लॉस एंजिलिस। मातृभाषा सीखने के दौरान व्यक्ति शिशुकाल से लेकर युवावस्था तक कुल 1.5 मेगाबाइट का डाटा अपने दिमाग में संग्रहण करता है। इस दौरान भाषाई समझ विकसित होने में कुल 1.25 करोड़ बिट्स डाटा मस्तिष्क में स्टोर होता है यानी भाषा पर पकड़ बनाने के दौरान बच्चा प्रति मिनट दो बिट्स की जानकारी ग्रहण करता है।
किसी भाषा का सही-सही ज्ञान होने तक हर बच्चे के दिमाग में इससे जुड़े 1.5 मेगाबाइट जितना डाटा स्टोर हो जाता है। लंबे समय के अध्ययन के बाद प्राप्त निष्कर्ष को रॉयल सोसायटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने किया है।
अध्ययन में पता चला कि भाषा सीखने में बच्चे बड़ों से आगे हैं। वे शब्दों के भंडार याद रख लेते हैं। अध्ययन से इस बात की जानकारी मिलती है कि भाषा सीखने में व्याकरण से ज्यादा शब्दों के अर्थ पर पकड़ की कोशिश मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण है। रोबोट के विपरीत मानव शब्दों के मतलब जानने में ज्यादा रुचि लेता है।
प्रोग्रामिंग के अनुसार रोबोट वाक्य संरचना तो तुरंत कर देता है, लेकिन शब्दों के सही-सही मतलब नहीं बता पाता। वहीं, इंसान शब्दों के सही मतलब को तरजीह देते हैं।