सामाजिक सरोकार के लिए गिरिडीह जिले के दुलिया करमबाल गांव के आदिवासी युवा नीरज मुर्मू को ग्रेट ब्रिटेन के प्रतिष्ठित डायना अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। 21 वर्षीय मुर्मू को यह सम्मान गरीब और हाशिए के बच्चों को शिक्षित करने के लिए दिया गया है।
बता दें कि नीरज मुर्मू कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन (KSCF) द्वारा संचालित गिरिडीह जिले के दुलिया करमबाल मित्र ग्राम के पूर्व बाल मजदूर थे।
इस अवॉर्ड से हर साल 09 से 25 उम्र की उम्र के उन बच्चों और युवाओं को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए सामाजिक बदलाव में असाधारण योगदान दिया हो।
नीरज दुनिया के उन 25 बच्चों में शामिल हैं जिन्हें इस गौरवशाली अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। नीरज के प्रमाणपत्र में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख है कि दुनिया बदलने की दिशा में उन्होंने नई पीढ़़ी को प्रेरित और गोलबंद करने का महत्वपूर्ण काम किया है। कोरोना महामारी सकंट की वजह से उन्हें यह अवॉर्ड डिजिडल माध्यम द्वारा आयोजित एक समारोह में प्रदान किया गया।
गरीब आदिवासी परिवार का नीरज 10 साल की उम्र में ही परिवार का पेट पालने के लिए अभ्रक खदानों में बाल मजदूरी करने लगा। लेकिन, बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के कार्यकर्ताओं ने जब उसे बाल मजदूरी से मुक्त कराया, तब उनकी दुनिया ही बदल गई। गुलामी से मुक्त होकर नीरज सत्यार्थी आंदोलन के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ अलख जगाने लगे। अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और लोगों को समझा-बुझा कर उनके बच्चों को बाल मजदूरी से छुड़ाकर स्कूलों में दाखिला कराया। ग्रेजुएशन की पढ़ाई जारी रखते हुए नीरज ने गरीब बच्चों के लिए अपने गांव में एक स्कूल की स्थापना की है, जिसके माध्यम से वह तकरीबन 200 बच्चों को समुदाय के साथ मिलकर शिक्षित करने में जुटे हुए हैं। नीरज ने 20 बाल मजदूरों को भी अभ्रक खदानों से मुक्त कराया है।
डायना अवॉर्ड मिलने पर नीरज कहते हैं, ‘इस अवॉर्ड ने मेरी जिम्मेदारी को और बढ़ा दिया है। मैं उन बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के काम में और तेजी लाऊंगा, जिनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई है। साथ ही अब मैं बाल मित्र ग्राम के बच्चों को भी शिक्षित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करूंगा।’
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहते हैं, ‘नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी मेरे आदर्श हैं और उन्हीं के विचारों की रोशनी में मैं बच्चों को शिक्षित और अधिकार संपन्न बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा हूं।’
साभार- https://www.samachar4media.com/ से