साहित्य जगत में राजस्थान के सिरोही जिले के निवासी दिनेश कुमार माली ने लेखक, कवि,अनुवादक और प्रसिद्ध आलोचक के रूप में देश में अपनी खास पहचान बनाई है। ये ओड़िया और अंग्रेजी साहित्य का हिंदी में अनुवाद करने में विशेष रूप से पारंगत है। प्रारंभिक अवस्था से ही इन्होंने लेखन प्रारंभ कर दिया था। इनकी प्रथम पुस्तक “न हन्यते” इन्होंने अपने पिता श्री को श्रद्धांजलि स्वरूप लिखी थी। इनके ओडिया और अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद बहुचर्चित रहे हैं।
आपके अनुवादों का भारत की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जाना इनके साहित्य का प्रबल पक्ष है। इन्होंने हिन्दी के मूर्धन्य कवि उद्भ्रांत, डॉ. विमला भण्डारी, प्रभापंत ,अंग्रेजी भाषा की प्रोफेसर नंदिनी साहू तथा पूर्व कोयला सचिव श्री प्रकाश पारख की कृतियों पर महत्वपूर्ण कार्य किया है। आप डॉ. सुधीर सक्सेना द्वारा संपादित हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका ‘दुनिया इन दिनों’ के गांधी विशेषांक तथा डॉ. राजेश श्रीवास्तव द्वारा संपादित पत्रिका उर्वशी के हलधर नाग विशेषांक के अतिथि संपादक रह चुके हैं। इन्होंने इग्नू के मानविकी विद्यापीठ की प्रोफेसर नंदिनी साहू के निर्देशन में लोकगीत और सांस्कृतिक अध्ययन के एम.ए. कोर्स में अपने अध्यायों के माध्यम से अकादमिक कार्यक्रम/पाठ्यक्रम तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
ओड़िया भाषा का ज्ञान प्राप्त करने की कथा को दिनेश माली ने अपने लेख ” जगदीश मोहंती कभी मरते नहीं ! ” में लिखा है, बात 2007 की है जब इन्हें ओड़िया के कवि अनिल दास ने इन्हें ओड़िया उपन्यास “पक्षीवास’ का हिंदी में अनुवाद करने को कहा। इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में कोरापुट, बोलंगीर, बनहरपालि, झारसुगुडा के इलाकों में रहने वाले सतनामी लोगों की जीवनचर्या है। शायद ईश्वर को मुझे ओड़िया भाषा का ज्ञान करवाना था सो उन्होंने इनको तेलनपाली गाँव में एक रिटायर्ड़ ओड़िया टीचर से मिलवाया और इन्होंने अपनी लगन से अल्प समय में ही
जगदीश मोहंती जी ने इन्हें न केवल ओड़िया व्याकरण के बारीक पहलुओं को समझाया, बल्कि एक अच्छे अनुवाद की आवश्यकताओं की जानकारी भी दी। उनसे इन्हें गुरु मंत्र भी मिला कि ” सामान्य भाषा के प्रयोग से अनुवाद को सुंदर ,सरस और सुपाठ्य बनाया जा सकता है। इन्होंने ” उपन्यास के साथ – साथ जगदीश मोहंती की ओड़िया की श्रेष्ठ कहानियों का भी अनुवाद किया और ये कृतियां प्रकाशित हुई हैं।” इन्होंने कृतज्ञता वश तीसरी पुस्तक “ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कविताएं लेखक गुरु जगदीश मोहंती जी को समर्पित की है।
“ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कविताएं”
अट्टालिकाओं से भरा हुआ एक सुंदर नगर है जिसके चारों तरफ हिलोरे खाता लाल-सागर, अनगिनत नदियाँ, झरनें, पहाड़-जंगल छोटी-छोटी हटलियों से खचाखच भरा है। ओड़िया कविताओं में झलता है सुरम्य प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना। “साहित्यिक सफर का एक दशक” पुस्तक की रचना करने का इनका उद्देश्य था, जो कुछ एक दशक के भीतर इधर-उधर लिखा और प्रकाशित हुआ, चाहे भूमिका, समीक्षा या मूल्यांकन, चाहे संस्मरण, चाहे साक्षात्कार अथवा बड़े- बड़े लेखकों के जीवन संबन्धित आलेखों के रूप में क्यों न हो, उन सभी विधाओं को एक साथ जोड़ कर मणि माला के मोती के रूप में पिरोना।
