Thursday, November 21, 2024
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जनसंपर्क, साहित्य और संस्कृति की त्रिवेणी: डॉ.देवदत्त शर्मा

सामाजिक विसंगतियां और चतुर्दिक परिवेश में व्याप्त कटु यथार्थजन्य त्रासद स्थितियों और उनके बीच जीवट भरा समाधान की कहानियों के लेखक डॉ.देवदत्त शर्मा साहित्य जगत के ऐसे हस्ताक्षर हैं जिन्हें जनसंपर्क, साहित्य और संस्कृति की त्रिवेणी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इनका व्यक्तित्व और कृतित्व सृजनात्मक संदर्भों को गति प्रदान करने का एक अनूठा उदाहरण है। ये राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में लोकप्रिय अधिकारी रहे और साहित्य शाखा में प्रभारी अधिकारी रह कर लंबे समय तक विभागीय पत्रिका ” सुजस” का संपादन करने के साथ – साथ अन्य साहित्यक सामग्री का लेखन और प्रकाशन बखूबी करवाया। अनेक पुस्तकों के लेखक संस्कृति प्रेमी हैं और गहरी रुचि, गहन अध्ययन और शोध कर संस्कृति आधारित पुस्तकों का लेखन किया है। साहित्य के क्षेत्र में इनकी राजस्थान में अपनी अलग ही छवि है। इनके प्रकाशन सहेज कर रखने वाले हैं जो मौलिक जानकारियों का खजाना है।

इनके साहित्य में आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में दार्शनिक अनुचिन्तन , जैन दर्शन और अरविंद दर्शन का चिंतन और विश्लेषण है। स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकारिता की महक है। हिंदी कविता, कहानी और उपन्यास में समाज को आइना दिखाने वाली दृष्टि है। बाल साहित्य बच्चों के बालमन को छू लेता है और उनमें मनोरंजन के साथ – साथ ज्ञान की गंगा प्रवाहित करता है। इनका साहित्य राजस्थान के लोक जीवन और संस्कृति का भी दर्पण है जो विविध पक्षों के दर्शन कराता हैं। इनके सृजन संसार में 44 पुस्तकें शोध परक ग्रंथ, पत्रकारिता,संगीत,कहानी संग्रह, बाल उपन्यास और बाल कहानी संग्रह आदि विधाओं पर प्रकाशित होना रचनाकार के सतत चिंतन और लेखन को पुष्ट करता है। साहित्य के गंभीर अध्येता और घुमक्कड़वृति की वजह से ही आपने ,मंदिरों,संग्रहालय, किलों और लोक संस्कृति के प्रबल पक्ष हमारे तीर्थ, मेले, संत और लोक देवताओं पर अपनी कलम चलाई और साहित्य को समृद्ध किया।

इनके सृजन और प्रकाशित साहित्य की चर्चा करें तो सर्वप्रथम नज़र डालते हैं इनके बाल साहित्य पर। इनका बाल कविता संग्रह ” ये कविताएं बच्चों की ” प्रकाशित हुआ। बाल उपन्यास मे मुर्दों का टीला, मुर्दों के देश में,राक्षस और राजकुमार, बरगद वाली हवेली तथा शिक्षाप्रद बाल कहानी संग्रह में निष्ठा कैसी कैसी, अभिमान भंग की कथाएं, शाप दिया ऋषि ने, ऋषि क्रोध की कथाएं और आस्था की कहानियां पुस्तकें प्रकाशित हुई।इनका बाल साहित्य कोमल बालमन के बाल मनोविज्ञान के आधार पर सहज, सरल और आसानी से हृदयंगम होने वाली भाषा में लिखा गया है। साहित्य बच्चों का मनोरंजन तो करता ही है साथ ही उन्हें समस्याओं पर सोचने समझने की दृष्टि प्रदान करता है। इनका बाल साहित्य अत्यंत उच्च कोटि का है।

