किसी जमाने मे लाहौर की होली बडी गुलजार हुआ करती थी. लाहौर रंगो से पट जाता था. बसंत का उत्सव और बाद मे होली.. लाहौर की यह पहचान थी.
सन १८८२ मे, जबसे लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी बनी, तबसे वहां होली मनाने की परंपरा रही हैं. किंतु १९४७ के विभाजन ने सब कुछ बदल दिया. होली वहा मनती रही, लेकिन उस रंग मे नही जो, पहले होता था. अभी चार दिन पहले, ६ मार्च की दोपहर को, जब पंजाब युनिवर्सिटी के कुछ हिंदू छात्रों ने, युनिवर्सिटी परिसर मे, कुलपति कार्यालय के सामने, रंग – गुलाल से होली खेलना प्रारंभ किया, तो ‘इस्लामी जमियत तुलबा’ (IJT) के कार्यकर्ताओं ने इन छात्रों को लठ्ठ से बेदम पीटा। पंद्रह हिंदू छात्र बुरी तरह से से जख्मी हुए, जो अस्पताल मे भर्ती हैं.
होली की दुसरी घटना पाकिस्तान के सिंध प्रांत मे दुसरे दिन, ७ मार्च की रात को हुई. सिंध के दूसरे बड़े शहर, हैदराबाद मे.। वहां सिंध के प्रसिध्द डाॅक्टर धरम देव राठी को उनके ही ड्राइवर, हनीफ लेघारी ने चाकू से गोदकर मार डाला. धरम देव जी का गुनाह क्या था? उन्होने मित्रों के साथ होली खेली थी और ये सब उनके ड्राइवर हनीफ को पसंद नही आया. इसलिए हनीफ ने उन्हे मार डाला !
डाॅक्टर धरम देव राठी यह पाकिस्तान के जाने – माने त्वचा रोग के डाॅक्टर (स्कीन स्पेशलिस्ट) थे. दो वर्ष पहले वे पाकिस्तान के स्वास्थ्य विभाग से, एक उच्च अधिकारी के रुप मे, सेवानिवृत्त हुए थे. त्वचा रोग संबंधी अनेक कैम्प उन्होने पाकिस्तान मे लगाएं थे. सिंध प्रांत की सरकार ने अवार्ड देकर उनका सम्मान किया था. हैदराबाद के सदर बाजार मे डाॅक्टर्स लेन मे उनका क्लिनिक था.
दिलीप ठाकूर उनका रसोईया था. उसने उनके ड्राइवर से हुई बहस को सुना था. ड्राइवर का आक्षेप था, ‘आप पाकिस्तान मे होली कैसे मना सकते हैं?’
इस घटना की पाकिस्तान मे, इक्का – दुक्का अपवाद छोड़ दे, तो कोई निंदा नही हुई. यह अपेक्षित भी था. किंतू भारत मे भी, ‘तथाकथित मानवतावादी’ कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की इस घटना पर चुप्पी साध ली, यह देखकर आश्चर्य होता हैं. क्या लाहौर, क्या हैदराबाद (सिंध) ! मात्र ७५ वर्ष पहले, दोनो शहर हिंदू बहुल थे. खूब होली खेला करते थे. होली पर की हुई मस्ती, इन शहरों की पहचान हुआ करती थी. और आज? हैदराबाद मे हिंदुओं की संख्या मात्र ५% रह गई हैं और वहां, एक प्रतिष्ठित डाॅक्टर को, होली खेलने की सजा, मौत के रुप मे दी जाती है..! लाहौर मे होली खेलने पर छात्रों को बेदम पीटा जाता हैं, अधमरा किया जाता हैं और पाकिस्तान का प्रशासन मौन रहता हैं..!!
डाॅक्टर बाबासाहब आंबेडकर जी ने अपने ‘Thought on Pakistan’ इस ग्रंथ मे लिखा हैं, ‘मुस्लिम और सहिष्णुता कभी साथ नही चल सकते..!’
क्या यह सच है?
(लेखक राष्ट्रवादी विचारों पर शोधपूर्ण लेख लिखते हैं और इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है)