इन्होंने 2014-15 में जिन लेखकों की कृतियों का अध्ययन किया और जिनके लेखन, संस्थानों, व्यक्तित्व या साहित्यिक घटनाओं ने इनको प्रभावित किया, उन विषयों या स्मृतियों पर कलम चलाने का प्रयास किया है। इन सारी रचनाओं ने विभिन्न वेब पेज और पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर हिन्दी पाठकों का ध्यान बहुत हद तक आकृष्ट किया है। सरोजिनी साहू की ओड़िया दलित कहानियाँ यह एक महत्त्वपूर्ण कथा-संकलन है जिसमें ओड़िशा के दलित समाज का गहराई से चित्रण हुआ है । कहानियों के केंद्र में ओड़िशा का वह अंचल है जो छतीसगढ़ केरायपुर आदि स्थानों के सीमांत में स्थित है, दूसरी ओर इसकी सीमाएं आन्ध्रप्रदेश को भी छूती हैं ।
ओड़िया से हिन्दी में अनूदित तीन कृतियों पक्षीवास, विषादेश्वरी, रेप तथा अन्य कहानियों का कन्नड में अनुवाद हुआ है और एक कृति महिषासुर का मुँह का मणिपुरी में । उनकी मूल कृति चीन में सात दिन का प्रख्यात हिन्दी से ओड़िया भाषा की अनुवादिका कनक मंजरी साहू द्वारा ओड़िया में चीनरे सात दिन नामक शीर्षक से अनुवाद हुआ है।
इनका साहित्य सृजन संसार विषद है। पेशे से इंजीनियर हैं और मन से साहित्य प्रेमी। पूर्विक्त श्रद्धांजलि कृति “ न हन्यते “और प्रमुख अनुवादित कृतियों के साथ – साथ इनके सृजन संसार की अन्य कृतियां इस प्रकार हैं। ओड़िया कहानियों का अनुवाद, ओड़िया उपन्यास ‘बंद-कमरा” का अनुवाद, ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कविताएं, सरोजिनी साहू की दलित कहानियाँ ,जगदीश मोहंती की श्रेष्ठ कहानियाँ,ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कहानियाँ , ” बीच में छाया ” ओड़िया कहानी-संग्रह का हिन्दी अनुवाद, “अपना-अपना कुरुक्षेत्र” ओड़िया उपन्यास का हिंदी अनुवाद, “सप्तरंगी सपने” संबलपुरी कविता संग्रह का हिन्दी अनुवाद, “मेरा तालचेर” (स्थानीय कविताओं का संग्रह, “चकाडोला की ज्यामिति” (बिरंचि महापात्रा की कविताएं),
डॉ.विमला भंडारी की रचनाधर्मिता (आलोचना पुस्तक), “साहित्यक सफर का एक दशक” (समीक्षा-साक्षात्कार-संस्मरण-अनुवाद), “शिखर तक संघर्ष ” ( पूर्व कोयला सचिव श्री प्रकाश चन्द्र पारख की अँग्रेजी पुस्तक “क्रूसेडर ऑर कोन्स्पिरेटर ?” का हिन्दी अनुवाद) , ” त्रेता: एक सम्यक मूल्यांकन” ( हिन्दी के शीर्षस्थ कवि उद्भ्रांत के महाकाव्य त्रेता की आलोचना ), “सीमंतिनी “(श्री ब्रहमशंकर मिश्रा के ओड़िया कविता संग्रह का हिन्दी अनुवाद), “स्मृतियों में हार्वर्ड” (ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया कवि श्री सीताकान्त महापात्र का हिन्दी अनुवाद) , विषादेश्वरी (डॉ सरोजिनी साहू के ओड़िया उपन्यास का हिन्दी अनुवाद), “अमावस्या का चाँद” ( बेरिस्टर गोविंद दास के ओड़िया उपन्यास का हिन्दी अनुवाद), “राधामाधव :एक समग्र मूल्यांकन” (हिन्दी के शीर्षस्थ कवि उद्भ्रांत के महाकाव्य ‘राधामाधव’ त्रेता की आलोचना ), “दो कवि : एक दृष्टि “( ओड़िया कवि डॉ॰ सीताकान्त महापात्र और हिन्दी कवि डॉ॰ सुधीर सक्सेना का तुलनात्मक अध्ययन)।
