देश के पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री एवं गृहमंत्री रहे पी. चिदंबरम अब सीबीआई की हिरासत में हैं। सीबीआई और ईडी के मुताबिक, चिदंबरम परिवार की देश-विदेश में करीब 600 करोड़ रुपये की कथित संपत्ति की गहन जांच पड़ताल की जाएगी। जांच एजेंसियों का कहना है कि इन संपत्तियों का मालिकाना हक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर चिदंबरम परिवार के पास है। इसके लिए बड़े पैमाने पर मुखौटा कंपनियां भी खोली गईं, जिनकी जानकारी जांच के दौरान सामने आई।
सात देशों में हैं संपत्तियां
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि सात देशों में चिदंबरम परिवार की कथित चल-अचल संपत्तियों का पता चला है। जांच के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि इन कंपनियों में लगे पैसे का स्रोत क्या है। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच में फंसे पी. चिदंबरम के परिवार के पास घोषित तौर पर करीब 175 करोड़ रुपये की संपत्ति है। चिदंबरम ने चार साल पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान दाखिल किए अपने शपथ पत्र में 95.66 करोड़ रुपये की संपत्ति होने का खुलासा किया था। इस संपत्ति में उनकी पत्नी का भी हिस्सा बताया गया था।
कार्ति के पास 80 करोड़ की संपत्ति
वहीं चिदंबरम के सपुत्र और लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम ने अपने नाम पर करीब 80 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। जो कुल मिलाकर 175 करोड़ रुपये बैैठती है। जांच एजेंसियों का आरोप है कि चिदंबरम परिवार की असली दौलत इससे कई गुना ज्यादा है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह संपत्ति छह सौ करोड़ रुपये से कहीं अधिक है। जांच एजेंसियां इस बाबत अभी कई नए तथ्यों को पता लगा रही हैं।
25 करोड़ का डिपॉजिट
चिदंबरम की घोषित संपत्ति में 20 करोड़ रुपए का डिपॉजिट है। पांच लाख रुपये की नकदी, 25 करोड़ रुपये, जो कि विभिन्न बैंकों और दूसरी संस्थाओं में जमा हैं, 85 लाख रुपये के जेवरात, 13.47 करोड़ रुपये के शेयर, डाकघर में 35 लाख रुपये, करीब 11 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी, 27 लाख रुपये की तीन कार, अचल संपत्तियों में 7 करोड़ रुपये की कृषि भूमि, 45 लाख रुपये की एक कमर्शियल बिल्डिंग, 32 करोड़ रुपये की आवासीय प्रॉपर्टी और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में भी डेढ़ करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी बताई गई है।
बेटे और बहू के पास 114 करोड़ की संपत्ति
वहीं तमिलनाडु के शिवगंगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद कार्ति चिदंबरम के पास 80 करोड़ रुपये की संपत्ति है। अगर अचल संपत्ति की बात करें तो कीर्ति के पास 46 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें 100 एकड़ की कृषि योग्य भूमि भी शामिल है। साथ ही, 95 लाख रुपये की कमर्शियल बिल्डिंग, चेन्नई में करीब 3.5 करोड़ रुपये के मकान के अलावा कैम्ब्रिज में करीब 4.5 करोड़ रुपये की कीमत का घर और दिल्ली में करीब 19 करोड़ रुपये का आवास भी शामिल है।
उनकी पत्नी के पास करीब 34 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें 6 लाख रुपये नकद, 16 लाख रुपये की एफडी, 17 लाख रुपये के शेयर, 77 लाख रुपये के जेवरात, बैंकों में करीब 25 लाख रुपये की जमा राशि, 1.5 करोड़ रुपये की एनएससी और बीमा पॉलिसी भी हैं।
परिवार के पास तकरीबन 47 प्रॉपर्टी
ईडी के मुताबिक चिदंबरम फैमिली के पास देश और विदेश में कई बड़ी प्रॉपर्टी हैं। इन सबका ब्यौरा उन्होंने अपने शपथ पत्र में नहीं दिया है। जांच एजेंसी के पास पक्की जानकारी है कि पूर्व वित्तमंत्री के परिवार के पास छह सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति है। इसका बड़ा हिस्सा विदेश में है। इनमें से ज्यादातर प्रॉपर्टी मुखौटा कंपनियों के नाम पर हैं। हालांकि सीबीआई जांच में तो केवल 29 प्रॉपर्टी का ब्यौरा ही सामने आया है, जबकि ईडी के सूत्रों की मानें तो ऐसी प्रॉपर्टी की संख्या करीब 47 है। इनमें मॉल, कॉटेज, टेनिस क्लब, मध्यम स्तर के शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, दूरसंचार कंपनियां और छोटे-छोटे आईटी हब शामिल हैं।
विदेशी शेयर मार्केट में भी बड़ा निवेश
इनके अतिरिक्त विदेशी शेयर मार्केट में भी बड़ा निवेश सामने आया है। जांच एजेंसियों का आरोप है कि कार्ति चिदंबरम ने करीब 23 करोड़ रुपये की लागत से स्पेन के बार्सिलोना में टेनिस क्लब और ब्रिटेन में एक कॉटेज खरीदा है, जिसका चिदंबरम परिवार के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। ईडी का आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया मामले में जो घूस की राशि मिली है, उससे बाहरी देशों में कई प्रॉपर्टी खरीदी गई हैं। इसके अलावा एयरसेल-मैक्सिस और 2जी घोटाले में भी जांच एजेंसी को कई अहम सबूत मिले हैं।
मुखौटा कंपनियों की भी सहायक कंपनियां
ईडी का आरोप है कि चिदंबरम परिवार ने कथित तौर से सिंगापुर, मलेशिया और वर्जिन आइलैंड में जमीनें खरीदी हैं। हालांकि ये जमीनें उनकी मुखौटा कंपनियों के नाम पर हैं। इनके अलावा स्पेन और दक्षिण अफ्रीका में भी पर्यटन स्पॉट के लिए जमीन खरीदी गई है। जांच एजेंसी का दावा है कि इतने बड़े कारोबार के लिए कोई एक-दो नहीं, बल्कि तीन दर्जन से ज्यादा मुखौटा कंपनियां बनाई गई हैं।
इन प्रॉपर्टीज से संबंधित जो दस्तावेज मिले हैं, उनमें मुखौटा कंपनियों के साथ उनकी सहायक कंपनियों के बारे में भी पता चला है। इसके अलावा दुबई में जो निवेश हुआ है, वहां दूसरे-तीसरे नंबर की मुखौटा कंपनियां पाई गई हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि जांच में मूल मालिक का पता न चल पाए।