लाखों साल प्राचीन इतिहास के साथ भारत में विविध संस्कृतियों, विविध धर्मों, विविध भाषाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों का एक ऐसा सांस्कृतिक संकुल विकसित किया है; जिसमें विविधता में एकता राष्ट्र–राज्य (देश) के बीच परस्पर सद्भाव और सांस्कृतिक एकता के उन्नयन में महत्वपूर्ण एवं प्रेरक ऊर्जा का कार्य किया है। भारत की सर्वाधिक प्रमाणित प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता मानवीय व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।
भारत भूमि पर पलवित और पुष्पित धर्म अर्थात हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म (सभी सनातन धर्म के अव्यय) सहित भारत की आध्यात्मिकता और दार्शनिक परंपराओं ने राष्ट्र–राज्य (देश) की संस्कृति के विकास में प्रधान भूमिका निभाया है, बल्कि वैश्विक संस्कृति और आध्यात्मिकता पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। भारत की त्रिवेणी संस्कृति अर्थात कर्म, धर्म और योग ने वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव डाला है, बल्कि मानवीय कल्याण और मानवीय आध्यात्मिकता को उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। विविधता में एकता भारतीय आध्यात्मिकता और दर्शन के सार तत्व का गहरा प्रभाव मनोरम कला और उत्कृष्ट साहित्य प्रसिद्ध लाजवाब व्यंजनों और प्रत्येक राज्य की पारंपरिक प्रथाएं, सर्वोत्कृष्ट वस्त्र भंडार, हस्तशिल्प और हृदय आकर्षक सिनेमा उद्योग जो सिनेमा चरित्र से समाज को अभिव्यक्त करते हैं।भारत की सांस्कृतिक विरासत और प्रति सांस्कृतिक विरासत के समझ को बढ़ावा देने, पर्यटन को नवोन्मेष करने और इन संस्कृतियों के द्वारा राजनीतिक संबंध के उन्नयन में महत्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका निभाते हैं।
अनादि काल से भारतीयों ने अपनी संस्कृति को ‘मानव संस्कृति’ के रूप में वर्णित और अनुप्रयोग किया है। भारत में विविधता में एकता का सिद्धांत प्रकृति, ब्रह्मांड और दैनिक जीवन का मौलिक सिद्धांत है। विभिन्न समुदायों से संबंधित लोग, विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले लोग,अलग-अलग वेशभूषा,विभिन्न व्यंजनों को आत्मसात करने वाले लोग,विभिन्न रीति-रिवाज का अनुपालन करते हैं। सभी धर्म के व्यक्ति विभिन्न पारंपरिक रीति-रिवाज के व्यक्ति,विभिन्न भाषाओं को धारण करने वाले लोग,अलग-अलग भोजन करने वाले व्यक्ति भारत में एक दूसरे के साथ सामंजस्य पूर्ण एवं स्नेह पूर्ण वातावरण में रहते हैं।
भारत एक उन्नत और विविध सांस्कृतिक विरासत वाला राष्ट्र-राज्य( देश) है, जिसे सदियों के इतिहास, परंपराएं और संस्कृति द्वारा सिंचित किया गया है। प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण (एलपीजी) के दौर तक भारत व्यापक संस्कृतियों का घर है,जो भारत के व्यापक परिदृश्य पर अपना अमित छाप छोड़ा है। यह सांस्कृतिक विरासत भारतीयों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि वैश्विक स्तर के व्यक्तियों, संगठनों और राष्ट्र-राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।भारत के मंदिरों की सौंदर्यता,नदियों की अविरलता, पशुओं का कोलाहल, शास्त्रीय संगीत और नृत्य की छवि और सनातन धर्म की संस्कृति ने सभी दिलों पर अमित छाप छोड़ा है।
