गोमती की व्यथा दशा पर चिंतन व स्वच्छता के लिए आयोजित 10 दिवसीय गोमती महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें विविध कार्यक्रमों के जरिए स्वच्छ गोमती स्वच्छ लखनऊ पर फोकस किया गया, इस कार्यक्रम में लखीमपुर खीरी के पर्यावरणविद व दुधवालाइव जर्नल के सम्पादक कृष्ण कुमार मिश्र को राष्ट्रीय मानवता रत्न से सम्मानित किया गया, यह सम्मान सनातन सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी आनन्द नारायण जी ने दिया, कार्यक्रम में सनातन सभा के अध्यक्ष डाक्टर प्रवीण बाजपेयी, सरल पांडे, व लखनऊ के तमाम सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कृष्ण कुमार मिश्र ने कहा कि वह गोमती वाले हैं उनके जनोद खीरी के पड़ोसी जनपद पीलीभीत के माधोटांडा से गोमती का उद्गमस्थल है जहां से गोमती निकलकर खीरी सीतापुर लखनऊ जौनपुर होते हुए बनारस से पहले जिला गाजीपुर में गंगा में विलीन होती है, खीरी से गुजरती हुई जलधारा तो स्वच्छ है पर लखनऊ में गोमती में गंदे नालों के प्रवाह से गोमती नदी का पूरा एक्वेटिक इकोसिस्टम प्रदूषित हो चुका है, राजधानी में गोमती की यह दूर्दशा विचारणीय है, केके मिश्र ने गोमती को बेटियों की उपमा दी कि वे एक बार निकलने के बाद वापस नही आती बचा लीजिए उन्हें रोक लीजिए उन्हें। 600 मील लम्बी यह नदी मैदानी है जो जंगलों से गुजरती हुई शहरों तक आई है यह धरती के सोतो से पानी लेती है और देती भी है, नदी के मुहानों को हम बचा ले अतिक्रमण से और उसमें गन्दगी न डाले तो गोमती मैया का पुराना निर्मल स्वरूप हम वापस ला सकेंगे, कभी गोमती के प्रवाह में जल यातायात होता था वह दोबारा भी सम्भव है।
वन्य जीव प्रेमी केके मिश्र को पर्यावरण व वन्य जीव सरंक्षण तथा लेखन के क्षेत्र में तमाम सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमे जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार द बॉब्स व उत्तर प्रदेश सरकार से ई उत्तरा एवार्ड प्रमुख है।