सलमान खान को काले हिरण के शिकार के मामले में जेल जाना पड़ा। लेकिन यहां मेजा तहसील की पठारी इलाके में यह वन्य जीव मस्ती में कुलाचे भरते हुए पिछले 18 साल से विचरण कर रहे हैं। ग्रामीण इन पर बच्चों की तरह नजर रखते हैं, जिससे कोई इनका शिकार नहीं कर सकता।
मेजा के चांदखमरिया व महुली ग्राम पंचायतों की 1300 बीघा के इलाके में काले हिरणों का बसेरा है। दो महीने पहले राज्य सरकार ने इसे वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। लेकिन यहां के ग्रामीण इनकी सुरक्षा वर्ष 2000 से कर रहे हैं। तभी तो इनकी तादाद बढ़कर अब चार सौ के पार पहुंच गई है। यहां काले हिरण ग्रामीण के घरों में पहुंच जाते हैं। घरेलू पालतू पशुओं के लिए बने नाद में पानी पीते हैं।
चांद खमरिया के राकेश पाल, बंशी पटेल व बब्बे का कहना है कि काले हिरण तो हमारे पशुओं के साथ भी विचरण करते हैं। कुलाचे भरते हुए दरवाजे व आंगन में भी आ जाते हैं। फसल का नुकसान भी कम करते हैं। खेतों में जाकर ये जीव घास ही चरते हैं। अगर किसी के खेत में भी काले हिरण चले जाते हैं तो कोई बोलता नहीं। तापमान अधिक होने पर टोंस नदी के किनारे बसे पटेहरा, खूंटा, सलैया खुर्द व अन्य गांवों में चले जाते हैं और फिर लौट आते हैं।