खूबसूरत चिड़िया हार्नबिल का रूप धारण कर हवा में उड़ने को आतुर नागा आदिवासी हार्नबिल के काले और सफेद पंखों और जंगली सूअर के कैनाइन दांतों से सजाए गए शकावाकार लाल टोपी वाली रंग बिरंगी वेशभूषा और पारंपरिक आभूषणों से सजधज कर बांसुरी, ढोल, तुरही, माउथ आर्गन और कप वायलन की ताल पर गीत गाते हुए नृत्य करते हैं तो देखने वालों को न केवल आश्चर्यचकित वरन रोमांचित भी कर देते हैं। उनका अद्भुत युद्ध नृत्य तो दिल की धड़कन बन जाता है। यही नहीं इनके साथ – साथ नागालैंड की 16 आदिवासियों की संस्कृति का एक जगह पर समंगम और उनकी पारंपरिक कलाओं को देखना किसी कोतुहल से कम नहीं होता। आदिवासी संस्कृति का यह रोमांचक नजारा देखने को मिलता है पूर्वोत्तर भारत के राज्य नागालैंड की राजधानी कोहिमा से 12 किमी दूर किसना हेरिटेज गांव में जब वे दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में अपना सर्वाधिक लोकप्रिय हार्नबिल उत्सव मनाते हैं। यह अवसर होता है नागालैंड राज्य के स्थापना दिवस का, जब 1 दिसंबर 1963 को इस राज्य की स्थापना हुई थी। खासियत है की आज यह उत्सव इतना लोकप्रिय हो गया है है की दुनिया के पर्यटक न केवल इसे देखने पहुंचते हैं वरन उत्सव में अपनी भागीदारी भी करते हैं।
नागालैंड सरकार के राज्य पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 2000 से शुरू किया गया यह उत्सव नागाओं के संगीत और नृत्य के सांस्कृतिक आयोजनों के साथ – साथ पारम्परिक खेलों युद्ध कलाओं,तीरंदाजी, कुश्ती, फैशन और सौंदर्य प्रतियोगिता, हस्तशिल्प की कारीगरी, उनका रहन – सहन, वेशभूषा, आभूषण और भोजन आदि की खुशबू से महक उठता है। प्रदर्शनी में पेंटिंग, मूर्तियां, लकड़ी की नक्काशी, हस्तकला की वस्तुएं और बहुत कुछ प्रदर्शित किया जाता है। उत्सव में शामिल पर्यटकों के लिए यहां के हस्तशिल्प खरीदने का एक अच्छा अवसर होता है। नागाओं का युद्ध नृत्य मार्शल और एथलेटिक शैली पर आधारित नृत्य है जिसमें नर्तकों का संतुलन देखते ही बनता है। योद्धा नृत्य प्रायः नागा पुरुषों द्वारा किया जाता है। इनका दूसरा मुख्य नृत्य जेलियांग नृत्य हैं इसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। कलाकार धातुओं से बने आभूषण धारण करते हैं। नृत्य में जप, ताली बजाना, पैरों की थाप, चिल्लाना , पारंपरिक वेशभूषा सब कुछ मिल कर एक समोहक वातावरण का सृजन करते हैं जो पर्यटकों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होता है।
इस उत्सव को अनोखा बनाती है यहां आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय रॉक कॉन्सर्ट प्रतियोगिता। ये बेहतीरन कॉन्सर्ट कई नए आने वाले बैंडों के लिए लॉन्चपैड के रूप में माना जाता है। तीस हज़ार रुपये से एक लाख रुपये के बीच पुरस्कार राशि के साथ इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों, जैसे दक्षिण पूर्व एशिया और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया से प्रतिभा को प्रोत्साहित करना है।
हॉर्नबिल उत्सव के दौरान लगने वाला बेहतरीन नाइट बाजार भी प्रमुख आकर्षण होता है। पर्यटक रात्रि में हस्तशिल्प आदि को देखने और लजीज भोजन का लुत्फ उठाते हैं। साथ ही हॉर्नबिल नाइट में यहां की सभी
जनजातियों के लोग एक साथ मिलकर अलाव जला कर उसके चारों ओर गीत गाते और नृत्य करते हैं। यह उत्सव आने वाले वर्ष की समृद्धि की प्रार्थना का अवसर भी होता है। इस उत्सव में लोग अपने मतभेदों को भुलाकर एक समुदाय के रूप में एक साथ आते हैं इस दृष्टि से हॉर्नबिल महोत्सव एक अनूठा और विशेष आयोजन है।
