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डॉ. सिंघल की पुस्तक ‘नई बात निकल कर आती है’ का विमोचन

कोटा लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल की संस्मरण कृति “नई बात निकल कर आती है” का विमोचन आज राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के सभागार में समारोहपूर्वक किया गया।

मुख्य अतिथि मनोरोग चिकित्सक डॉ.एम.एल.अग्रवाल ने कहा कि यह पुस्तक अपने समय का प्रमाणिक दस्तावेज है। ऐसी पुस्तकें समाज को भी दिशा प्रदान करती हैं।
अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार श्री जितेंद्र ‘ निर्मोही ‘ ने कहा कि इस कृति का लोकार्पण करते समय मुझे अपनी पुरस्कृत कृति उजाले अपनी यादों के का स्मरण हो रहा है । उसमें समष्टिगत और व्यष्टिगत संस्मरण है उसी प्रकार इसमें संस्करण मौजूद है। कृति के संस्मरण रिपोर्ताज की तरह से है। संस्मरण “सपनों का सफर” कमलेश्वर के संस्मरण के नजदीक है।यह कृति अपने परिवेश के लोगों को लेकर एक दस्तावेज जैसी है।

मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने कहा कि सामाज और संस्कृति के विविध सन्दर्भों के साथ जीवन में उभरी संघर्ष की स्थितयों और उससे उबरने के लिए किये गये प्रयासों का बेबाक चित्रण पुस्तक में हुआ है। इस चित्रण में अभिव्यक्ति की सरलता और सहजता में लेखक पाठकों को भी अपने साथ यात्रा करवाता है जो लेखकीय समर्पण और कौशल का प्रमाण है।

विशिष्ट अथिति साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ‘रामू भैया’ किशन रत्नानी, एडवोकेट अख्तर खान ‘ अकेला, डॉ. दीपक श्रीवास्तव , इतिहासकार फिरोज़ अहमद एवं जितेंद्र गौड़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आज के लेखन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कृति बताया।

पुस्तक लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने सभी का स्वागत करते हुए पुस्तक के विषय वस्तु की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर विजय जोशी, श्रीमती शमा फिरोज एवं डॉ.कृष्णा कुमारी ने काव्य रचनाएं प्रस्तुत की।

प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.दीपक श्रीवास्तव ने करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। समारोह में इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, शासकीय आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ उपस्थित थे।