Thursday, December 26, 2024
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कई बंगलों के मालिक भारत भूषण का आखरी समय एक चाल में बीता

भारत भूषण 1950 के दशक के सुपरसितारों में भारत भूषण अव्वल थे. कई लोग उन्हें अपने समय के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में गिनते थे. वह रोमांटिक हीरो थे और उनके प्रशंसकों की संख्या करोड़ों में थी. राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार जैसे सुपरस्टार्स की मौजूदगी में भारत भूषण ने अपनी अलग पहचान बनाई।

उन्होंने अपने करियर में 30 से अधिक फिल्मों में काम किया और बैजू बावरा (1952), आनंद मठ (1952), मिर्जा गालिब (1954) और मुड़ मुड़ के ना देख (1960) जैसी हिट फिल्में दीं. लेकिन फिल्म निर्माता बनने की जिद और जुए की गलत आदत ने उन्हें बर्बाद कर दिया. अपने समय के सबसे अमीर अभिनेताओं में से एक होने के बावजूद, उन्होंने फिल्म निर्माण और जुए में मेहनत की गाढ़ी कमाई गंवा दी. बेहद गरीबी में उनकी मृत्यु हुई.

भारत भूषण 1920 में उत्तर प्रदेश के मेरठ में थे और अलीगढ़ में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिनय में हाथ आजमाने के लिए मुंबई आए. भारत भूषण ने 1941 में चित्रलेखा के साथ अपनी शुरुआत की. उनकी पहली हिट मीना कुमारी के साथ बैजू बावरा थी. इसके बाद उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु (1954) और बरसात की रात (1960) जैसी हिट फिल्मों में अभिनय किया।

बैजू बावरा ने भारत भूषण को घर-घर में मशहूर कर दिया. संजय लीला भंसाली आज इसी बैजू बावरा की कहानी पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इस कहानी में भारत भूषण ने बैजू नाम केऐसे संगीतकार की भूमिका निभाई जिसने संगीत सम्राट तानसेन को चुनौती दी थी. भारत भूषण ने अपने समय की लगभग सभी लोकप्रिय अभिनेत्रियों के साथ काम किया. जिनमें गीता बाली (सुहाग रात), निरूपा रॉय (औरत तेरी यही कहानी), नरगिस (सागर) और मधुबाला (फागुन) शामिल हैं.

भारत भूषण बैजू बावरा के बाद मिली भारी सफलता संभाल नहीं सके. उन्होंने अपने भाई के साथ प्रोडक्शन में उतरने का फैसला किया और बड़ा घाटा उठाया. वह दिवालिया हो गए. एक समय भारत भूषण मुंबई में कई बंगलों के मालिक थे. शानदार कारों में घूमते थे. लेकिन निर्माता बनने का फैसला गलत साबित हुआ. वह जुए में भी काफी पैसा और प्रॉपर्टी हार गए. कर्ज चुकाने के लिए भारत भूषण ने अपनी अधिकांश संपत्ति बेच दी और एक चाल में रहने लगे. बाद के दौर में अपना गुजारा चलाने के लिए उन्होंने कुछ फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में भी काम किया. आखिरकार 27 जनवरी 1992 को 72 वर्ष की आयु में अत्यंत गरीबी में उनकी मृत्यु हो गई.

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