Wednesday, December 25, 2024
spot_img
Homeअध्यात्म गंगाआचार्यश्री विद्यासागरजी के चातुर्मास में मुंबई के तरुण काला ने 2.7 करोड़...

आचार्यश्री विद्यासागरजी के चातुर्मास में मुंबई के तरुण काला ने 2.7 करोड़ में कलश की बोली लगाई

छतरपुर, खजुराहो। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का रविवार से खजुराहो में चातुर्मास शुरु हो गया है। रविवार को कलश स्थापना की गई जिसमें प्रदेशों से भी जैन समाज के लोग शामिल हुए। देश-विदेश से आ रहे पर्यटकों ने आचार्यश्री से आशीर्वाद लेने पहुंचे। इस दौरान कलश स्थापना के लिए बोलियां लगाईं गईं। पहला कलश मुंबई के जैन परिवार को मिला है। पहला कलश 2.7 करोड़ और सबसे आखरी कलश 2.52 करोड़ में मिला। रविवार को दोपहर तीन प्रकार के कलशों के माध्यम से समाज के श्रावकगण चातुर्मास की कलश स्थापना की गई। प्रथम कलश यानी सबसे बड़े 9 कलश के अलावा मध्यम प्रकार के 27 और छोटे 54 कलश स्थापित किए किए। यह सभी कलश आचार्य के मुखारविंद से विधिविधान पूर्वक मंत्रो के उच्चारण से स्थापित हुए जिनकी बोली लगी।

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि आप सब यहां सम्यकज्ञान, सम्यक चारित्र और दान देकर अगले भव के लिए अपने साथ ले जाने वाले है। आचार्यश्री ने कहा कि लगभग 38 वर्ष पूर्व मै खजुराहो पंचकल्याणक के लिए आया था। यहां कि कमेटी बार-बार खजुराहो के लिए आग्रह करती रही। मैं भी इस बार चलते-चलते यहां पहुंच गया। आचार्यश्री ने कहा कि यहां के राजा छत्रसाल का कुण्डलपुर के बड़े बाबा से गहन संबंध रहा है। राजा छत्रसाल ने बड़े बाबा को जब छत्र चढ़ाया उसके साथ ही उन्हें विजय प्राप्त हुयी। महाराजश्री ने कहा कि व्यक्ति को धन अपने पास श्वास जैसा रखना चाहिए ताजी ग्रहण करें और पुरानी निकालते जाए, सम्पत्ति हाथ का मैल है इसे साफ करते रहें। आचार्यश्री ने कहा कि आप सबका उत्साह सराहनीय है। खजुराहो क्षेत्र के विकास के लिए अपना योगदान देते रहें। पूर्व में खजुराहो क्षेत्र कमेटी सहित जैन समाज छतरपुर, पन्ना,सतना, टीकमगढ़ सहित एवं बाहर से पधारे अतिथियों ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट किया।

इन श्रद्धालुओं ने लिए हैं कलश :पहले कलश की बोली तरूण काला मुंबई 2 करोड़ 7 लाख, दूसरा कलश डॉ सुभाष शाह जैन मुंबई 1 करोड़ 51 लाख, तीसरे कलश का सौभाग्य हुकुमचंद्र काका कोटा 1 करोड़ 17 लाख, चौथे कलश का सौभाग्य उत्तमचंद्र जैन कटनी कोयला वाले 1 करोड़ 8 लाख, पंचवें कलश का सौभाग्य प्रेमीजैन सतना वाले 1 करोड़ 31 लाख, छठवां कलश का सौभागय प्रभातजी जैन मुंबई 1 करोड़ 8 लाख, सातवां कलश ऋषभ शाह सूरत 1 करोड़ 8 लाख, आठवां कलश पं सुभाष जैन भोपाल 54 लाख व पुष्पा जैन बैनाडा आगरा वाले और नौवां कलश का सौभाग्य अशोक पाटनी 2 करोड़ 52 लाख में लगाई जिन्हें मिला।

पूज्य आचार्यश्री ने बुधवार को ससंघ अपनी चातुर्मास स्थापना शांति नाथ भगवान के समक्ष विधि विधान के साथ कर ली थी।इस दिन संघ के सभी साधुओं ने उपवास भी रखा था। अब आचार्यश्री ससंघ एक निश्चित सीमा बांधकर अब 4 माह तक खजुराहो में रहकर धर्म ध्यान करेगे।

समारोह में प्रथम कलश यानि सबसे बड़े 9कलश स्थापित किये गए। मध्यम 27 कलश और सबसे छोटे 54 कलश स्थापित किये गए। ।ये सभी कलश आचार्य श्री के मुखारविंद से विधिविधान पूर्वक मंत्रो के उच्चा रण से स्थापित किए गए। ।ये सभी कलश विश्व शांति और विश्व कल्याण के उद्देश्य और वर्षायोग के निर्विघ्न सम्पन्न होने की कामना से स्थापित किये जाते है। खजुराहो क्षेत्र में आचार्यश्री के चातुर्मास से जैन धर्म और दर्शन की प्रभावना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।

डॉ. सुमति प्रकाश जैन ने चातुर्मास की अवधारणा और उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है।वर्षाकाल में लाखों जीवों की उत्पत्ति होती है और वे बहुतायत से चहुंओर व्याप्त रहते हैं।ऐसे में पदबिहारी साधुजनों से किसी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव की हिंसा न हो,इस लिए जैन साधु वर्षाकाल के चार महीनों में अपनी पदयात्रा को रोक कर किसी एक स्थान पर रुक कर अपने आत्मकल्याण हेतु स्वाध्याय,धार्मिक-आध्यात्मिक ग्रंथो, जैन धर्म व दर्शन का अध्ययन-मनन करते हैं और श्रावकों को अपने मंगल प्रवचनों से सदमार्ग पर निरन्तर चलने की प्रेरणा देते हैं।डॉ जैन ने बताया कि जैन धर्म के साथ साथ हिन्दू धर्म मे भी साधुओं के चातुर्मास की परंपरा है।वे भी वर्षाऋतु में एक जगह रह कर अपना चातुर्मास व्यतीत करते हुए धर्मध्यान में लीन रहते है।

कलश स्थापना के इस कार्यक्रम का संचालन और निर्देशन सुनील भैया ने किया।

आचार्यजी से मिलने अमेरिका के राजदूत भी खजुराहो पहुंचकर, पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन किये। आपने गुरुदेव के समक्ष सप्ताह में एक दिन माँसाहार त्यागने का भी संकल्प लिया।

खजुराहो में प्रतिदिन देश विदेश से लोगों का, पूज्य आचार्यश्री के दर्शन हेतु आने का क्रम निरंतर जारी है।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार