केरल में आई सदी की सबसे भयानक बाढ़ ने राज्य को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है। अब तक यहां 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों पशु भी मौत के मुंह में समा गए हैं। 50 लाख से ज्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि बाढ़ ने 45,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में धान, केले, मसालों और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
देशभर से लोग केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं और जिससे जितना बन पड़ रहा है, वो कर रहे हैं। इस तबाही के बीच ‘क्या आम, क्या खास’, सब बाढ़ राहत शिविरों में पीड़ितों की मदद करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसे ही एक आईएएस अधिकारी हैं कन्नन गोपीनाथन, जो पिछले 8 दिनों से केरल में राहत शिविरों में पीड़ितों की मदद कर रहे थे और जीतोड़ मेहनत कर रहे थे। राहत सामग्रियों को पीठ पर लादकर वो खुद ही ट्रकों पर चढ़ाते और उतारते। सबसे खास बात ये है कि इस दौरान उन्हें कोई पहचान भी नहीं पाया कि वो एक आईएएस अधिकारी हैं।
बता दें कि कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और इस वक्त वो दादरा एवं नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। मूल रूप से वह केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं।
जानकारी के मुताबिक, केरल में बाढ़ की खबर मिलते ही उन्होंने तत्काल छुट्टी ले ली और लोगों की मदद के लिए 26 अगस्त को वो अपने गृह राज्य आ गए। इस दौरान उन्होंने दादरा एवं नागर हवेली प्रशासन की ओर से 1 करोड़ रुपये का चेक केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया और फिर राहत शिविरों में काम पर लग गए।
वो अपनी पहचान उजागर न करते हुए पिछले 8 दिनों से राहत शिविरों में काम कर रहे थे। लेकिन एक दिन जब एर्नाकुलम के कलेक्टर ने वहां का दौरा किया तो उन्होंने शिविरों में काम कर रहे कन्नन को पहचान लिया। तब जाकर उनकी पहचान उजागर हुई कि वो एक आईएएस अधिकारी हैं। इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग कन्नन की पहचान उजागर होते ही हैरान हो गए।
कन्नन के इस सराहनीय काम के लिए लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। इसके अलावा आईएएस एसोसिएशन ने भी कन्नन की सराहना की है।