नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की किताब ‘आजाद बचपन की ओर’ 7 जनवरी को बाजारमें आएगी। किताब का लोकार्पण सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र द्वारा नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया जाएगा। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित यह किताब सत्यार्थी के चुंनिंदा लेखों का संग्रह है।
अस्सी के दशक के बाद से पिछले कुछ वर्षों तक लिखे गए सत्यार्थी के इन लेखों ने बाल मजदूरी, बाल दुर्व्यापार, बाल दास्तां, यौन उत्पीड़न, अशिक्षा आदि विषयों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक आधार दिया। ये बच्चों के अधिकारों से संबंधित विषयों पर लिखे गए सबसे शुरुआती लेख हैं। ये लेख ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज भी हैं, जिन्होंने भारत में ही नहीं, दुनिया भर में बाल अधिकारों के आंदोलन को जन्म दिया।
कैलाश सत्यार्थी पुस्तक में प्रकाशित अपने लेखों के बारे में कहते हैं, ‘इनमें से मेरे कुछ लेख तब लिखे गए थे, जब मैं बच्चों से गुलामी कराने वाले मालिकों के हमलों का शिकार होकर घायल पड़ा था। कुछ लेख ऐसे समय में भी लिखे गए जब मेरे पास बेटे को पिलाने के लिए दूध तक के पैसे नहीं हुआ करते थे।’
कैलाश सत्यार्थी ने समाजिक बदलाव के लिए कलम का सहारा लिया और इंजीनियरिंग छोड़ कर पत्रकार बन गए। अस्सी के दशक में बाल मजदूरी के खिलाफ संघर्ष के साथ-साथ उन्होंने ‘संघर्ष जारी रहेगा’ और ‘क्रांतिधर्मी’ नामक सामाजिक-राजनीतिक पत्रिका का प्रकाशन और संपादन भी किया।