राजनांदगांव । शहर के जाने-जाने कलमकार, प्रखर वक्ता, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संसाधन पुरुष और शासकीय दिग्विजय के हिंदी विभाग के राष्ट्रपति सम्मानित प्राध्यापक डॉ. चंद्रकुमार जैन ने कहा है न्याय के मंदिर ने हिंदी की महिमा और गरिमा के साथ व्यावहारिक न्याय का नया इतिहास रच दिखाया है । देश में यह पहली बार होगा कि अंग्रेजी के आधिकारिक भाषा होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय में फैसलों की प्रतियां हिंदी में भी मिल सकेंगी ।
डॉ. चंद्रकुमार जैन ने उक्त कदम को क्रांतिदर्शी निरूपित करते हुए आगे कहा कभी आधुनिक हिंदी के पुरोधा भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी ने हिंदी को न्याय की भाषा के रूप में देखने का स्वप्न संजोया था। तब देश स्वतंत्र भी नहीं था । लेकिन, आज स्वतंत्र भारत में भी उस उनके जैसे सपनों की मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आती थी । लेकिन, परिवर्तन और विकास की बहुआयामी मिसालें गढ़ रहे छत्तीसगढ़ राज्य में अब हिंदी के वैभव और उसकी ज़रूरत की नए सिरे सुनवाई की गई है । इससे हिंदी एकता के सूत्र को भी मजबूत करेगी । इसके दूरगामी परिणाम होंगे ।
बहरहाल, डॉ. जैन ने बताया कि प्रख्यात पत्रकार राहुल देव, डॉ वेदप्रताप वैदिक सहित देश विदेश के बुद्धिजीवियों ने इस निर्णय का स्वागत किया है ।इस संदर्भ में डॉ जैन ने ऐसे चुनिंदा व्यक्तित्वों से सीधे संवाद भी किया । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय ने फैसले की हिंदी का बड़ा फैसला मिटा दिया है । इससे हिंदी की शान बढ़ेगी और साथ ही सबकी समझ के योग्य हो जाने से न्याय का भी मान बढ़ेगा ।