5 जनवरी,1970 को नये कारोबार की तलाश में पानीपत, हरियाणा से मात्र 450 रुपये कारोबार के लिए,48 रुपये ट्रेन टिकट के लिए तथा पांच रुपये रास्ते में खाने के लिए लेकर भुवनेश्वर आनेवाले श्री लाजपत चावला आज की तारीख में करोडों के मालिक हैं। मान-मर्यादा तथा शान-शौकत ऊपर से बेशुमार उनको मिल रही है। वे भुवनेश्वर पंजाबी आर्य सनातन बिरादरी(नन सिख) के प्रेसिडेंट हैं।भुवनेश्वर गुरुद्वार स्कूल के ट्रस्टी हैं।आज उनका जन्म दिन है।तो, सबसे पहले उनको उनके जन्मदिन पर बहुत-बहुत बधाई तथा हार्दिक शुभकामना।
9 जनवरी,1950 को पानीपत,हरियाणा में जन्मे लालजप चावला के स्व.पिताजी बहादुर चंद चावला तथा स्व. माताजी शांति देवी का संस्कार लाजपत चावला पर आज भी स्पष्ट नजर आता है। शांतमना चावला केवल अपने काम से काम रखते हैं। एक सफल कारोबारी के जितने भी अच्छे गुण,लक्षण और आदत आदि होने चाहिए ,वह सबकुछ उनमें कूट-कूटकर भरा हुआ है। इसीलिए तो वे भुवनेश्वर आने को बाद लगभग दो साल तक हरियाणा हैडलूम में नौकरी किये और उसके उपरांत हरियाणा हैडलूम का अपना कारोबार आरंभ कर दया।
लाजपत चावला के हरियाणा हैडलूम के दो शोरुम(एक किराये का तथा दूसरा अपना) हैं और बडे मजे में चावला जी करोडों के मालिक बनकर सपरिवार आनंद के साथ भुवनेश्वर में अपना कारोबार कर रहे हैं। भुवनेश्वर में उनका अपना स्थाई निवास है।चावला जी की पत्नी श्रीमती शशि चावला उनकी प्रेरणा हैं जबकि दो बेटियां-शालिनी और शीतल उनके प्राण हैं। एमबीए की डिग्री प्राप्तकर उनका होनहार और मृदुल स्वभाव वाला बेटा गौरव तथा उनकी पुत्रवधू अंजू चावला उनके परिवार तथा उनके कारोबार के उज्ज्वल भविष्य हैं।बेटा गौरव तो सामाजिक कार्यों में भी अपने आपको लगाये हुए है। कहते हैं कि जहां चाह,वहां राह।यह बात श्री लाजपत चावला के जीवन के साथ अक्षरशः सत्य सिद्ध होती है।चावला-परिवार के कुलभूषण हैं उनके पुत्र गौरव चावला की लाडली बेटी कशिका चावला तथा गौरव का तेजस्वी व होनहार लाडला बेटा अधीराज चावला है।
श्री लाजपत चावला ने अपने जन्मदिन पर यह संदेश युवा कारोबारियों को यह दिया कि युवा पढ-लिखकर,तकनीकी शिक्षा प्राप्तकर तथा कौशल विकास में दक्ष होकर अपने-अपने व्यापार में लगें। उसके दो लाभ होंगे। एक तो वे स्वयं आत्मनिर्भर बनेंगे तथा दूसरा भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में योगदान भी देंगे।