इन्दौर। हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दायित्व निर्वहन कर रही मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा प्रत्येक दिन डिजिटल रूप से देश-विदेश के रचनाकारों को जोड़कर हिन्दी उत्सव मनाया गया।
कोरोना के कारण विगत 22 मार्च 2020 से ही पूरे भारतवर्ष में देशबन्दी लागू है। इस देश बन्दी का सदुपयोग करते हुए मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने मानव सेवा के साथ-साथ निरंतर साहित्य सेवा भी जारी रखी। व्हाट्सएप्प, फ़ेसबुक आदि डिजिटल माध्यमों से रचनाकारों को जोड़कर प्रतियोगिताएँ, परिचर्चा आदि संचालित की, जिससे रचनाकारों को अवसाद से लड़ने का हौंसला मिला, सबलता मिली।
बीते 70 दिनों के लॉक डाउन में संस्थान द्वारा दो ऑनलाइन कवि सम्मेलन, पाँच हज़ार से ज़्यादा कोरोना युद्ध संकल्प प्रमाण-पत्र, चालीस से ज़्यादा साहित्यिक गतिविधियों का संयोजन किया गया। इसी के साथ संस्थान के प्रकाशकीय अंग संस्मय प्रकाशन द्वारा चार साझा संग्रह तैयार किए गए। तीस से अधिक पत्र साहित्यकारों ने देश के प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखे। संस्थान द्वारा डिजिटल परिचर्चा एवं कवि मुकेश मोलवा के फ़ेसबुक पृष्ठ पर डिजिटल काव्य पाठ आयोजित हुए जिसमें देश के शीर्ष कवियों से लेकर नवोदितों ने भी काव्य पाठ किया। संस्थान के पदाधिकारियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, राष्ट्रीय महासचिव कमलेश कमल, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मुकेश मोलवा ने फ़ेसबुक लाइव सत्र के माध्यम से रचनाकारों का ज्ञान वर्धन किया।
प्रतियोगिताओं एवं आयोजनों का संयोजन दिल्ली की साहित्यकार भावना शर्मा एवं संस्थान की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन ने किया। इन्हीं के साथ संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, जैन कवि संगम के अध्यक्ष नरेंद्रपाल जैन, श्रीमन्नारायण चारी विराट, रिंकल शर्मा, जलज व्यास, मृदुल जोशी, चेतन बेंडले आदि ने अपनी महती भूमिका से रचनाकारों को प्रोत्साहित किया।
एक युद्ध अवसाद के विरुद्ध आरम्भ कर संस्थान द्वारा लॉक डाउन के बीते 70 दिनों को महोत्सव में बदल दिया।