आश्चर्य होता है यह देखकर कि पिछले दिनों अकूत सम्पति के रूप में जो नोटों के बंडल, सोने के बिस्कुट, ज़ेवर आदि कुछ ‘महानुभावों’ के यहाँ छापों के दौरान पकड़े गए, उन तक जांच एजेंसियों की नज़र अभी तक क्यों नहीं पड़ सकी? पहले इस ओर ईडी, सीबीआई आदि का ध्यान क्यों नहीं गया? इधर,अपने बचाव में ये ‘महानुभाव’ छापे मारने की कवायद को राजनीति से जोड़ रहे हैं। यानी दोषी और जगह भी मौजूद हैं और उन्हें नहीं पकड़ा जा रहा। यह तर्क जितना खोखला है उतना ही असंगत भी।और ‘महानुभाव’ पकड़ में नहीं आ रहे,उसका मतलब यह तो नहीं कि आप निर्दोष हैं। देर-सवेर वे भी गिरफ्त में आ जाएंगे।
छापे चलते रहने चाहिए ताकि देश का काला और छिपा धन सामने आये और उसका उपयोग देश के विकास-कार्यों के लिए किया जा सके।आये दिन छापों के दौरान पकड़ी करोड़ों-करोड़ों रुपयों की गड्डियाँ देख विस्मित होने के साथ-साथ लगता है कि देश का भाग्य बदलने वाला है!