Friday, November 22, 2024
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बाल काव्य : वन्य जीवों की पहचान

मूल लेखक – जितेंद्र ‘निर्मोही’, हिंदी अनुवाद – श्यामा शर्मा
बच्चों के मनोरंजन और ज्ञान वृद्धि के लिए अनुपम कृति…

मेघों को बुलाने के लिए कूकते और नृत्य करते मयूर, पीली धारी वाले बाघ, उछल कूद करते बंदर, हाथी की मतवाली चाल, कुचाले भरते हिरण और वन्य जीवों की अठखेलियां देख भला कौन आनंदित नहीं होगा। बच्चों का तो कहना ही क्या, उनका आश्चर्य तो सातवें आसमान पर होता है। जंगल और वन्य जीव हमेशा से बच्चों का ही नहीं सैलानियों के आकर्षण का प्रबल केंद्र रहे हैं। वन्य जीवों से मनोरंजन के इसी पक्ष को ले कर बच्चो का ज्ञानवर्धन करने के उद्देश्य के साथ लिखी गई यह पुस्तक सार्थक प्रयास है।

कोटा के जितेंद्र ‘निर्मोही’ जिन्होंने जंगल और वन्य जीवों उनके स्वभाव, क्रीड़ा, प्रवृति, रंग रूप, आकार-प्रकार को बड़े नजदीक से देखा, राजस्थानी भाषा में ‘जंगली जीवां की पछाण’ बाल काव्य कृति का सृजन किया। उनकी धर्म पत्नी श्यामा शर्मा के मन में इसे हिंदी भाषा में लिखने का विचार आया तो उन्होंने इसका हिंदी अनुवाद कर अधिक से अधिक बच्चों तक कृति को पहुंचाने का कार्य किया।

हाल ही में श्यामा शर्मा ने मुझे उनकी रचित कुछ पुस्तकें भेंट की। घर आ कर सबसे पहले इस कृति पर नज़र गई तो एक सांस में पूरी पढ़ डाली, इतनी रोचक है। पुस्तक में 40 किस्म के शाकाहारी, मांसाहारी, सरीसृप रेंगने वाले, स्तनधारी आदि वन्य जीवों का बहुत ही सहज,सरल और मनोरंजक भाषा में काव्यमय वर्णन के साथ-साथ रेखा चित्र, हिंदी, अंग्रेजी और वैज्ञानिक नाम और स्वभाव का वर्णन कर वन्य जीव की ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई है।

बाघ को हमेशा से जंगल का राजा कहा गया है। अभ्यारण में एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। बाघ कृति का पहला पशु है जिसकी खूबसूरती को सुंदर शब्दों में यूं लिखा गया है…
चाम सुनहरी काली – पीली
चले चाल मदन मतवाली
लंबाई में ये तीन मीटर
गरजे ये हम हिलते भीतर
चीता दुर्लभ प्राणी होता जा रहा है। इसको आधार बना कर लिखी गई ये पंक्तियां
दृष्टव्य हैं…
वन्य जीवों में दुर्लभ प्राणी
संकट में है इसकी वाणी
रेगिस्तानी बिल्ली बड़ी मुश्किल से दिखाई पड़ती है। यह अपना शिकार बड़ी होशियारी से करती है। इस पर लिखा है…
बाहों पर काली धारी
करे शिकार बड़ी होशियारी
मरुभूमि जिसकी पहचान
झाड़ीदार जंगल की वासी
मरुस्थल की होती रहवासी

जरख एक ऐसा जीव है कहते हैं इनके झुंड से शेर भी इससे डरता है। ऊंची – ऊंची कंदराओं में रहने वाले जरख पर लिखा है…
झुंड में जिससे शेर भी डरते
ऊंची कंदरा में जा उतरते
लोमड़ी को बहुत चालाक माना जाता है। इसकी खूबसूरती का वर्णन इस प्रकार किया गया है…
लंबे रेशम जैसे बाल
नीचे रहती सफेद खाल
साढ़े पांच किलो तक भारी
चालाकी में सब की महतारी
भेड़िये की प्रजाति भी लुप्त हितिब्जा रही है। इस पर लिखा है…
आंख आंख में करे टकटकी
उठा हुआ उन्नत सा भाल
आज है इनका नस्लीय अकाल
भालू बच्चो का बहुत ही पसंददीदा जानवर है। आजकल इसकी आकृति का टेडी बियर खिलौना खास कर महिलाओं को खूब पसंद आता है। लिखते हैं…
अंग्रेजी में कहते बीयर
घर में मैडम के ये डियर

