भोपाल। कुशलतायुक्त पुरुषार्थ आज की आवश्यकता है। एक साथ मिलकर रहना और एक-दूसरे का सम्मान करना हमें सीखना चाहिए। बुद्धि एवं विचार के मामले में भारतीय दुनिया में सबसे आगे हैं, परंतु संगठन निर्माण में पीछे रह जाते हैं। दुनिया में वह देश सबसे शक्तिशाली होगा, जहाँ लोग मिलकर रहेंगे और एक-दूसरे का सम्मान करेंगे। यह विचार आज श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट के संस्थापन स्वामी धर्मबंधु ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सत्रारम्भ कार्यक्रम के समापन सत्र में व्यक्त किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला उपस्थित थे।
टी.टी. नगर स्थित समन्वय भवन में 27 जुलाई से प्रारम्भ हुए तीन दिवसीय सत्रारम्भ कार्यक्रम का आज समापन हुआ। समापन सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित स्वामी धर्मबंधु ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह आंकलन करना चाहिए कि हम अपने जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति में कहाँ तक सफल रहे हैं। असली पत्रकार वह है जो समय एवं परिस्थितियों से सीखे। पत्रकार को हमेशा ज्ञान के करीब रहना चाहिए। कार्यकुशलता के लिए ज्ञान आवश्यक है अतः अधिकाधिक ज्ञान अर्जन करने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने एल्विन टाफलर के कथन का हवाला देते हुए कहा कि जो नई चीज सीखना नहीं चाहता, जो बेकार की चीज भूलना नहीं चाहता एवं जो नया सीखने के लिए अपने को तैयार नहीं रखता, वह अज्ञानी है। हमें सीखने के लिए सीखना चाहिए। इस अवसर पर द्वितीय दिवस की गतिविधियों पर आधारित समाचारपत्र का विमोचन भी किया गया।
'नई पीढ़ी और टीवी पत्रकारिता' विषयक सत्र में बोलते हुए इंडिया न्यूज के प्रबंध सम्पादक श्री राणा यशवंत ने कहा कि आपके के अंदर कुछ करने की बैचेनी ही आपको पत्रकार बनाती है। पत्रकारिता के लिए जरूरी है कि आपके पास भाषा हो, पढ़ने की आदत हो, तकनीक की जानकारी हो तथा कुछ नया करने का जुनून हो। इस देश की व्यवस्था में पत्रकारों को अपनी भूमिका समझना चाहिए। 'नई पीढ़ी के लिए अवसर और चुनौतियाँ' विषयक सत्र में उपस्थित सी.बी.आई. के पूर्व प्रमुख पद्मश्री डी.आर.कार्तिकेयन ने कहा कि आज टेलीविजन में प्रसारित होने वाले समाचारों को देखकर आप सच का पता नहीं लगा सकते। तीन-चार चैनलों पर एक ही विषयवस्तु देखने के उपरांत आप एक सही राय बना सकते हैं। मीडिया की विश्वसनीयता कम होने की सबसे बड़ी वजह यही है। आज स्मार्ट फोन के रूप में हमारे पास पाकेट साईज स्टुडियो है, जिसमें हम कहीं से भी, किसी भी समय पत्रकारिता कर सकते हैं। नई तकनीक से लैस शोध आधारित पत्रकारिता के लिए युवाओं को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अनेक विद्वानों के कथनों का उदाहरण देकर पत्रकारिता की भूमिका को रेखांकित किया है।
'मीडिया का बदलता परिदृश्य' विषयक सत्र पर बोलते हुए नेटवर्क 18 के प्रेसिडेंट न्यूज श्री उमेश उपाध्याय ने कहा कि इंटरनेट, फेसबुक और यूट्यूब ने आम आदमी को बड़ी ताकत दी है। टेक्नालाजी आपकी रचनात्मकता को आगे ले जा सकती है। टेक्नालाजी हमें बहुत कुछ दे रही है, परंतु हमें उसका गुलाम नहीं बनना चाहिए, बल्कि इस्तेमाल करना चाहिए। आज एक ही विषयसामग्री को विभिन्न टेक्नालाजी के माध्यम से, विभिन्न तरीकों से सम्प्रेषित किया जा सकता है। इसलिए जरूरी हो गया है कि आज पत्रकारिता में आने वाले युवा लिखने-बोलने के साथ ही फोटोग्राफी, एडिटिंग एवं इस तरह की अन्य तकनीकी विधाओं में भी पारंगत हों। 'उदीयमान भारत और युवा' विषयक सत्र में बोलते हुए भारतीय शिक्षण मण्डल, नागपुर के श्री मुकुल कनिटकर ने कहा कि सपने देखना सफलता की पहली सीढ़ी है। आज इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि आजादी के 67 वर्ष बाद भी हमें अपने देश को स्वच्छ रखने की बात लोगों को समझानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस देश में कुछ नया तब हो पाएगा जब लोगों के जीवन के स्वप्न राष्ट्र के स्वप्न के साथ मिलेंगे। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि हमने कभी-भी, किसी भी देश में आक्रमण के लिए सेनाएँ नहीं भेजी, बल्कि ज्ञान, प्रेम और भाईचारे के संदेश के प्रसार के लिए दूत भेजे। प्राचीन विश्व का आर्थिक इतिहास यह बताता है कि प्राचीन समय में भारत दुनिया का सबसे अमीर देश रहा है। भारत ने ही विश्व को सम्पत्ति का वितरण किया। आज देश का प्रत्येक नागरिक, गृहस्थ अपने घर-परिवार के साथ यदि बाह्य जगत की भी थोड़ी चिंता करने लगेगा तो जल्दी ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि यह कहा जाता है कि मीडिया समाज का दर्पण है। यह समाज को ही तय करना है कि समाज की किस तरह की तस्वीर मीडिया में प्रस्तुत हो। आज मीडिया के सामने चुनौतियाँ भी बहुत हैं और अवसर भी बहुत हैं। युवाओं को मीडिया की चुनौतियों को समझना होगा और उसके अनुरूप अपने आपको तैयार करना होगा। उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विजन 2020 में मीडिया के सम्बन्ध में प्रस्तुत किए गए विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि युवाओं को डॉ. कलाम के संदेशों के अनुरूप मीडिया जगत के लिए अपने आपको ढालना होगा।
मोनोग्राफ का विमोचन
सत्रारम्भ के समापन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए मोनोग्राफ का विमोचन किया गया। यह मोनोग्राफ स्थानीय पत्रकार स्व. श्री मदन मोहन जोशी एवं स्व. श्री बनवारी बजाज पर तैयार किया गया है। इस मोनोग्राफ के निर्माण का मुख्य उद्देश्य आज के विद्यार्थियों को स्व. श्री मदन मोहन जोशी एवं स्व. श्री बनवारी बजाज की पत्रकारिता से अवगत कराना है। मोनोग्राफ में स्व. श्री मदन मोहन जोशी पर वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव एवं श्री उमेश त्रिवेदी का आलेख है जबकि स्व. श्री बनवारी बजाज पर श्री राजेन्द्र शर्मा एवं प्रो. कमल दीक्षित का आलेख है। सत्र के दौरान कुलपति प्रो. कुठियाला, स्वामी धर्मबंधु, श्री महेश श्रीवास्तव, श्री राजेन्द्र शर्मा, श्री उमेश त्रिवेदी, श्री अवधेश बजाज एवं श्री लाजपत आहूजा ने मोनोग्राफ का विमोचन किया।
(डॉ. पवित्र श्रीवास्तव)
निदेशक, जनसंपर्क प्रकोष्ठ