इनके कथा साहित्य में मुठ्ठी में सिमटा दु:ख – कहानी संग्रह सामाजिक परिवेश और संदर्भों की पड़ताल कही जा सकती है। कहानियां हमारे भीतर उठते सवालों का उत्तर देती नज़र आती हैं और सामाजिक परिवेश, समस्याओं को उजागर करती हैं। संगीत सुधाकर एक ऐसी पुस्तक है जो संगीत के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों के बारे में जानकारी देती हैं। विविध साहित्यिक कृतियों में ,सुनो कहानी पेड़ों की, आओ देखें राजस्थान , इमारतें बोलती हैं, विरासत प्रश्नोत्तरी ,फूलों वाले वृक्ष, पर्यावरण प्रश्नोत्तरी, राजस्थान का माटी शिल्प, हिन्दी प्रबन्ध कविता के नये क्षितिज ,हिन्दी उपन्यास शिल्प और संवेदना, आधी सदी का सुनहरा सफर, और राजस्थान की महिला संगीत कलाकार कृतियों का शीर्षक ही विषय वस्तु का प्रतिनिधित्व करता है।

रचनाकार की विरासत एवं संस्कृति मूलक पुस्तकों में राजस्थान के प्रमुख मंदिर, राजस्थान के प्रमुख किले, राजस्थान के प्रमुख मेले, राजस्थान के प्रमुख शहीद,राजस्थान के प्रमुख संत, राजस्थान के प्रमुख संग्रहालय, राजस्थान के प्रमुख लोक देवता, राजस्थान के प्रमुख तीर्थ, आजादी के लिए लड़े जो ,देश दीवाने , सरिस्का , अलवर दर्शन, अलवर 88 और वे शहीद हो गये शामिल हैं। इनके शोध परक ग्रंथों में आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में दार्शनिक अनुचिन्तन, आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में जैन दर्शन, आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में अरविन्द दर्शन, माणक चन्द रामपुरिया की काव्य सर्जना, हिन्दी के सामन्ती चेतनापरक उपन्यास और राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा पं. भवानी सहाय शर्मा प्रमुख हैं। जनसंपर्क और पत्रकारिता से जुड़े होने से आपने पत्रकारिता के संदर्भ में ” मुद्रण एवं सज्जा” पुस्तक का लेखन और प्रकाशन भी करवाया।

रचनाकार के साथ – साथ आप संपादक के बतौर भी अपनी खास पहचान रखते हैं। आपने जनसंपर्क विभाग की पत्रिका ” सुजस’ का 12 वर्षों तक तथा सुजस वार्षिकी 1997, 1998, सुजस संचय 2001 तथा सुजस सांस्कृतिकी जैसे वृहद् संदर्भ ग्रंथों का सम्पादन, फोल्डर एवं पुस्तिकाओं का आकल्पन, सम्पादन एवं प्रकाशन करवाया।

बीकानेर से प्रकाशित गणराज्य साप्ताहिक समाचार पत्र के साहित्य सम्पादक के रूप में साहित्य परिशिष्ट का करीब सात वर्षो तक, अलवर जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित भित्ति पत्र ‘‘ग्रामीण विकास ज्योति‘‘ का करीब पांच वर्षा तक , जयपुर में आयोजित अखिल भारतीय बैले समारोह पर प्रकाशित पुस्तिका का छह वर्षो तक और राजस्थान पर्यटन विभाग से प्रकाशित बहुरंगी पुस्तिका राजस्थान दर्शन का सम्पादन किया। आपने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संगीतिका संस्था ‘श्रुति मण्डल’ की चार दशकों की यात्रा तथा पचास वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयन्ती वर्ष समारोह के दौरान आधी सदी का सुनहरा सफर सन्दर्भ ग्रन्थ का लेखन एवं सम्पादन।

