सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा 2013 में शुरू किए गए नोटा (नॉट ऑफ द अबोव) विकल्प को बिहार विधानसभा चुनाव में 243 विधानसभा सीटों पर 9,13,561 मतदाताओं ने तरजीह दी। यह कुल मतों का करीब 2.5 फीसदी है। वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में देश की राष्ट्रीय पार्टी बसपा फिसड्डी साबित हुई तो सपा भी ओंधे मुंह गिरी है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि नोटा के इस्तेमाल का आंकडा बसपा और सपा को बिहार चुनाव में मिले वोट से कई ज्यादा है।
बिहार चुनाव में जहां बसपा को 7,88,024 वोट मिले तो सपा को 3,85,511 वोट मिले। जबकि 9,13,561 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। बिहार विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 6.68 करोड़ मतदाताओं यानी 56.80 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
यह बिहार में लोकसभा या विधानसभा के किसी भी चुनाव में अब तक का सर्वाधिक मतदान है। इस बार इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में नोटा विकल्प का भी अपना एक चुनाव चिह्न था।