” मेरे लिए ओड़िशा” (यात्रा-संस्मरण), “सीता: महाकाव्य “(अँग्रेजी प्रोफेसर डॉ नंदिनी साहू की अँग्रेजी दीर्घ कविता ‘सीता’ का काव्य-रूपान्तरण) ,” हलधर नाग का काव्य-संसार (संबलपुरी कवि पद्म श्री हलधर नाग की कविताओं का अनुवाद)”, “महिषासुर का मुंह”( ओड़िया कवि विभूति पटनायक की कहानियों का अनुवाद – साहित्य अकादमी से प्रकाशित),
अनाद्य सूक्त ( हिन्दी कवि उद्भ्रांत की कविता ‘अनाद्य सूक्त’ पर आलोचना ) , “कालजयी ओड़िया कहानियाँ ” कृतियां शामिल हैं।
अन्य कृतियों में ” मिथकीय सीमा से परे : रुद्रावतार” ( हिन्दी कवि उद्भ्रांत की कविता ‘रुद्रावतार’ पर आलोचना ) , “;झड़ पक्षी के गीत” ( ओड़िया कवयित्री शर्मिष्ठा साहू की कविताओं का हिन्दी अनुवाद) ,” हलधर नाग के लोक-साहित्य पर विमर्श “, ” रामायण प्रसंगों पर आधारित हलधर के काव्य एवं युगीन विमर्श ” , “महाभारत प्रसंगों पर आधारित हलधर का काव्य “प्रेम-पहचान”, ” फोकलोर ऑफ कुमायूं ” (डॉ. प्रभापन्त द्वारा संपादित लोककथाओं का अंग्रेजी अनुवाद) , ” पिता-पुत्र के बीच” (प्रोफेसर असीम पाढ़ी की अंग्रेजी कविताओं का हिन्दी अनुवाद) , ” छाया-प्रतिच्छाया ” (प्रोफेसर नंदिनी साहू की अंग्रेजी कहानियों का हिन्दी अनुवाद), ” गीत,आधा-आधा “(प्रोफेसर नंदिनी साहू की अंग्रेजी कविताओं का हिन्दी अनुवाद), “अदिति की आत्मकथा एवं अन्यान्य कहानियाँ ” ( श्यामाप्रसाद चौधरी की कहानियों का हिन्दी अनुवाद), “सत्यधर्मी गांधी” ( प्रोफेसर सुजीत पृसेठ के आलेखों का अनुवाद), “प्रेमार्द्ध शतक” ( कुलमनी विस्वाल की कविताओं का हिन्दी अनुवाद) , “अंधा कवि ” (भीम भोई की आत्म-कथा उपन्यास), ” ब्लाइंड पोएट” (औटोबायोग्राफी ऑफ भीमभोई उपन्यास ) एवं “प्रोफेसर आनंद की महाकविता पर कथोपकथन ” शामिल हैं।
साहित्य सृजन की विविध विधाओं के लिए इन्हें कई बार राजभाषा सम्मान , भारतेन्दु साहित्य शिरोमणि सम्मान और सृजनगाथा-सम्मान जैसे अलंकरणों से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। इन्हें कोल इंडिया तथा महानदी कोलफील्ड्स द्वारा राजभाषा सम्मान , मदुरै में ‘राजभाषा विशिष्टता सम्मान’तथा ‘विशेष राजभाषा विशिष्टता सम्मान’ , चतुर्थ अंतर-राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन-2011 ,थाईलेंड में सृजन-सम्मान संस्थान, रायपुर द्वारा “सृजन-श्री” से सम्मान ,लखनऊ में आयोजित द्वितीय अंतर-राष्ट्रीय ब्लागर सम्मलेन में वर्ष -2011 के श्रेष्ठ लेखक (संस्मरण) के लिए तस्लीम -परिकल्पना पुरस्कार , भारतीय राजभाषा विकास संस्थान,देहरादून द्वारा आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा संगोष्ठी -2012,शिमला में पुस्तक “ओड़िया भाषा की प्रतिनिधि कविताएं” पर संस्थान का सर्वोच्च पुरस्कार “भारतेन्दु साहित्य शिरोमणि सम्मान’ तथा वैज्ञानिक आलेख पर ‘वैज्ञानिक राजभाषा विशिष्टता सम्मान’ तथा हिन्दी के उन्नयन के लिए ‘विशेष राजभाषा विशिष्टता सम्मान’ , तालचेर की साहित्यिक संस्था आम प्रतिभा आम परिचय द्वारा सम्मान, माहंगा बडचना साहित्य एवं संस्कृति परिषद बालिचन्द्रपुर,जाजपुर द्वारा “अनुसृजन प्रतिभा सम्मान -2014”