फीचर लेखन :
राजस्थान की कला संस्कृति, पुरातत्व, पर्यटन, वास्तुशिल्प, विरासत, हस्तशिल्प, परम्परा, मेले आदि विषयों से सम्बद्ध शताधिक लेख राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठत पत्र – पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित हुए। पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित” रिसर्चर” तथा राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा प्रकाशित ’आकृति’ में कई शोध परक लेख प्रकाशित हुए। जवाहर कला केन्द्र द्वारा प्रकाशित ’लोकरंग’ एवं भारतीय लोक कला मण्डल द्वारा प्रकाशित ’रंगायन’ पत्रिका में अनेक लेख प्रकाशित हुए।

देश की प्रसिद्ध पत्रिकाएं स्वागत, नमस्कार, दर्पण, रेलबन्धु , शुभ यात्रा तथा वैमानिकी जैसी प्रतिष्ठित पर्यटन पत्रिकाओं में राजस्थान की कला संस्कृति से संबंधित दर्जनों लेख प्रकाशित हुए। आकाशवाणी केंग्र द्वारा अनेक वार्ताएं, कहानी एवं कविताएं और संगीत रूपक ’पंडून का कड़ा’ का प्रसारण किया गया। दूरदर्शन से प्रसारित रूपक ’बोलती इमारतें’ की लगभग एक दर्जन कड़ियों का लेखन किया तथा तीन कड़ियों में प्रसारित भारतीय संस्कारों को उजागर करने वाला धारावाहिक परिणय की पट कथा का लेखन के साथ – साथ अभिनय भी किया।

हिन्दी के क्षेत्र में किये गये विशिष्ट कार्यों के लिए 19 सितम्बर, 2000 को दिल्ली में आयोजित सहस्राबदी विश्व हिन्दी सम्मेलन में “राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दी सम्मान”से , 4 अगस्त, 2001 को जैमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा पद्मश्री डॉ. लक्ष्मीनारायण दुबे स्मृति सम्मान से तथा जयपुर की सांस्कृतिक संस्था स्नेह स्वर मण्डल द्वारा, सम्मानित किया गया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय माणक अवार्ड, 1997 से सम्मानित किया गया। साहित्य मण्डल श्री नाथद्वारा द्वारा सितम्बर, 2013 में आयोजित हिन्दी लाओ देश बचाओ समारोह में विशिष्ट हिन्दी सेवी तथा सम्पादन क्षेत्र में अनुपम योगदान के लिए सम्पादक रत्न उपाधि से विभूषित और अभिनव कला परिषद, भोपाल ( मध्य प्रदेश ) द्वारा बहुआयामी लेखन कार्य के लिए अभिनव शब्द शिल्पी – 2014 अलंकरण से सम्मानित किया गया।

जनसम्पर्क के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों एवं उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय नन्दकिशोर पारीक जन सम्पर्क पुरस्कार 2002 , सांस्कृतिक लेखन की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए जनवरी, 2006 में सबरंग संस्था द्वारा गुणीजन सम्मान से विभूषित, 14वां अखिल भारतीय ध्रुवपद नाद – निनाद विरासत समारोह के अवसर पर इंटरनेशनल ध्रुवपद धाम ट्रस्ट और रसमंजरी संगीतोपासना केन्द्र, जयपुर द्वारा रचनात्मक कला- लेखन मेधा अवार्ड 2008 से सम्मानित किया गया। प्राकृतिक रंजक संस्थान ( शोध अनुसंधान एवं विकास ) एवं राजस्थान चैम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा कला- संस्कृति लेखन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए कलाविद अवार्ड 2016 से , कला संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान तथा अनवरत लेखन कार्य के लिए भोपाल (मध्य प्रदेश) में वर्मा 2017 मे श्रेष्ठ कला आचार्य की मानद उपाधि से अलंकृत, उत्कृष्ट सांगीतिक लेखन के लिए सोपोरी एकेडमी ऑफ म्यूजिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2017 के आचार्य अभिनव गुप्त सम्मान से विभूषित, पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ऑफ इण्डिया जयपुर चेप्टर की ओर से राष्ट्रीय जनसम्पर्क दिवस 2018 के अवसर पर जनसम्पर्क एवं जनसंचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य एवं विशिष्ट उपलब्धियों के लिए जनसम्पर्क उत्कृष्टता सम्मान से, अलवर (राजस्थान) में 19 मई 2019 को आयोजित पंडित राधुवीर शरण भट्ट स्मृति समारोह में सांस्कृतिक लेखन में उत्कृष्ट योगदान के लिए , जयपुर बिडला सभागार में 14 सितंबर 2019 को राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के स्थापना दिवस पर आयोजित भव्य स्वर्ण जयंती समारोह में अकादमी के लेखक एवं उत्कृष्ट लेखन कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिहन प्रदान कर सम्मानित किया गया। निष्ठामयी कला सेवाओं के लिए 25 मार्च, 2023 को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के प्रतिष्ठित कला पुरोधा सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान स्वरूप शॉल ओढ़ा कर प्रशस्ति पत्र तथा पच्चीस हजार रुपए नकद राशि प्रदान की गई।