सप्ताह भर चलने वाला यह उत्सव इतना रंगीन, मनोरंजक और बहुआयामी होता है कि पर्यटकों को लगता है जैसे वे किसी दूसरी ही दुनिया की सैर कर रहे हैं। आधुनिकता से कोसों दूर आदिवासियों की अलग अनूठी दुनिया में उनके साथ बिताए मनोरंजक पल अविस्मरणीय बन जाते हैं।
उत्सव टैग नाम हॉर्नबिल रंगीन, लंबे, घुमावदार और चमकीले पक्षी होते हैं। इसे राज्य पक्षी भी घोषित किया गया है। हार्नबिल चिड़िया का जिक्र नागाओं की पौराणिक कथाओं और गीतों में खूब मिलता है। इसे ये पवित्र और सौभाग्य प्रदान करने वाला पक्षी मानते हैं। मानना है कि उत्सव के आयोजन और उसके धार्मिक अनुष्ठानों से आने वाला नया साल शुभ फलदायी होगा।
उत्सव शुरू करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना और देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू करा कर नागालैंड की विभिन्न जनजातियों के बीच जुड़ाव को प्रोत्साहित करना और विविध संस्कृतियों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देना है। गौरतलब है कि लम्बे समय तक नागालैंड अशांति व हिंसा का शिकार रहा है। यह उत्सव यहां के भटके हुये युवाओं को सही राह पर लाने एवं यहां आपसी शांति बनाये रखने में काफी कारगर रहा है। नागालैंड राज्य ख़ूबसूरत पहाड़ियों और यहां बहने वाली नदियों के मधुर संगीत से गुलज़ार रहता है। हिमालय की तराई में बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, रोचक इतिहास और अदभूत संस्कृति से भरपूर है।
उत्सव में प्रवेश का नॉमिनल शुल्क लिया जाता है। कह सकते हैं कि हॉर्नबिल महोत्सव नृत्य, प्रदर्शन, शिल्प, परेड, खेल, भोजन मेले और धार्मिक समारोहों का एक रंगीन मिश्रण प्रदान करता है।
उत्सव में शामिल होने के लिए आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को जिले के विदेशी पंजीकरण कार्यालय में पंजीकरण कराना होता है और घरेलू पर्यटकों को स्थानीय सरकार से इनर-लाइन परमिट की आवश्यकता होगी। इसलिए अपने साथ एक फोटो पहचान पत्र अवश्य साथ रखना चाहिए।यहां पहुंचने के निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन करीब 78 किमी दूरी पर स्थित हैं। दीमापुर रेलवे स्टेशन पर कोलकाता और गुवाहाटी से नियमित और लगातार ट्रेनें आती हैं इसलिए रेल मार्ग से भी यात्रा करने पर विचार किया जा सकता है। हावड़ा जंक्शन से दीमापुर के लिए कामरूप एक्सप्रेस पर विचार किया जा सकता है। यहां से बस अथवा टैक्सी से कोहिमा पहुंचा जा सकता है। अंतर्राज्यीय पर्यटक दीमापुर और गुवाहाटी से बस द्वारा कोहिमा के लिए नियमित बसें हैं। उत्सव स्थल कोहिमा से 12 किमी पर है। कोहिमा में ठहरने के लिए हर बजट के होटल और भोजन की अच्छी व्यवस्थाएं हैं। पर्यटकों को कोहिमा शहर देखने का प्लान भी अवश्य ही बनाना चाहिए। कोहिमा प्राकृतिक सुंदरता, राजसी पहाड़ियों और शांत दृश्यों से घिरा आरामदायक अवकाश बीतने के लिए सबसे अच्छी जगह है। कोहिमा में सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में शिलोई झील, नागा विरासत गांव, कोहिमा चिड़ियाघर, कोहिमा संग्रहालय और खोनोमा गांव शामिल हैं।
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(लेखक कोटा में रहते हैं अधिमान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार हैं व पर्यटन से लेकर कला साहित्य व संस्कृति से जुडज़े विषयों पर नियमित लेखन करते हैं)