बकस्वाहा। त्रेता युग में श्रवण कुमार अपने वृद्ध और अंधे माता-पिता को कावड़ पर बैठाकर तीर्थ यात्रा कराने निकला था। आज भी हमारे देश में श्रवण कुमार मौजूद हैं, जो अपने मां-बाप के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। जबलपुर जिले के संकटमोचन धाम हिनौता, पिपरिया वर्गी निवासी 45 वर्षीय ब्रह्मचारी कैलाश पिता छिकौड़ीलाल गिरी अपनी 92 वर्षीय वृद्ध माता कीर्ति देवी गिरी को कावड़ पर बैठाकर तीर्थ कराने निकला है।
मां कीर्ति देवी को मथुरा की यात्रा कराने निकले ब्रह्मचारी कैलाश गिरी ने रविवार को बकस्वाहा थाना क्षेत्र की सीमा में प्रवेश किया। बकस्वाहा से 13 किमी पहले दूल्हादेव मंदिर पर उनका ग्रामीणों ने स्वागत किया। ब्रह्मचारी कैलाश गिरी ने बताया जब वे छोटे थे तभी पिता का स्वर्गवास हो गया था। गांव वालों ने उन्हें अपनी विधवा मां की सेवा करने की सलाह दी। एक बार वह बचपन में पेड़ से गिर गए थे, सबने जिंदा रहने की आशा छोड़ दी थी। मां कीर्ति देवी ने मन्नत मांगी कि अगर मेरा बेटा ठीक हो जाएगा तो मैं चारों धाम की यात्रा करूंगी। मां की मुराद पूरी हुई और कैलाश गिरी ठीक हो गए, उन्होंने बताया जब वे बड़े हुए तो मां ने चारों धाम की इच्छा जताई।
उन्हें यह पता चल गया था कि मां की मन्नत से ही वह जिंदा हैं, बस यहीं से उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर मां की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली और मां को अपने कंधे पर बैठाकर चारों धाम कराने की ठान ली। उन्होंने बताया 2 फरवरी 1996 को मां को कावड़ पर बैठाकर नर्मदा जी से चारों धाम की यात्रा शुरू की।
एक दिन में 10 किमी तक की यात्रा : कैलाश गिरी ने दैनिक भास्कर को बताया वे मां को बद्रीनाथ, केदारनाथ, द्वारिकापुरी, रामेश्वरम चारों धाम सहित 8 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करा चुके हैं। वे मां को नर्मदा परिक्रमा भी करा चुके हैं। उन्होंने बताया वे एक दिन में 2 से लेकर 10 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं। मां की तीर्थयात्रा पूर्ण होने पर वे गाड़ामनहारी जबलपुर में आश्रम बनाकर मां की सेवा में जुट जाएंगे।
साभार-दैनिक भास्कर से