प्राचीन भारत की सभ्यता, संस्कृति और इसके ऐतिहासिक, साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक महत्व को बताती ” भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति” पुस्तक पाठकों विशेषकर सामान्य ज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। लेखक राम मोहन कौशिक ने बहुत ही सारगर्भित रूप से सरल भाषा में तथ्यों का प्रस्तुतिकरण किया है। छोटे – छोटे 30 अध्यायों के माध्यम से 184 पृष्ठ की पुस्तक में मानव सभ्यता के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान समय तक हुए परिवर्तनों को रोचकता से लिपिबद्ध किया गया हैं।
पुस्तक में भारतीय संस्कृतियां, सभ्यताएं, पाषाण युग, धातु युग, सैंधव सभ्यता, महापाषाणकालीन संस्कृति, वैदिक सभ्यता, रामायण और महाभारत युगीन सभ्यता, श्री भागवत गीता, जैन, बौद्ध, शाक्त,इस्लाम, सूफी,सिक्ख, वैष्णव,ईसाई, पारसी धर्मों, मध्य कालीन भक्ति आंदोलन, हिन्दू धर्म के सोलह संस्कार,उन्नीसवीं सदी के धर्म सुधार आंदोलन के साथ – साथ भारतीय वैज्ञानिक, प्राचीन एवं वर्तमान शिक्षा तथा भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव विषय शामिल किए गए हैं। महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रत्येक अध्याय के अंत में वस्तुनिष्ठ प्रश्न देने से पुस्तक का महत्व और भी बढ़ गया है।
लेखक ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति के महासागर से मोती निकाल कर पुस्तक में माला के रूप में पिरोए हैं, वह बहुत ही श्रम साध्य कार्य है। काफी परिश्रम कर लिखी गई पुस्तक है। लेखक कौशिक पश्चिम – मध्य रेलवे कोटा से से. नि. एक्स.ई.एन. हैं। पिता रमेश चंद्र शर्मा की प्रेरणा पर लिखी यह पुस्तक स्व.माता मुन्नी देवी को समर्पित की गई हैं। पुस्तक का मुख पृष्ठ आकर्षक है। कीमत बहुत ही वाजिब 250/- रूपये है। पुस्तक का प्रकाशन निधि प्रिंटर्स एवं स्टेशनर ,कोटा द्वारा किया गया है।
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