व्यक्ति की शारीरिक ख़ुराक भोजन से और बौद्धिक ख़ुराक की पूर्ति किताबों के पढ़ने से मिलती है। हम प्रायः शरीर की ख़ुराक का तो बख़ूबी ध्यान रखते हैं पर मस्तिष्क की बलिष्टता के लिए दिए जाने वाले बौद्धिक भोजन की अवहेलना करने लग जाते हैं, परिणामस्वरूप मस्तिष्क कमज़ोर होने लगता है। इस बौद्धिक कमज़ोरी से बचने के लिए नियमित किताबों को पढ़ते रहना चाहिए, यही मुख्य आदत होनी भी चाहिए। बुद्धि की तीक्ष्णता और दिमाग़ की शान्ति के लिए पुस्तकों से बेहतर कोई उपचार नहीं है।
इसी बौद्धिक ख़ुराक की उपलब्धता के लिए देश का एक युवा प्रकाशन समूह निरंतर आधे दशक से सक्रिय है, जो पाठकों की बौद्धिक क्षुधापूर्ति का कार्य निरन्तर कर रहा है। भारत के शीर्ष हिन्दी प्रकाशकों की सूची में सम्मिलित संस्मय प्रकाशन वर्तमान में भारत भर के अधिकांश लेखकों और पाठकों का पसंदीदा प्रकाशन है।
मातृभाषा दिवस के दिन वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर से संस्मय प्रकाशन का शुभारंभ हुआ और अनवरत चलते हुए आधे दशक में ही लोकप्रिय होते हुए पाठकों के मन हर्षाने वाला उपक्रम बन गया।
वर्तमान में संस्मय का प्रशासकीय कार्यालय देश की राजधानी दिल्ली व देश के सबसे स्वच्छ शहर इन्दौर में स्थित है। इसकी निदेशक श्रीमती शिखा जैन व प्रबंधक सुश्री भावना शर्मा हैं। यह मुख्यतः हिन्दी पुस्तकों को प्रकाशित करने वाला एक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान है, जो मातृभाषा उन्नयन संस्थान का प्रकाशकीय अंग है। इसी कारण से संस्मय भी हिन्दी प्रचार आंदोलन का सक्रिय सहभागी भी है।
संस्मय प्रकाशन से राजकुमार कुम्भज, अहद प्रकाश, डॉ. अमरनाथ अमर, डॉ. लालित्य ललित, प्रो. संजय द्विवेदी, डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, डॉ. राजश्री सिंह, डॉ. कविता किरण, डॉ. प्रेरणा ठाकरे, श्रीमती कमला सिंह ’ज़ीनत’, डॉ. राजीव जायसवाल समेत कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। और पाठकों के बीच पहुँचकर ये पुस्तकें बेस्ट सेलर भी बन रही हैं। लगातार विश्व पुस्तक मेले के अलावा अन्य पुस्तक मेले में प्रकाशन की सहभागिता रहने से लेखकों और पाठकों के रिश्तें को मज़बूत करने वाली कड़ी बन जाता है संस्मय प्रकाशन।
रियायत मूल्य पर पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध करवा कर उनकी साहित्यिक रुचि में वृद्धि कर हिन्दी भाषा के प्रचार में संस्मय प्रकाशन की भूमिका गणनीय है। संस्मय का सदैव यह प्रयास रहता है कि वह अपने लेखक और अपने पाठक के बीच सामंजस्यता बनाकर रखे और उनके विचार, सुझाव से सदैव बेहतर समाधान प्रस्तुत करे। इस समय संस्मय से हिन्दी साहित्य के अतिरिक्त पत्रकारिता, इतिहास, फ़िल्म और अन्य पाठ्यक्रमों की किताबें भी प्रकाशित हो रही हैं।
हज़ारों पाठकों की पसंद के रूप में संस्मय गुणवत्ता युक्त किताबें प्रकाशित करने के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। संस्मय के द्वारा पुस्तकों की गुणवत्तायुक्त छपाई, नवाचार और उच्च कोटि के काग़ज़ों का प्रयोग किया जाता है। संस्मय प्रकाशन के माध्यम से साझा संकलन, स्मारिकाएँ, समीक्षाएँ आदि भी प्रकाशित करवाकर प्रतिभाओं को सामने लाने का सतत् प्रयास जारी है।
नई प्रतिभाओं के पल्लवन और उनके प्रकाशन को लेकर संस्मय बहुत जागरुक है, उनके लिए विशेष प्रबंधन भी संस्मय की कार्यप्रणाली में शामिल है, इसी कारण नवोदित रचनाकारों की पहली पसंद संस्मय है। प्रथम कृति प्रकाशन योजना में किताबों की मार्केटिंग की अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से कृतिकार को लाभ होता है। साथ ही, स्थापित लेखकों की किताबों को विशेष श्रेणी में रखकर विक्रय इत्यादि की प्रक्रिया करने वाले प्रकाशकों में संस्मय शामिल है।
संस्मय प्रकाशन द्वारा पुस्तक ग्राम, पुस्तकों से मित्रता जैसे अभियान भी लगातार संचालित किए जा रहे हैं, जिनसे हज़ारों युवा किताबों से जुड़ रहे हैं। पाठकों का सम्मान करना, उन्हें पुरस्कृत करना, पुस्तक मित्र तैयार करना आदि कार्य करके संस्मय प्रकाशन युवाओं में किताबों को पढ़ने की रुचि जागृत कर रहा है। वर्ष 2024 तक लगभग 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं। और अब तक लगभग डेढ़ सौ से अधिक आयोजन कर परिणामस्वरूप एक लाख से अधिक पाठकों के परिवार के रूप में संस्मय प्रकाशन स्थापित हो चुका है।
वर्तमान में भी भारत के गाँवों में संस्मय द्वारा स्थापित पाठक केंद्र विकसित हो रहे हैं, जहाँ प्रतिमाह पुस्तक चर्चा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न पुस्तक मेले में संस्मय की सहभागिता उसे अपने पाठकों से जोड़ने में समृद्ध करती है। इन्हीं सब कार्यकलापों के कारण साहित्यिक पुस्तकों के प्रकाशन और लेखकों की प्रसिद्धि करने में संस्मय प्रकाशन अग्रणीय नाम बन चुका है। गुणवत्तापूर्ण प्रकाशन के कारण संस्मय प्रकाशन को आईएसओ प्रामाणित भी किया गया है।
पुस्तक मित्र योजना के माध्यम से गाँव-शहरों में तैयार समृद्ध पाठक परिवार द्वारा पुस्तकालय तैयार हो रहे हैं। वर्तमान में सौ से अधिक पुस्तकालयों में संस्मय के लेखक अपनी कृतियों के माध्यम से मौजूद है। कई कृतियों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोधकार्य निरंतर हो रहे हैं। लगातार साहित्यिक सक्रियता से संस्मय प्रकाशन मध्यभारत ही नहीं अपितु देशभर में अब इंदौर की पहचान में शामिल हो गया है।