हिन्दू कलैण्डर के अनुसार कार्तिक माह आठवां महीना होता है जो अन्य सभी महीनों से पवित्रतम माह माना जाता है।इस माह का व्यक्तिगत,पारिवारिक,सामाजिक,धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्त्व सबसे अधिक होता है।गौरतलब है कि 2023 का कार्तिक माह 29 अक्टूबर से आरंभ हो चुका है तथा 28नवंबर तक चलेगा। एक हिन्दी कवि ने क्या खूब लिखा है-कार्तिक की हंसमुख सुबह,नदी-तट से लौटती गंगा नहाकर,सुवासित भींगी हवाएं,सदा पावन,मां सरीखी,अभी जैसे मंदिरों में चढाकर खुशरंग फूल,ठंड से सीत्कारती घर में घुसी हों…।यह मास प्रकृति की सुंदरता को निखारता है और मानव को प्रकृति के साथ रहने का पावन संदेश देता है।पूरे भारतवर्ष में कार्तिक माह में भगवान विष्णु तथा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रुप से होती है।इसीलिए इस मास को दामोदर मास भी कहा जाता है जब श्रीहरि विष्णु लंबे विश्राम के बाद इसी माह में जागते हैं।। यह सबसे शुभ महीना माना जाता है।अगर यह कहा जाय कि इस महीने का प्रत्येक दिन महत्त्वपूर्ण होता है तो गलत बात नहीं होगी।जैसेः करवा चौथ,रमा एकादशी, धनतेरस,दीवाली,गोवर्धन पूजा, भैया दूज,चार दिवसीय छठ महापर्व और देवोत्थान एकादशी जैसे कई महत्वपूर्ण पर्व-त्यौहार इस महीने मनाए जाते हैं।यह महीना जाडे का महीना होता है जिसमें भोर में जगने का महत्त्व साधु-संत-महात्मा,किसान,बडे-बुजुर्ग,किसान तथा विद्यार्थियों के लिए सबसे अधिक होता है।
श्रीजगन्नाथ सेवक परम्परानुसार श्री पुरी धाम में कार्तिक महात्म्य
जिस उड्र,उत्कल,कलिंग और ओडिशा की चर्चा हमारे वेदों, पुराणों, उपनिषदों,गीता,रामायण और महाभारत आदि में आई है उनके अनुसार भी कार्तिक मास महात्म्य का हरप्रकार से महत्त्व सुनने और पढने को मिलता है।श्रीजगन्नाथ सेवक परम्परानुसार भी कार्तिक महात्म्य का सुंदर उल्लेख मिलता है।ओडिशा में इसे धर्ममास कहा जाता है। श्री जगन्नाथ-सेवक परम्परानुसार कार्तिक व्रत पालन अधिकतर विधवाएं ही श्रीक्षेत्र में पूरे मास तक निवासकर करतीं हैं। वे प्रतिदिन ब्रह्ममुहुर्त में भोर में जगकर महोदधि,पंचतीर्थ पुष्करिणी पवित्र स्नानकर श्रीमंदिर जाकर महाप्रभु जगन्नाथ भगवान के प्रथम दर्शन करतीं हैं। उसके उपरांत वे कार्तिक महात्म्य पुराण कथा श्रवण करतीं हैं। उनके लिए श्रीमंदिर से ही महाप्रसाद आदि की विशेष व्यवस्था होती है।गौरतलब है कि एक समय में दक्षिण ओडिशा में कार्तिक महात्म्य पुराण कथा श्रवण का प्रचलन सबसे पहले आरंभ हुआ जबकि आज पूरे ओडिशा में कार्तिक महात्म्य कथा श्रवण को शुभ माना जाता है। मंगलकारी माना जाता है।फलदायी माना जाता है। जीवनोपयोगी माना जाता है।
इस माह में ओडिशा के घर-घर में तुलसी के पौधे के समीप दीया जलाकर पूजा की जाती है।भगवान विष्णु के साक्षात स्वरूप भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है तथा श्रीकृष्ण-तुलसी विवाह अतिमोहक रुप में यहां के प्रत्येक देवालयों में आयोजित होता है।श्रीजगन्नाथ धाम पुरी के सभी मंदिरों तथा मठों में भी कार्तिक महात्म्य कथा होती है जिसके श्रवण आदि का विशेष महत्त्व देखने को मिलता है। कार्तिक मास में गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाने का आध्यात्मिक महत्त्व है।कार्तिक मास में अन्न, ऊनी वस्त्र, तिल, दीपक और आंवला का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।श्रीमंदिर पुरी में कार्तिक मास में भगवान जगन्नाथ को महादीप दान का भी विशेष महत्त्व देखने को मिलता है। आकाशदीप लगाने का भी प्रचलन है।सच कहा जाय तो कार्तिक मास प्रकृति तथा मानव के घनिष्ठतम संबंधों का भी परिचाय है जिसमें सभी प्रकार की शुद्धता,सफाई तथा पवित्रता आदि का विशिष्ट महत्त्व होता है। गौरतलब है कि ओडिशा प्रदेश सरकार की ओर से पुरी श्रीमंदिर परिक्रमा कॉरीडेर बन जाने से तथा श्रीमंदिर प्रांगण में कार्तिक व्रत कथा श्रवण आदि की विशेष व्यवस्था श्रीमंदिर प्रशासन पुरी की ओर से किये जाने के उपरांत इस मास का महत्व सबसे अधिक बढ गया है।
(लेखक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हैं और ओड़िशा की साहित्यिक सांस्कृतिक व पुरातन संस्कृति के बारे में लिखते हैं)