गूगल के अधिकारियों ने ऑनलाइन अनुवाद क्षमता बढाने के लिए पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों से किया संवाद
भोपाल। दसवें विश्व हिंदी सम्मलेन में यह विषय उठा था कि गूगल की ऑनलाइन अनुवाद सुविधा के तहत वर्तमान में अंग्रेजी-हिन्दी-अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं का आपस में अनुवाद आमतौर पर शुद्धता की दृष्टि से सटीक नहीं हो पाता है। गूगल इन भाषाओं के अनुवाद की दक्षता को बढ़ाना चाहता है। ताकि ऑनलाइन अनुवाद सुविधा का अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय गूगल की अनुवाद क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा। इसके लिए गूगल ने विश्वविद्यालय के सहयोग से पत्रकारिता विद्यार्थियों की पहली ‘अनुवाद कम्युनिटी’ शुरू की है। बीते दिन विश्वविद्यालय परिसर में गूगल के अधिकारियों और विद्यार्थियों के बीच संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पत्रकारिता एवं संचार के ऐसे विद्यार्थी, जिनकी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा पर पकड़ है, उन्होंने गूगल के इस काम में सहयोग करने के लिए पंजीयन भी कराया है।
विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम में गूगल के स्थानीयकरण एवं अंतरराष्ट्रीयकरण के तकनीकी प्रमुख प्रवीण दास ने बताया कि गूगल की अनुवाद सेवा दुनिया की करीब 103 भाषाओं में कार्यरत है। इनमें से कई भाषाओं के बीच अनुवाद करने की उच्च क्षमता विकसित हो चुकी है। इनके बीच 95 प्रतिशत शुद्धता तक अनुवाद किया जा सकता है। किन्तु अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं तथा भारतीय भाषाओं में परस्पर अनुवाद की शुद्धता के स्तर सुधार अपेक्षित है। उन्होंने बताया कि अभी शाब्दिक स्तर पर शुद्धता का स्तर ठीक है लेकिन वाक्य के स्तर पर शुद्धता का स्तर स्वीकार्य नहीं है। वाक्य के स्तर पर अनुवाद के स्तर को ठीक करना है। श्री दास ने बताया कि मशीनी अनुवाद की शुद्धता सामान्यत: उस भाषा युग्म के अंतर्गत समानान्तर कॉरपस (कोष) की उपलब्धता पर निर्भर करती है। यदि समानान्तर कॉरपस अधिक अधिक समृद्ध होगा तब अनुवाद की गुणवत्ता भी अधिक होगी।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एवं संचार के विद्यार्थियों की पकड़ चूँकि हिन्दी और अंगे्रजी भाषा पर रहती है, इसलिए हिन्दी-अंग्रेजी भाषा युग्म के समानान्तर कॉरपस को समृद्ध करने में वह प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि यदि हम इस काम में सहयोग करते हैं तो इसका लाभ समाज के अधिकाधिक लोग उठा सकेंगे। इसके साथ ही इंटरनेट पर हिन्दी के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी यह एक आवश्यक कदम है। कार्यक्रम में करीब 200 विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी शामिल हुए। अनेक विद्यार्थियों ने मौके पर ही गूगल की अनुवाद क्षमता बढ़ाने में सहयोग करने के लिए पंजीयन भी कराया। गौरतलब है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में सह आयोजक था। इसी दौरान हिन्दी भाषा की शुद्धता के लिए विश्वविद्यालय का प्रयास देखकर और पत्रकारिता के विद्यार्थियों का फीडबैक (पृष्ठप्रेषण) के आधार पर गूगल के अधिकारियों ने अनुवाद की क्षमता को समृद्ध करने के लिए विश्वविद्यालय का सहयोग लेने का मन बनाया था।
ऐसे करेंगे सहयोग : अनुवाद क्षमता को बढ़ाने के लिए गूगल ने ‘गूगल ट्रांसलेट कम्युनिटी’ प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। गूगल बड़े स्तर पर विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पेशेवर अनुवादकों को इस प्रक्रिया में जोड़ रहा है। विद्यार्थी अपने गूगल अकाउंट से ‘गूगल ट्रांसलेट कम्युनिटी’ से जुड़कर गूगल की ओर से चिन्हित किए गए वाक्यों का अनुवाद करेंगे। उनके अनुवाद को पेशेवर अनुवादक जाँचेंगे। विद्यार्थी स्वयं भी किसी के अनुवाद को जाँच सकेंगे। धीरे-धीरे जब वाक्यों के अनुवाद का समानान्तर कॉरपस समृद्ध हो जाएगा तब गूगल पर शुद्धता के साथ अनुवाद की सुविधा मिलने लगेगी।
लोकेन्द्र सिंह
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