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा अमृत सम्मान से विभूषित। चूरू के दादाबाड़ी सभागार में 5 अक्टूबर, 2023 को आयोजित एक भव्य समारोह में सम्मान स्वरूप शॉल ओढ़ा कर प्रतीक चिन्ह एवं 31 हजार की नकद राशि प्रदान की गई। साहित्य, इतिहास, शिक्षा और हिन्दी भाषा की अमूल्य सेवाओं के लिए सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय प्रन्यास द्वारा महाराजा सवाई प्रताप सिंह अवार्ड से विभूषित किया गया और जयपुर के सिटी पैलेस में 22 अक्टूबर, 2023 को आयोजित भव्य समारोह में सम्मान स्वरूप उन्हें शॉल ओढ़ाकर श्रीफल, सम्मान पत्र, कलश और 31 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई। प्रचार – प्रसार एवं उत्कृष्ट सेवाओं के लिए अलवर जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित करने के साथ – साथ विभिन्न अवसरों पर अनेक प्रशंसा पत्र से सम्मानित किए गए।

परिचय :
जनसंपर्क , साहित्य और कला – संस्कृति के क्षेत्र में राजस्थान में विशिष्ठ पहचान बनाने वाले धीर गंभीर डॉ. देवदत्त शर्मा का जन्म 16 नवम्बर 1946 को अलवर जिले की बानसूर तहसील के शाहपुर गांव में पिता फतेह चन्द शर्मा एवं माता जानकी देवी के आंगन में हुआ। आपने हिंदी साहित्य विषय में गोल्डमेडल के साथ स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर पत्रकारिता में डिप्लोमा और ” हिन्दी साहित्य आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में दार्शनिक अनुचिन्तन” विषय पर पीएच.डी.की उपाधि प्राप्त की। आपने वरिष्ठ लिपिक के रूप में अपनी सरकारी सेवाएं शुरू की और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से उप निदेशक पद से सेवा निवृत हुए। विगत 16 वर्षो से वीणा समूह की पर्यटन, कला संस्कृति एवं संगीत को समर्पित बहुरंगी मासिक पत्रिका स्वर सरिता का सम्पादन कर रहे हैं। वर्तमान में गंभीर नेत्र रोग से पीड़ित होने पर भी इस दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं।

संपर्क
122, तरूछाया नगर,
जेमस्टोन पार्क के पास,टोंक रोड़,
जयपुर 302029 ( राजस्थान )
मोबाइल : 9413331989
———————
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
( लेखक,स्तंभकार, संपादक के रूप में विगत 45 वर्षों से पर्यटन, कला,संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, सामाजिक और साहित्यिक विषयों पर लेखन कर रहे हैं।)

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल

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