संसार की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृति भारत की संस्कृति है। वैश्विक स्तर की संस्कृतियां अब पर्यटन के लिए बच गई है,जबकि भारत की संस्कृति अपने गतिमान स्वरूप के कारण संचरित है। भारतीय संस्कृति के अंतर्निहित प्रत्यय वही है जो वे अतीत में थे। ग्राम पंचायत, जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था और संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति और विरासत के मौलिक शील है।मर्यादा पुरुषोत्तम राम, गौतम बुद्ध, महावीर जैन और श्री कृष्ण की शिक्षाएं प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है। अनादि काल के इतिहास के साथ भारत विभिन्न सभ्यताओं, धर्मों,भाषाओं और परंपराओं का संगम स्थल रहा है।
विविधता की इस समृद्ध चित्रपट ने एक अनूठी और जीवंत सांस्कृतिक विरासत को जन्म दिया है जो विश्व को संप्रेषित और प्रेरित करती है। भारत की सांस्कृतिक विरासत स्वदेशी रीति-रिवाजों और वाह्य प्रभावों का सामंजस्य पूर्ण मिश्रण है। भारत की सांस्कृतिक विरासत में कलात्मक अभिव्यक्तियों, वास्तुशिल्प चमत्कारों और दार्शनिक परंपराओं की वृहद श्रृंखला शामिल है। धार्मिक विविधता सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न भाग है। भारत की भाषाई विविधता भी बहुत उन्नत और प्रभावशाली है। 1600 से अधिक भाषाओं के सम्मुचय से भारत बहुरूपी व्यक्तित्व है। प्रत्येक भाषा का अपना अनूठी विशेषता है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। सांस्कृतिक विरासत लोगों को स्वीकृति, सह-अस्तित्व और मतभेदों के उत्सव का मूल्य सिखाता है। विविधता विकास और उन्नयन का अवसर है। भारत संसार की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो 4000 साल पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित है। प्राचीन विरासत में पुरातात्विक स्थलों,ऐतिहासिक स्मारकों और प्राचीन ग्रंथो के खजाने का भंडार है, जो मानवीय सभ्यता के विकास में मूल्यवान उपादेयता प्रदान करते हैं। हड़प्पा सभ्यता ने मानव इतिहास और भविष्य के लिए उन्नत जल निकासी प्रणालियों, मानवीकृत वजन और माप और लेखन की एक प्रणाली के साथ उन्नत नियोजित शहरों का विकास किया है, जिस पर वर्तमान में नवोन्मेष जारी है। भारत की प्राचीन सभ्यता वैदिक सभ्यता है, जो 1500 ईसा- पूर्व के आसपास के है। सनातन धर्म का सर्वाधिक मौलिक ग्रंथ वेद इस सभ्यता की देन है। वैदिक सभ्यता ने हिंदू दर्शन, अनुष्ठानों और सामाजिक संरचनाओं की गतिशील नीव को रखा है जो वर्तमान में भारतीय संस्कृति को आकार दे रही है।
भारत की प्राचीन सभ्यता में विज्ञान, गणित, चिकित्सा,साहित्य और कला में स्थाई एवं महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत ने शून्य की अवधारणा में योगदान देने वाले गणितज्ञ आर्यभट्ट और आयुर्वेद संहिता पर मौलिक ग्रंथ लिखने वाले चरक जैसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को दिया है। भारत की प्राचीन सभ्यता अपने वास्तु शिल्प चमत्कारों, दार्शनिक उपादेयता और सांस्कृतिक परंपरा के माध्यम से वैश्विक स्तर को प्रेरित करती है। यह हमारे सांस्कृतिक विरासत की उपादेयता के महत्व को इंगित करता है। भारत हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म,जैन धर्म और सिख धर्म का पालना स्थल रहा है। इन आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं ने भारत के सांस्कृतिक महत्व को आकार दिया है और वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव डाला है। धर्म, कर्म और योग की त्रिक अवधारणा ने वैश्विक स्तर पर गहरा प्रभाव डाला है।
