक “शुद्र कौन”? Who were shudras? में स्पष्ट रूप से विदेशी लेखकों की आर्यों के बाहर से आकर यहाँ पर बसने सम्बंधित मान्यताओं का खंडन किया है। डॉ अम्बेडकर लिखते है-
1) वेदों में आर्य जाति के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है।
2) वेदों में ऐसा कोई प्रसंग उल्लेख नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि आर्यों ने भारत पर आक्रमण कर यहाँ के मूलनिवासियों दासों दस्युओं को विजय किया।
3) आर्य, दास और दस्यु जातियों के अलगाव को सिद्ध करने के लिए कोई साक्ष्य वेदों में उपलब्ध नहीं है।
4) वेद में इस मत की पुष्टि नहीं की गयी कि आर्य, दास और दस्युओं से भिन्न रंग के थे।
5)डॉ अम्बेडकर ने स्पष्ट रूप से शुद्र को भी आर्य कहा है(शुद्र कौन? पृष्ठ संख्या 80)
अगर अम्बेडकरवादी सच्चे अम्बेडकर को मानने वाले है तो अम्बेडकर जी की बातों को माने।
(लेखक ऐतिहासिक व अध्यत्मिक विषयों पर लिखते हैं)