आज कल मैं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुराहो में श्रमदान हथकरघा के विक्रय केंद्र में हूँ।सोचा था कि स्नातक और बीएड पर्यन्त अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की, यहाँ बहुत काम आएगी क्योकि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है (यही ज्ञान विद्यालय महाविद्यालय में मिला था)।पर यह भ्रम तब चकनाचूर हो गया जब हमारे विक्रय केंद्र पर स्पेन ,दक्षिण कोरिया दक्षिण(साऊथ) अमेरिका और चीन के यात्री श्रमदान हथकरघा निर्मित वस्त्र खरीदने आये।और जब मैने अंग्रेजी में उनसे बात की तब ज्ञात हुआ कि उन्हें तो अंग्रेजी आती ही नही।यहां तक की उन्हें उस अंग्रेजी के अंको का ज्ञान भी सही से नही है जिस अंग्रेजी की पढ़ाई में हमनें जिंदगी लगा दी। अब अहसास हुआ कि हमें अंग्रेजी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के नाम पर झूठा ज्ञान दिया जा रहा ।काश अब तो लोग चेत जाएं नही तो फिर कोई और अंग्रेजी पढ़कर कहेगा गई पढ़ाई पानी में…
“गई पढ़ाई पानी में…..”
एक निवेदन
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