योग भारत के आध्यात्मिक विरासत का एक अभिन्न भाग है जिसका उद्देश्य मन, भौतिक( शरीर) और आत्मा को स्वस्थ बनाना है। यह भौतिक संसार की सीमाओं को पार करते हुए आत्म खोज, आंतरिक शांति और आत्म प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।भारत के आध्यात्मिक विरासत में भागवत गीता, उपनिषद, त्रिपिटक और गुरु ग्रंथ साहिब जैसे पवित्र ग्रंथ और पवित्र शास्त्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की सांस्कृतिक विरासत का आध्यात्मिक और दार्शनिक सार वैश्विक स्तर पर विद्वानों, चिंतकों और दार्शनिकों को प्रेरित करना है, जो सभी प्राणियों के परस्पर संबंध की गहरी समझ और सत्य, अर्थ और आत्म प्राप्ति के लिए शाश्वत नवोन्मेष का उन्नयन कर सके।
भारतीय साहित्य ने रामायण और महाभारत जैसे कालातीत महाकाव्य को प्रदान किया है, जिन्होंने भौगोलिक सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक साहित्यिक ग्रंथ बन गए हैं। महाकवि कालिदास, मीराबाई, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और रविंद्र नाथ टैगोर जैसे महान चिंतकों और कवियों के कार्यो ने विश्व साहित्य पर एक अमित छाप छोड़ी है, जो उनकी गीतात्मक सौंदर्यता और मानव स्थिति में गहन उपादेयता के लिए जाना जाता है। डॉक्टर मोहन भागवत जी, सुरेश सोनी जी, डॉक्टर कृष्ण गोपाल जी और डॉक्टर बालमुकुंद जी की लेखनी की उपादेयता वैश्विक स्तर पर है और उनके साहित्य का मांग भी वैश्विक स्तर पर है। इनके साहित्यिक उपादेयता सांस्कृतिक विरासत में अनमोल हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत में शाकाहार जैसी विविध पाक परंपराएं शामिल है, जिसका देश की आध्यात्मिक और नैतिक मान्यताओं में गहरा ऐतिहासिक महत्व है। अहिंसा या अहिंसा के पथ को प्रदर्शित करने वाले मनोरम शाकाहारी व्यंजनों ने दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर रही है, जिससे पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं बढ़ रही है। इसकी महत्वपूर्ण उपादेयता है कि यह व्यंजन मांसाहारियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
हजारों साल पुराने समृद्ध इतिहास के साथ भारत के कारीगरों ने अपने कौशल को निखारा है। उत्तम वस्त्र और हस्तशिल्प का उत्पादन किया है जो देश के कलात्मक कौशल और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। बनारसी रेशम, कांजीवरम और चंदेरी जैसे पारंपरिक हस्त निर्मित वस्त्र और असाधारण शिल्प कौशल के साथ बुने हुए हैं जो विशेष क्षेत्र के विरासत और बुनकरों की पीढ़ियों की महारत को दर्शाते हैं। भारतीय फ़िल्म उद्योग जिसे आमतौर पर बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है। बॉलीवुड भारतीय संस्कृति की विरासत का एक महत्वपूर्ण घटक है और जगत के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करता है। बॉलीवुड फिल्में अपने जीवंत कहानी, भावनात्मक गहराई और मनोरम संगीत कहानियों के लिए जानी जाती है।
भारत की सांस्कृतिक विरासत इतिहास, आध्यात्मिकता, कला और विविध परंपराओं का अनमोल खजाना है, जो शताब्दियों से पलवित पुष्पित हुई है। विविधता में एकता जिसको भारत ने अपने संस्कृति में शामिल किया है, भारत के शक्ति/ऊर्जा का स्रोत है। बौद्धिक उपलब्धियां, दर्शन,ज्ञा न, प्रत्यय, भौतिक कलाकृतियों के अलावा विरासत में वैज्ञानिक सफलताएं और नवोन्मेष भी शामिल है। रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य से लेकर आधुनिक चिंतकों के लेखनी में भारतीय विरासत के तत्व का उन्नयन हो रहा है।