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हिन्दुस्तान में रहना है तो सरकार को हिन्दी में मत लिखो

 अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का संकल्प : हम हिन्दी वेबसाइट कभी नहीं बनाएँगे और राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लंघन जारी रहेगा.

आदरणीय महोदय/महोदया,
 
हम लोग पिछले तीन साल में मंत्रालय को कई बार हिंदी वेबसाइट, द्विभाषी मोबाइल एप  और द्विभाषी ऑनलाइन सेवाओं के लिए लिख रहे हैं, कई बार आरटीआई आवेदन लगा चुके हैं पर मंत्रालय के अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं और हमेशा एक ही जवाब मिलता है कि जल्द ही वेबसाइट और ऑनलाइन सेवाएँ द्विभाषी रूप में शुरू की जाएँगी पर तीन साल बीतने के बाद भी "जल्द ही" नहीं हो पाया. 

देश के नागरिकों पर पर अंग्रेजी को बुरी तरह थोपा गया है इसलिए आपकी योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल पाता। जब नागरिक को योजना की जानकारी उसकी भाषा में नहीं मिलेगी तो वह उसका लाभ कैसे उठा पाएगा? आपकी कितनी भी योजनाएं लागू कर दीजिए उनका लाभ जनता तक नहीं पहुंचेगा जब तक सरकारी अधिकारी उन योजनाओं के दस्तावेज, फॉर्म, ऑनलाइन आवेदन, वेबसाइट आदि की सुविधा हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं करवा देते। आपने हिन्दी में नहीं बताया तो समझ लीजिए आपने कुछ भी नहीं बताया, आपकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी। 

सरकार ने राजभाषा अधिनियम के पालन के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया, स्थिति तो इतनी बुरी है प्रधानमंत्री कार्यालय से आम नागरिकों के हिन्दी में लिखे पत्रों और आवेदनों के जवाब अंग्रेजी भेजे जाते हैं, आपके कार्यालय में रबर की मुहरें तक केवल अंग्रेजी में बनी इस्तेमाल की जा रही है, जब आपके कार्यालय में हिन्दी का यह हाल हो तो फिर सरकार के अन्य मंत्रालयों से जनता क्या उम्मीद कर सकती है? इतने अनिवार्य नियमों का उल्लंघन किस बात को दर्शाता है, यही कि सरकार राजभाषा के लिए एकदम उदासीन है और उसे केवल अंग्रेजी में काम करना है, जनता को अंग्रेजी नहीं आती तो यह जनता की अपनी समस्या है, सरकार को इस बात से कोई सरोकार नहीं. यहाँ यह कहना उचित होगा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय मंत्रालय का कामकाज अंग्रेजी में ही हो रहा है और शायद मंत्रालय यह मानकर चल रहा है कि भारत के सभी अल्पसंख्यक इंग्लैंड से अंग्रेजी पढ़कर आए हैं ऐसे में मंत्रालय हिंदी में काम कैसे कर सकता है?
 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निरंतर राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम, राजभाषा नीति और राजभाषा विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है:
 
उल्लंघन के उदाहरण:
1.  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की सभी वेबसाइटे एवं ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में बनाई गई है और वेबसाइट पर दो-चार दस्तावेजों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं है. दो दस्तावेज हिन्दी में हैं उनके नाम वेबसाइट पर अंग्रेजी में लिखे गए हैं ताकि जनता उन्हें पढ़ ना ले.
2. एक-दो अपवाद छोड़कर  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सभी निविदा-पत्र, परिपत्र, कार्यालय ज्ञापन, करार, अनुबंध, समझौते, प्रेस विज्ञप्ति, विज्ञापन, कार्यक्रमों के बैनर, पोस्टर, दिशा-निर्देश, फॉर्म, सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी सभी विवरण/ सूचना अधिकारियों के नाम पते आदि का केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं. 
3.  अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की सभी ऑनलाइन सेवाएँ केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं.
4. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा रबर की मुहरें, लिफ़ाफ़े और योजनाओं के लाभ लेने हेतु सभी आवेदन फॉर्म द्विभाषी ना छपाकर केवल अंग्रेजी में जारी किए/छापे गए हैं.
5. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की सम्पूर्ण कार्यवाही अंग्रेजी में की जाती है, बैनर-पोस्टर-बैज-आमंत्रण-पत्र-पाठ्य सामग्री, प्रेस विज्ञप्ति, शिलान्यास-पट आदि केवल अंग्रेजी में तैयार किये जाते/की जाती है.
6. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा हिन्दी में प्राप्त ईमेल के कोई जवाब नहीं दिए जाते।

 
हिंदी के नाम पर ढोंग करने वाले मंत्रालयों पर कार्यवाही सख्त कीजिए ताकि भारत के नागरिकों को उनकी भाषा में सेवाएं मिलें.आपसे शीघ्र और सकारात्मक तथा कारगर कार्यवाही की अपेक्षा है.
 
भवदीय
तुषार कोठारी
२०१-बी, गोपाल कृष्ण भवन, प्लाट -९८,
श्रीमद राजचंद्र मार्ग, तिलक रोड, घाटकोपर पूर्व, मुंबई -४०००७७

प्रतिलिपि:
गृहमंत्री जी 
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री जी, राज्य मंत्री जी, सचिव तथा संयुक्त सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय  
राजभाषा विभाग 

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