काले नाग का नाम सुनकर ही दर लगता है। सपेरे की बीन पर जब नाग – नागिन को नृत्य करते देखते हैं तो रोमांचित हो उठते हैं। इसे भी कितने मनभावन अंदाज में लिखा है…
विष्णु शेष नाग पर रहते
लक्ष्मण जी को अवतारी कहते
नाग नागिन जन रास रचाते
जो देखे उनके मन भाते
जंगल का हाथी जब कभी सड़क पर नजर आ जाता है तो सभी आश्चर्चकित हो कर देखने लगते हैं। अनेक पर्यटक स्थलों पर हाथी सफारी रोमांचित करता है। देखिए कितना सुंदर लिखा है …
मस्त मिजाज हाथी दादों
इनको काशी राज भिजा दो
सिर मोटी और सूंड है पतली
काली चमड़ी लगती खजली
इसी काव्य रचना में आगे वन्य जीवों से प्रेम करने का संदेश ऐसे दिया गया है…
प्रेम करो जंगली जीवों से
मान इन्हें दो पूरे ह्रदय से
हिरण वर्गीय पशुओं में चीतल का कितना सुंदर वर्णन किया गया है…
ये हिरणों में अतिशय सुंदर
हिरण जात नाम है चीतल
बदन बादामी धोले भूरे
सर्दी में जोड़े से धूमे
सूंस – डॉल्फिन इतनी प्रसिद्ध है की पर्यटन से जुड़ गई है। कितना रोचकब्लीखा है…
सबसे ज्ञानी सुंदर मछली
जल के अंदर करे खलबली
तरह तरह के नाच दिखाती
लड़के लड़कियों को चंगराती
पक्षियों में मोर का सानी नहीं। मेघों को बुलाने के लिए उनकी कूक,मोर की शोभा पर क्या खूब लिखा है…
मेघ मेघ का गीत सुनाते
मोर मुकुट शोभा अति पाते
बाग बगीचे लगते सुंदर
बादल देख खुशी मन अंदर
सिर पर साजे मस्त कलंगी
पक्षी राज मिले बहुरंगी।
पक्षियों में लोकप्रिय तोता कई घरों में शोक से पालते है। इसकी शान में लिखी काव्य की कुछ पंक्तियां देखिए…
लाल चोंच के मिठ्ठू राजा
हरी भरी मिर्च को खा जाता
काली कंठी लगती सुंदर
मिठ्ठू की शान है कितनी
नीम,आम,पीपल में रहते
और मैना से चोंच लड़ाते
जलीय जीवों में अनेक पक्षियों में सारस की महिमा निराली है। लंबी तांडी पर खड़ा यह खूबसूरत पक्षी सर्दियों में दूर देशों से उड़ कर हमारे देश के विभिन्न अनुकूल स्थानों पर अपनी शोभा से लुभाता है। कवि लिखते हैं…
सिर और पांव लाल लाल से
इनकी चोंच रहती पीली
प्रेम युगल मिल कर करे किलकारी
मादा होती छील छबीली चाल

पुस्तक में बाघ, चीता, रेगिस्तानी
बिल्ली, मछुआ बिल्ली, बिज्जू,नेवला, जरख, सियार, लोमड़ी, भेड़िया, जंगली कुत्ता, भालू, हाथी, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर, कछुआ, खरगोश, काला नाग, चिंकारा, काला हिरण, चौसिंगा, नीलगाय, सांभर, चीतल, जंगली सूअर ,चिंतिखोर, सूस,मोर,तोता,गोडावण, तीलोर सारस, बतख और कबूतर पर छोटी – छोटी पर प्रभावी कव्यमय रचनाएं लिखी गई हैं।

आखिर पन्ने पर वन्य जीवों का वर्गीकरण,विलुप्त हो रहे वन्य जीवों पर चिंता कर संरक्षण की बात, जंगलों का नष्ट होना, नदियों का विलुप्त होना, असंतुलित पर्यावरण पर चिंता व्यक्त कर वृक्ष लगाने का संदेश इस प्रकार दिया गया है…
वन्य प्राणी जो कम हो रहे
यदि बढे तो बात बने
जो इनका शिकार हैं करते
उनको समाज में मत रक्षण दो
दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती है
वृक्ष लगाने मेरे भाई
ऐसी कैसी चतुराई
तुमने जंगल में आग लगाई
जगह जगह जंगल खुद गए
मिट्टी रह गई बनगी खाई
अब वन्य जीवों के रहने पर भी आफत आई।

पुस्तक की प्रेरक भूमिका डॉ.विकास दवे निदेशक साहित्य अकादमी भोपाल,मध्य प्रदेश द्वारा लिखी गई है। ए फोर साइज में 40 पेज की पुस्तक का कवर पेज आकर्षक है प्रकाशन ज्ञान गीता प्रकाशन,नई दिल्ली द्वारा किया गया है, मूल्य150 रुपए है।

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