अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस की पूर्व संध्या पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा ‘कोविड-19 और बाल श्रम उन्मूलन’ विषय पर एक राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। परिसंवाद का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री संतोष गंगवार ने किया। जबकि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। परिसंवाद में नीति आयोग के सहायक सलाहकार श्री एसबी मुनिराजू, हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री समीर माथुर, बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकारी निदेशक श्री धनंजय टिंगल के अलावा राज्यों के बाल अधिकार आयोग और श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अपनी बात रखी।
इनके अलावा परिसंवाद में सरकारी एजेंसियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। परिसंवाद का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इस अवसर पर कोविड-19 महामारी के दौरान बाल श्रम को कैसे बढ़ने से रोका जाए, इस पर एक एक्शन प्लान भी तैयार किया गया। साथ ही सरकार से एक टास्क फोर्स बनाने की मांग भी की गई।
इस अवसर पर भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री संतोष गंगवार ने कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की। श्री संतोष गंगवार ने कहा, “उनकी सरकार कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों का हल निकालने के लिए पूरी क्षमता से कोशिश कर रही है। महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कुप्रभावों की वजह से बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं के दृष्टिगत हमें अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सजग रहना है कि कहीं यह आपदा हमारे बच्चों को बालश्रम की ओर न धकेल दे।” बाल श्रम के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करते हुए श्रम मंत्री ने कहा, ‘‘आईएलओ और यूनिसेफ ने मिलकर दुनिया में बाल मजदूरों की स्थिति पर जो रिपोर्ट जारी की है, वह चिंता बढ़ाने वाली है।
बाल मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिए अभी हमारी सरकार ने चार लेबर कोर्ट पास किए हैं। बाल श्रम उन्मूलन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए हम संवेदनशील हैं।” बाल श्रम की समाप्ति की दिशा में अपने प्रयासों को बताते हुए उन्होंने कहा, “कोविड के कारण बच्चों पर जो दुष्प्रभाव पड़े हैं उसे हरेक स्तर पर दूर करने की हम कोशिश रहे हैं। बाल श्रमिकों के पुनर्वास में जो अवरोध पैदा हो गए थे, उस पर भी काबू पाने की हम कोशिश हो रही है। 2025 तक बाल श्रम उन्मूलन का जो लक्ष्य रखा गया है उस दिशा में हम सतत कार्यरत हैं। बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में गृह मंत्रालय ने पेंसिल (इफेक्टिव इनफोर्समेंट ऑफ नो चाइल्ड लेबर) पोर्टल भी बनाए हैं। इसको और प्रभावी बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।”
इस अवसर पर उन्होंने बाल अधिकारों के लिए कैलाश सत्यार्थी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वे उनके सुझावों को अमल में लाएंगे और उनके नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं।
इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी को एकजुट होकर साझा प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने मंत्रालयों, सिविल सोसायटियों, कारपोरेट और गैर सरकारी संस्थानों को “टीम इंडिया अगेंस्ट चाइल्ड लेबर” का सदस्य बताते हुए कहा, “करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर हम देश के विकास के बारे में कैसे सोच सकते हैं? यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। यह मानवता के खिलाफ होगा। कोविड-19 महामारी ने हमारे बच्चों को सबसे अधिक असुरक्षित किया है। महामारी के पहले के 4 वर्षों के दौरान बाल श्रम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह खतरे की घंटी है। हमें बाल संरक्षण के लिए अब साहसिक कदम उठाने की जरूरत है और विकासरूपी चौथे पहिये के रूप में स्वास्थ्य को जोड़ने की जरूरत है, जिसमें शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और बाल श्रम का उन्मूलन शामिल है। मैं सरकार से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा देने और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन करने का अनुरोध करता हूं।’’ श्री सत्यार्थी ने इस अवसर पर यह भी कहा कि बाल मजदूरी कोई एकांगी समस्या नहीं है। इसका संबंध अशिक्षा और गरीबी से है। अगर बाल श्रम का खात्मा कर दिया जाए तो अशिक्षा और गरीबी अपने आप कम हो जाएगी। बाल मजदूरी के खात्मे के लिए बच्चों को अच्छी शिक्षा देना अनिवार्य है। इस अवसर पर श्री सत्यार्थी ने बाल श्रम को रोकने के प्रयासों के लिए श्रम मंत्रालय और भारत सरकार की सराहना की और कहा कि देश के करोडों बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए हमें और बेहतर तरीके से मिलकर काम करने की जरूरत है।
केएससीएफ द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय परिसंवाद की प्रासंगिकता तब और बढ गई है जब आईएलओ और यूनिसेफ ने मिलकर दुनियाभर में बाल श्रमिकों की स्थिति पर ‘चाइल्ड लेबर : ग्लोबल एस्टिमेट्स 2020, ट्रेंड्स एंड दि रोड फॉरवर्ड’ नामक एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में पहली बार बाल श्रम को समाप्त करने की दिशा में जो वैश्विक प्रगति हुई थी, वह रुक गई है। महामारी से पहले के चार सालों में बाल श्रमिकों की संख्या में 8.4 मिलियन (84 लाख) की वृद्धि हुई है और पूरी दुनिया में अब बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 160 मिलियन (16 करोड़) हो गई है। जबकि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप इसके और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
तीन सत्रों में आयोजित इस एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद का उद्देश्य बाल संरक्षण के लिए जिम्मेदार विभिन्न हितधारकों को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना था, जो बाल श्रम को समाप्त करने के लिए नीतियों और रणनीतियों पर विचार-विमर्श कर सके। उस विशेष परिस्थिति में जब कोविड महामारी ने पहले से ज्यादा चुनौतियों को हमारे सामने पेश किया है। बच्चों को शोषण के सभी रूपों से बचाने और उनकी रोकथाम के लिए रणनीतियों पर फिर से पुनर्विचार की तत्काल आवश्यकता पर यह परिसंवाद बल देता है। ताकि बच्चों का समग्र पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके लिए सामाजिक-आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं को लागू करवाया जा सकें।
बाल श्रम को दूर करने के उद्देश्य से परिसंवाद में जुटे लोगों ने एक एक्शन प्लान बनाने के साथ ही टास्क फोर्स के गठन की जरूरत पर बल दिया। गौरतलब है कि परिसंवाद में बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु प्रस्तुत सुझावों, समाधानों और विचारों को भारत सरकार को भेजा जाएगा।