एक साल के लॉकडाउन के बाद एक्सेंचर कंपनी के एक नए वैश्विक सर्वेक्षण में शामिल हुए भारतीयों में से करीब 98 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपनी जीवनशैली में कम से कम एक ऐसा बदलाव किया है जो आने वाले दिनों में भी स्थायी होगा। घर से काम करना, यात्रा के तरीके में बदलाव और स्थानीय स्तर पर खरीदारी करने में ग्राहकों की बढ़ती दिलचस्पी की वजह से उद्योगों के सामने अब यह चुनौती है कि वे महामारी की वजह से अपनी सोच बदलने वाले उपभोक्ताओं को किस तरह से सेवाएं दें।
एक्सेंचर के इस वैश्विक सर्वेक्षण में 19 देशों के 9,650 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया जिनमें भारत के भी 500 से अधिक लोग शामिल थे और इसमें कंपनी के पिछले निष्कर्षों से ही मिलते-जुलते परिणाम सामने आए कि लोगों के व्यवहार में आए कई बदलाव लंबे समय तक बने रहेंगे। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 महामारी ने लोगों के रहने, काम करने, सामाजिक रिश्ते निभाने के तरीके में बदलाव तो किया ही है साथ ही नवाचार की मांग को भी बढ़ाया है क्योंकि खुदरा विक्रेता, उपभोक्ता वस्तुओं से जुड़ी कंपनियां और ट्रैवल कंपनियां इस संकट को देखते हुए नए सामान तैयार करने के साथ ही सेवाओं में भी बदलाव कर रही हैं।
भारत में एक्सेंचर के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (रणनीति एवं सलाह) अनुराग गुप्ता कहते हैं, ‘कंपनियां हालात को देखते हुए प्रतिक्रिया दे रही हैं और नए आविष्कार कर रही हैं। उन्हें विभिन्न वैल्यू चेन में डिजिटल क्षमता का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर और तेज रफ्तार से करने की जरूरत होगी।’
कोविड-19 की वजह से कंपनियां अपने उद्यम के विभिन्न आयाम में एक साथ बदलाव कर रही हैं और लोगों को फिर से नए तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो पहले लंबी अवधि में धीरे-धीरे दिया जाता था। कई उपभोक्ता कंपनियों को फिर से अपने कारोबारी मंच में बदलाव करते हुए लागत के दबाव को कम करने के लिए भी काम करना पड़ा है और भविष्य की सफलता के लिए ऐसे बुनियादी ढांचे पर काम किया जा रहा है जिसके जरिये नवाचार मुमकिन हो।
भारत में एक्सेंचर के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (प्रोडक्ट्स प्रैक्टिस) मनीष गुप्ता ने कहा, ‘महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था की सफलता के लिए कंपनियों को डिजिटल रूप में खुद को दोहराने और रणनीतिक रूप से प्रौद्योगिकी, लोगों और आपूर्ति शृंखलाओं में निवेश करने की जरूरत है।’ क्लाउड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अत्याधुनिक एनालिटिक्स जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों के जरिये एक सार्थक मकसद से कंपनियों की मदद न केवल ग्राहकों तक नए तरीके से पहुंच बनाकर की जा सकती है बल्कि विकसित बाजार की मांग के अनुकूल भी तेजी से काम किया जा सकता है।
नई जगह की तलाश
महामारी की वजह से घर से काम कर रहे कर्मचारियों में एक नया बदलाव दिख रहा है और कई ने कहा कि वे भविष्य में कैसे और कहां से काम करेंगे इसको लेकर थोड़ी छूट मिलनी चाहिए। भारत में सर्वेक्षण में शामिल 87 फीसदी से अधिक लोगों ने कहा कि वे घर और दफ्तर के बजाय किसी तीसरी जगह से काम करना चाहते हैं। इससे होटल और खुदरा उद्योगों के लिए राजस्व बढऩे के संभावित मौके तैयार हो सकते हैं।
किसी ‘तीसरी जगह’ से काम करने की इच्छा के साथ ही काम के सिलसिले में की जाने वाली यात्रा के नजरिये में भी बदलाव आया है। भारत में सर्वेक्षण में शामिल करीब 57 फीसदी लोगों ने कहा कि महामारी के बाद काम के सिलसिले में यात्रा की उनकी कोई योजना नहीं है और वे पिछली कारोबारी यात्रा में भी आधी कटौती करना चाहते हैं। हालांकि उनका ऐसा इरादा कब तक बना रहेगा, यह कहना मुश्किल है लेकिन मौजूदा रुझान से यह संकेत मिलते हैं कि अवकाश के दौरान की जाने वाली यात्रा से ही उद्योग में सुधार दिखेगा और यह अब अपनी आमदनी की भरपाई करने के लिए बेहतर तरीके से सक्षम है। हालांकि उपभोक्ता की आदतों में बदलाव अभी जारी रहेंगे।
लोगों को लगता है कि न केवल उनकी काम करने की आदतों में बल्कि यात्रा की योजना में भी संभवत: स्थायी रूप से काफी कुछ बदल गया है। कई लोगों को लगता है कि उनकी खरीदारी की आदतों में भी बदलाव आया है। एक्सेंचर के पहले के अध्ययन में भी यह बात सामने आई थी कि ई-कॉमर्स में तेजी की संभावना है और ताजा शोध भी यही बात पुख्ता हुई है।
मिसाल के तौर पर ई-कॉमर्स उपयोगकर्ताओं द्वारा खाने-पीने के सामान, घर की सजावट, फैशन और लक्जरी वस्तुओं जैसे उत्पादों की ऑनलाइन खरीद का अनुपात महामारी से पहले की खरीद में 25 फीसदी से कम ही होता था लेकिन महामारी के बाद से इसमें 667 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
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