तालचेर की साहित्यिक संस्था गडजात फाउंडेशन कोयला नगरी एक्सप्रेस द्वारा “साहित्य सारथी सम्मान-2014”, नौवें अंतर-राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन-2014 ,बीजिंग,चीन में सृजन-सम्मान संस्थान ,रायपुर द्वारा “सृजनगाथा-सम्मान” से सम्मान, सलिला संस्था,सलूम्बर (राजस्थान) और राजस्थान साहित्य अकादमी ,उदयपुर द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन 2014’ में ‘सलिला विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’ , एनटीपीसी दीपशिखा,कणिहा,अंगुल द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक ओड़िया किशोर पत्रिका चंद्रमा के वार्षिकोत्सव में “चंद्रमा साहित्य सम्मान – – 2014” , साहाण मेला प्रकाशन संस्था, भुवनेश्वर के स्वनक्षत्र उत्सव में “साहाण मेला नंदिघोष सम्मान-2014”, तालचेर पुस्तक मेला में “प्रतिभा सम्मान-2018”, राजस्थान साहित्य अकादमी से ‘त्रेता :एक सम्यक मूल्यांकन’ पर देव राज उपाध्याय आलोचना पुरस्कार 2021,जयपुर की भव्या फाउंडेशन से साहित्य,शिक्षा और मोटिवेशन के क्षेत्र में ‘इंडियन बेस्टीज अवॉर्ड-2021′, फिरोदाबाद में राष्ट्रीय प्रज्ञा संस्थान द्वारा भाषा सेतु ‘ अलंकरण सम्मान -2022’, राय बरेली में पद्मश्री हलधर नाग के अनुवादक के रूप में ‘ संवर्धना-2021’ सम्मान और जयपुर की भव्या फाउंडेशन से साहित्य,शिक्षा और मोटिवेशन के क्षेत्र में “ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड-2023 ” सम्मान से सम्मानित किया गया है। आपको साहित्य शोध संस्थान , दिल्ली की तरफ से आचार्य नंद दुलारे वाजपेयी पुरस्कार-2024 और इंडियन नेट बुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन, नई दिल्ली की ओर से रामनारायण दीक्षित साहित्य भूषण सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।
परिचय :
दिनेश कुमार माली का जन्म 9 नवंबर 1968 में राजस्थान के सिरोही में पिता स्व. वगताराम माली एवं माता लहरी बाई के आंगन में हुआ। उनके पिता राजस्थान सरकार के सिरोही जिला कोषागार में वरिष्ठ लिपिक थे। ये उनके चार भाइयों में तीसरे स्थान पर है और उनकी दो छोटी बहनें हैं। आपने एम.बी.एम. इंजिनीयरिंग कॉलेज,जोधपुर से माइनिंग विषय में 1992 में बी॰ई॰(आनर्स) की डिग्री प्राप्त की। आपने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एकोलोजी एंड एनवायरनमेंट , एम॰बी॰ए (ऑपरेशन), हिंदी और अंग्रेजी विषयों में एम. ए., फ़र्स्ट क्लास सर्टिफिकेट ऑफ कोम्पेटेंसी, महाविद्यालय अंबाला से कहानी लेखन का डिप्लोमा की शिक्षा प्राप्त की। आप 2007 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उप-निदेशक (खान सुरक्षा) के रूप में चयनित हुए। वर्तमान में भारत के कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी ‘महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड’ के कनिहा क्षेत्र में महाप्रबंधक (खनन) के पद पर सेवारत है और साहित्य सृजन में अनवरत लगे हुए हैं।
संपर्क :
क्वार्टर नं.सी/34 ,लिंगराज टाउनशिप,पो:-हंडिधुआ,तालचेर,
जिला:- अनुगुल 759102 (ओड़िशा)
मोबाइल : 9437059979, 94388780
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डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा