समाज सेवा एक भावनात्मक कार्य है। सोचते बहुत से लोग हैं पर आगे बिरले ही बढ़ पाते हैं। देश में यूं तो अनेक समाजसेवी और गैर सरकारी संस्थाएं विविध सेवा कार्यों से समाज के जरूरतमंद लोगों के लिये बढ़-चढ़ कर सेवा कार्यो में लगे हैं। ऐसी ही एक संस्था ‘ लिट बाई ह्यूमिनिटि ’ हैदराबाद में सेवारत है। यह संस्था न केवल देश में वरन अपने 2500 से अधिक सेवाभावी सदस्यों के माध्यम से 13 देशों के लोगों की सेवा का दीप प्रज्ज्वलित कर,जरूरतमंदों के मन में आशा की किरणें बिखेर रही है। संस्था के भिवाड़ी में कार्यरत सदस्य राकेश भटनागर से हाल ही में हुई चर्चा में उन्होंने मुझे संस्था के बारे में बताया।
पीड़ित मानवता की भलाई के लिए इस संस्था का प्रादुर्भाव सुश्री बिंदु पुसते ने किया जो अंग्रेजी की सहायक प्राध्यापिका है। वह 2015 से दृष्टिहीन व्यक्तियों की सहायता में कार्यरत हैं। सन 2019 में दो और समान विचारधारा के सुश्री सृजना एवं श्रीयुत गुप्पू के संपर्क में आई जो इसी क्षेत्र में कार्यरत थे। अब क्या था तीनों ने एक दूसरे का हाथ थामा और जीवन के अपने उद्देश्य के पथ पर साथ चल पड़े। इन्होंने अपर उद्देश्य की पुर्ति हेतु और समाज के इस वर्ग की सेवा हेतु अधिकाधिक सहयोग एवं सहायता के लिए तेजी से कार्य करते हुए एक स्व-संगठन ( वोलनटियरी आर्गेनाईजेशन) नामक संस्था की स्थापना की।
संस्था के विस्तार एवं स्वेच्छा से कार्यकर्ताओं के जुड़ने से इसके कार्य के दौरान सुश्री पुस्ते व सहयोगियों ने इस संस्था की उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संस्था का विधिवत पंजीकरण करने का निर्णय लिया और संस्था का नाम “ लिट् बाई ह्यूमिनिटि “ अर्थात ‘ मानवता से प्रकाश ‘ रखा। संस्था में 12 प्रमुख सदस्य सेवा प्रकल्प में संकल्पबद्ध हैं।
संगठन सम्पूर्ण देश सहित 13 अन्य देशों के अपने कर्मक्षेत्र में दृष्टिहीन, निम्नवर्गीय विधवाओं, दिव्यांगों व असहाय विद्यार्थियों को विविध प्रकार निशुल्क सहायता प्रदान कर रही है। संगठनऑडियो रिकॉर्डिंग, दृश्य सहायता, विजुअल रीडिंग, वर्चुअल टीचिंग, लेखन , टाइपिंग,सुविधाएं, सांकेतिक भाषा पर जागरूकता पैदा करना, रक्तदान,भोजन एवं वस्त्र दान अभियान संचालन,अनाथालयों और वृद्धाश्रमों का दौरा कर जरूरतों में सहायक बनना के साथ-साथ जानवरों एवं पालतू जानवरों की आवश्यकताओं के लिए संरक्षण की दिशा में सक्रिय हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं व विभिन्न सामाजिक व रचनात्मक गतिविधियों पर नियमित रूप से लिखते हैं)