नई दिल्ली। केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि मंत्रालय को पूरे देश में आयुष आहार को बढ़ावा देना चाहिए। इससे युवाओं को जंक फूड की बीमारियों से बचाने में भी मदद मिलेगी। श्री सोनोवाल ने नई दिल्ली के जनकपुरी में स्थित सेंट्रल काउंसिल्स कॉमन बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स का दौरा किया, जहां उन्होंने परिसर में स्थित मंत्रालय के तहत सभी पांच अनुसंधान परिषदों और दो राष्ट्रीय आयोगों के अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की।
गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय आयुष आधारित आहार और जीवन शैली को बढ़ावा दे रहा है और ‘सुपोषित भारत’ के अंतिम लक्ष्य को साकार करने के लिए पोषण अभियान में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर आयुष आहार पर दिशा-निर्देशों का मसौदा भी जारी किया है, जो मानक आधारित आयुष आहार की सुविधा प्रदान करेगा।
अनुसंधान परिषदें, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए केंद्रीय परिषद (सीसीआरवाईएन), यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान के लिए केंद्रीय परिषद (सीसीआरयूएम) और होम्योपैथी में केंद्रीय अनुसंधान परिषद ( सीसीआरएच) का मुख्यालय भवन में स्थित है। जबकि सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्धा (सीसीआरएस) का भवन परिसर में सेटेलाइट ऑफिस है। इसके अलावा, हाल ही में गठित नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) और नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी (एनसीएच) के कार्यालय भवन परिसर में हैं। केंद्रीय मंत्री का आज अनुसंधान परिषदों और राष्ट्रीय आयोगों का पहला दौरा था।
अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के सत्र में श्री सोनोवाल ने जमीनी स्तर तक लोगों की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावकारी बदलाव लाने के लिए टीम भावना और कड़ी मेहनत की जरूरत है। वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों, तकनीशियनों सहित क्षेत्र से जुड़े लोगों की कड़ी मेहनत के परिणामों को देश भर में और दुनिया भर में प्रचारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि आयुष का प्रसार करने के लिए परिषदों, आयोगों के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव और विशेषज्ञता का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।
बातचीत के दौरान आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने दो बातों पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि योग्यता निर्माण सभी परिषदों की प्राथमिकता होनी चाहिए और ‘हमारी शोध परिषदों को इस तरह के तौर-तरीके विकसित करने चाहिए कि इन परिषदों से जुड़ी विभिन्न इकाइयों को इनोवेशन करने की अधिक स्वतंत्रता मिले’।
इस दौरान श्री सोनोवाल ने ‘क्वालिटी एंड सेफ्टी ऑफ सेलेक्ट रसकल्प- मेटल एंड मिनरल बेस्ड आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन, वॉल्यूम: 6’ नाम की पुस्तक का भी विमोचन किया। यह पुस्तक विभिन्न संस्थानों में किए गए त्रिवंगा भस्म (टिन, सीसा और जस्ता का कैलक्लाइंड मिश्रण) पर मानक संचालन प्रक्रियाओं (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर), रासायनिक विश्लेषण और प्रीक्लिनिकल सुरक्षा/विषाक्तता अध्ययनों से संबंधित है। उन्होंने एनसीआईएसएम पोर्टल को भी लॉन्च किया, जिसका इस्तेमाल ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ अभियान के तहत आयोजित गतिविधियों और कार्यक्रमों का विवरण एकत्र करने के लिए किया जाएगा। पोर्टल देश भर के 75000 शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ रहा है।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने सीसीआरएएस के एथनो-मेडिको-बॉटनिकल डिवीजन का भी दौरा किया। जहां उन्होंने नियमित कामकाज से लेकर विशिष्ट शोध गतिविधियों तक के मुद्दों पर वैज्ञानिकों के साथ विस्तार से बातचीत की। उन्होंने आदिवासी कल्याण की दिशा में परिषद के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि आदिवासी समुदायों की स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं को समझने के लिए और प्रयास किए जा सकते हैं। जो आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का इस्तेमाल किए बिना अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने सीसीआरयूएम पुस्तकालय का दौरा किया और उन्हें लगभग 200 पांडुलिपियों के बड़े संग्रह और 17000 वैज्ञानिक दस्तावेजों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें सीसीआरयूएम की वैज्ञानिक गतिविधियों और प्रकाशनों के बारे में भी बताया गया। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने परिषद के शोध प्रकाशनों में भी गहरी रुचि दिखाई। सीसीआरएएस के कार्यालयों के अपने दौरे के दौरान, उन्होंने परिषद के विभिन्न डिवीजनों का निरीक्षण किया और डिवीजनों के प्रमुखों और स्टाफ सदस्यों के साथ बातचीत की।
एनसीआईएसएम के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी ने उन्हें जानकारी दी कि आयोग का वर्तमान जोर दो मुद्दों पर है, एक, योग्यता आधारित पाठ्यक्रम विकसित करना और दूसरा, आयुष शिक्षण संस्थानों की रेटिंग और अनुमति देना है। उन्होंने आगे कहा कि आयोग 3 लाख से अधिक आयुष चिकित्सकों को एनसीआईएसएम की नेशनल रजिस्ट्री में शामिल करने का प्रयास कर रहा है, जहाँ 10 राज्यों के लगभग 28000 चिकित्सकों को पहले ही शामिल किया जा चुका है।