ज्योतिष हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है। हमारे जीवन का एक एक पल सूर्य, चन्द्र और नक्षत्रों से नियंत्रित होता है। ज्योतिष में कई ऐसी बाते हैं जिनके बारे में जानना और समझना अपने आप में किसी रोमांच से कम नहीं। अग्निवास की गणना भी ऐसा ही एक रोचक विषय है।
अग्निवास की गणना कैसे की जाए ? एक मास (महीने) में दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष-शुक्ल पक्ष लगभग १५ दिनों का होता है | पहली तिथि को प्रतिपदा या पड़ीवा और अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं | कृष्ण पक्ष लगभग १५ दिनों का होता है | पहली तिथि को प्रतिपदा या पड़ीवा और अंतिम तिथि को अमावस कहते हैं |
दिन का मान रविवार को १, सोमवार २, मंगलवार ३, बुधवार ४, बृहस्पतिवार ५, शुक्रवार ६, शनिवार ७ ( सूत्र )- जिस दिन का अग्निवास निकालना है उस दिन की तिथि और दिन लें शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को पहला दिन मान के तिथि का मान लें उसमें १ जोड़ दें फिर दिन का मान उसमें जोड़ दें जो योग आये उसको ४ से भाग कर दें ( सूक्ष्म सूत्र )- ( तिथि मान + १ + दिन मान = योग /४ ) अब यदि ० शेष बचे तो अग्नि का निवास पृथ्वी पर यदि १ शेष बचे तो अग्नि का निवास स्वर्ग में यदि २ शेष बचे तो तो अग्नि का निवास पाताल में यदि ३ शेष बचे तो अग्नि का निवास पृथ्वी पर होता है |
उदहारण : मान लीजिये आपको जिस तिथि का मान निकलना है वो कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है और उस दिन सोमवार का दिन है | तिथि मान + १ + दिन मान = योग /४ तिथि मान के लिए शुक्ल पक्ष की = १५ कृष्ण पक्ष की पंचमी = ५ इन दोनों को जोड़ का तिथि मान आएगा (१५ + ५ = २० ) तिथिमान = २० अब इस तिथि मान में एक जोड़ दें + १ ( २० + १ = २१ ) अब इसमें दिन का मान सोमवार= २ भी जोड़ दें ( २१+२=२३) अब कुल योग आये २३ को ४ से भाग दें ४ )२३(५ २० शेष बचा ३ अर्थात आज का अग्निवास पृथ्वी पर होगा |
पृथ्वी पर अग्नि का वास सुखकारी होता है | स्वर्ग में अग्नि का वास अशुभ और प्राण नाशक माना गया है | पाताल में अग्नि के वास से धन नाश होता है | इस लिए हमेशा ही हवन तब करें जब इसमें ० अथवा ३ शेष बचे, अथवा पञ्चाङ्ग में दिए अग्निवास कोष्ठक को देखें और कल्याण के भागी बनें |
साभार- https://twitter.com/Vadicwarrior से