राजनांदगांव। वर्तमान दौर के तमाम अप-डाउन और लॉकडाउन के बीच चुनिंदा बातें ऐसी भी हैं जो हमें बेहतर की उम्मीद से बरबस जोड़ देती हैं। सन्नाटे के बीच हमारे भीतर सकारात्मक सोच के लिए जगह बनाती हैं। मिसाल के तौर पर विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा डॉ. चन्द्रकुमार जैन को इस वर्ष अटल हिंदी रत्न सम्मान-2020 से अलंकृत किया गया है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में संचालित सम्मान योजना के अंतर्गत चयन समिति ने डॉ. जैन को हिंदी के प्रचार-प्रसार में बहुआयामी रचनात्मक योगदान के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पत्रकारिता और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में चार दशक से सक्रिय डॉ. चंद्रकुमार जैन ने लगभग 20 सृजनात्मक व सम्पादित पुस्तकों, 30 से अधिक पत्रिकाओं में सम्पादकीय अवदान के अतिरिक्त करीब 50 शोध आलेखों और 1500 से भी अधिक लेखों के माध्यम से हिंदी भाषा और साहित्य के विकास यज्ञ में अक्षर आहूति दी है। इसी तरह लगभग एक हजार मंचों में उन्होंने दिग्गज हस्तियों, बौद्धिकों, साहित्यकारों और जन सामान्य के बीच भी अपनी अचूक अभिव्यक्ति कला की छाप छोड़ी है। भारत की नयी शिक्षा नीति की विशेषज्ञ प्रवर समिति में शामिल आचार्य सही विद्यासागर जी महाराज जैसी विभूति के बहुचर्चित महाकाव्य मूकमाटी पर शोध और अनेक व्यख्यान देने के अलावा डॉ. जैन ने महात्मा गांधी की 150 जयन्ती पर संस्कारधानी से लेकर मुम्बई तक दर्जन भर अतिथि व्याख्यान देकर गांधी दर्शन के साथ-साथ हिंदी के प्रवाह और प्रभाव का विस्तार किया है। सदी के पहले दशक में राजनांदगांव की साहित्य विभूतियों को समर्पित स्मारक के निर्माण में उन्होंने विशिष्ट भूमिका निभायी है।
इधर वेब संगोष्ठियों में अनेक विषयों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी भागीदारी का क्रम निरंतर है। डॉ. जैन ने अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से शताधिक विषयों और प्रतियोगी परीक्षाओं की उपयोगी व प्रेरक सामग्री हिंदी में उपलब्ध करवायी है। कोरोना काल के लॉकडाउन में पढ़ाई के अलावा एहतिहात बरतने के उनके रचनात्मक संदेश मील के पत्थर साबित हुए हैं। केंद्र और राज्य सरकार के संस्थानिक कैंपेन और विविध आयोजनों में डॉ. जैन ने सतत सहयोग किया है। डॉ. जैन का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व के कार्यों में भी योगदान सराहनीय है। विश्व हिंदी रचनाकार मंच ने सम्मान सहित उन्हें निरंतर और श्रेष्ठतर कार्यों की शुभकामना दी है।