बिना सेंसर बोर्ड से प्रमाण-पत्र लिए ‘पद्मावती’ फिल्म मीडियाकर्मियों को दिखाने को लेकर फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली, वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक, इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा और रिपब्लिक टीवी के प्रमुख संपादक अर्णव स्वामी के खिलाफ लखनऊ की एक कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। इन सभी पर आरोप लगाया गया है कि सेंसर के प्रमाण पत्र के बिना ही निर्माता ने रजत शर्मा, अर्णव गोस्वामी व वेद प्रताप वैदिक समेत अन्य लोगों को फिल्म दिखाई, जो कि अपराध है और सिनेमेटोग्राफी अधिनियम की धारा 7 (1) का उल्लंघन है।
ये परिवाद हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय ने दायर किया है। इस मामले की सुनवाई अब 24 नवंबर को होगी।
फिल्म देखने के बाद इन पत्रकारों ने फिल्म को अपना पूरा समर्थन दिया था। पत्रकारों ने कहा था जब फिल्म रिलीज होगी तो कर्णी सेना एक बार फिर खुद को गलत पाएगी। फिल्म का कोई भी सीन राजस्थान के लोगों या राजपूतों की आन-बान-शान के खिलाफ नहीं है। पद्मावती साहस और चतुराई की मिसाल हैं जो कि इस फिल्म में दिखाया गया है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से पहले मीडिया को फिल्म दिखाए जाने पर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी पहले नाराजगी जता चुके हैं। जोशी ने हाल ही कहा था कि बोर्ड को फिल्म दिखाए जाने या सर्टिफिकेशन पाए बिना मीडिया के लिए स्क्रीनिंग रखना या नेशनल चैनल्स पर उसका रिव्यू देना निराशानजक है। यह सिस्टम और संतुलन की भूमिका से समझौता करना है जो एक कार्यशील उद्योग का हिस्सा हैं। जोशी ने आगे कहा था, ‘यह अपनी सुविधा के लिए लापरवाही से बोर्ड पर दबाव बनाने के लिए किया गया काम है। यह नियम कायदों की धज्जियां उड़ाने जैसा हैं जो अवसरवादिता की मिसाल है।’